किसी ने सच ही कहा है कि जब भी मैं अपनी नन्ही परछाई देखता हूं तो मेरा बचपन लौट आता है और उसे हंसते-खेलते देख मैं अपने सारे दुख भूल जाता हूं। आधुनिक युग में माता-पिता बनना किसी सपने से कम नहीं है, क्योंकि समय के साथ संतानहीनता भी बढ़ती जा रही है। लेकिन साथ ही हमारी आईवीएफ प्रक्रियाओं में आधुनिकता भी आ रही है। और हम संतानहीनता और मातृत्व के आनंद के बीच की दीवार को हटाने में सफल हो रहे हैं।
आईवीएफ एक प्रजनन उपचार प्रक्रिया है। बांझपन से पीड़ित व्यक्ति या दंपत्ति के लिए यह वरदान है। आईवीएफ के दौरान, एक महिला के अंडे और एक पुरुष के शुक्राणु को भ्रूण बनाने के लिए प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। एक बार भ्रूण तैयार हो जाने के बाद, इसे महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।
एक ब्लास्टोसिस्ट एक निषेचित अंडे द्वारा बनाई गई कोशिकाओं को विभाजित करने का एक समूह है। यह एक भ्रूण का प्रारंभिक चरण है। ब्लास्टोसिस्ट कई चरणों में से एक है जो गर्भावस्था की ओर ले जाता है। एक शुक्राणु के अंडे को निषेचित करने के लगभग पांच से छह दिनों के बाद एक ब्लास्टोसिस्ट बनता है। ब्लास्टोसिस्ट में कोशिकाओं की परतें विभाजित और अलग होती हैं। वे अंततः ऐसी संरचनाएं बन जाती हैं जो विकासशील भ्रूण (अजन्मे बच्चे) की रक्षा और पोषण करती हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए एक निषेचित अंडे का ब्लास्टोसिस्ट चरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आईवीएफ गर्भावस्था में सहायता के लिए जन्म देने वाले माता-पिता के शरीर के बाहर एक भ्रूण बनाने की प्रक्रिया है।
आईवीएफ के आधुनिक तकनीकों में से एक है ब्लास्टोसिस्ट कल्चर। इस प्रक्रिया में मानव शरीर के बहार भ्रूण को दो दिन और विशेष तरल में रखा जाता है जिससे की उसका और विकास होक वह ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण बन जाये। जिस प्रकार से आईवीएफ में भ्रूण को एक महिला के गर्भ में रखा जाता है, उसी प्रकार से ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण को भी पांचवे दिन एक महिला की गर्भाशय में रखा जाता है।
ब्लास्टोसिस्ट स्टेज पर भ्रूण को स्थानांतरित करने के फायदे
भ्रूण को ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण के अवस्था में महिला के गर्भ में रखने के निन्मलिखित फायदे हैं –
- यह प्रक्रिया उच्च विकासात्मक क्षमता और प्रत्यारोपण की बेहतर संभावना वाले भ्रूण की पहचान में सहायता करती है।
- जेनेटिकली स्वस्थ भ्रूण की पहचान भी इस प्रक्रिया से मुमकिन हो जाती है ।
- एकाधिक गर्भधारण की सभावना भी इस प्रक्रिया से अत्यधिक काम हो जाती है।
- ब्लास्टोसिस्ट चरण में भ्रूण को एक महिला के गर्भ में रखने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
- अस्थानिक गर्भधारण की सम्भावना काम हो जाती है।
ब्लास्टोसिस्ट कल्चर की प्रक्रिया
ब्लास्टोसिस्ट कल्चर में निम्नलिखित प्रक्रिया है –
- प्रयोगशाला में भ्रूणविज्ञानी द्वारा भ्रूण के विकास पे निगरानी रखी जाती है।
- ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण को विशेष तरल में थोड़े दिन और रखा जाता है उसके विकास के लिए।
- पांचवे या छाते दिन स्वस्थ ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण को लेके महिला के गर्भ में रख दिया जाता है।
ब्लास्टोसिस्ट कल्चर एक अत्याआधुनिक तरकीब है आईवीएफ में जो निःसंतान जोड़े को माता-पिता बनने में सहायता करता है ।किन्तु, यह अनिवार्य है की जोड़ा अपने आईवीएफ स्पेशलिस्ट से पूरी जानकारी ले इस प्रक्रिया का चयन करने से पहले।
भ्रूम को पांच दिन से अधिक क्यों नहीं रख सकते प्रयोगशाला में ?
भ्रूम को पांच दिन से अधिक न रखने विभिन कारन है –
- ब्लास्टोसिस्ट भ्रूम के प्राकृतिक विकास के लिए अनिवार्य है की उसको पांचवे दिन महीना की गर्भ में रख दिया जाय।
- पांच दिन के आगे रखने से भ्रूम के गुणवत्ता में दिक्कत आ सकती है।
ब्लास्टोसिस्ट कल्चर के लिए अच्छे अस्पताल।
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