एंडोमेट्रियोसिस के लिए सबसे अच्छा इलाज – Best Hindi Health Tips (हेल्थ टिप्स), Healthcare Blog – News


एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) महिलाओं में देखे जाने वाली बीमारी हैं जिसे की महिलाओं में आम समस्या माना जाता हैं। भारत में 2 करोड़ से अधिक महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित हैं। यह समस्या महिलाओं के गर्भाशय (uterus) से सम्बंधित होती हैं तथा यह 18 से 35 साल की उम्र में महिलाओं में उतपन्न होती हैं, एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी गर्भाशय के अलावा अन्य अंगो में भी हो सकती हैं। जब गर्भाशय में मौजूद एंडोमेट्रियम नामक ऊतक (tissue) अनियमित रूप से बढ़ने लगते हैं यानि की गर्भाशय से बाहर फैलने लगते हैं तो एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो जाती हैं।

 

 

 

 

 

अधिकतर देखा गया हैं की एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के लक्षण महिलाएं अक्सर समझ नहीं पाती हैं क्योकि इसके अधिकतर लक्षण मासिक धर्म के दौरान नज़र आते हैं जिसे की सामान्य समझ लिया जाता हैं। डॉक्टर के अनुसार महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस होने पर कुछ इस प्रकार के लक्षण नज़र आते हैं जैसे की-

 

 

  • पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द होना
  • पीरियड्स के दौरान अधिक रक्तस्त्राव होना
  • मल त्याग करने में परेशानी होना
  • बांझपन (Infertility)
  • अधिक थकान, चक्कर आना, कब्ज आदि होना
  • श्रोणि (Pelvis) के हिस्से में दर्द होना
  • यौन-संबंध के समय या बाद में अधिक दर्द होना
  • श्रोणि (Pelvis) में सिस्ट बनना

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी कौन-कौन से अंगो में हो सकती हैं ?

 

 

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी गर्भाशय के अलावा अन्य अंगो में भी हो सकती हैं जैसे की-

 

 

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के कितनी स्टेज होती हैं ?

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के चार स्टेज होती है-

 

 

स्टेज-1: इस स्टेज में श्रोणि (pelvis) की सतह (surface) पर एंडोमेट्रियोसिस छोटे धब्बों की तरह दिखाई देते हैं जिससे जलन और सूजन हो सकती है।

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स्टेज-2 इस दौरान गर्भाशय और मलाशय के बीच के हिस्से में घाव हो जाते हैं,तथा इसमें काले धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण महिला को ओवुलेशन के दौरान श्रोणि में दर्द हो सकता है।

 

स्टेज-3: एंडोमेट्रियोसिस के तीसरी स्टेज में एंडोमेट्रीओमा दिखाई देने लगता है। इस स्थिति में अगर रसौली फट जाती है तो पेट में तेज दर्द और श्रोणि में सूजन महसूस होने लगती हैं।

 

स्टेज-4: एंडोमेट्रियोसिस का आकार एक अंगूर जितना बड़ा हो जाता हैं तथा इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी देते हैं।

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के लिए सबसे अच्छी दवा क्या है? और इसका इलाज किस प्रकार होता हैं ?

 

 

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या हैं जो की महिलाओं में सामान्य होती हैं परन्तु इसका इलाज पूर्णरूप से हो सकता हैं। एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की स्थिति को जानते हैं उसी प्रकार व अच्छी दवा और इलाज का विकल्प चुनते हैं। एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों का उपयोग करते हैं तथा हार्मोनल थेरेपी, सर्जरी के द्वारा भी इसका इलाज संभव हो सकता हैं।

 

 

एंडोमेट्रियोसिस का इलाज किन तरीको से संभव हैं-

 

 

दवाइयाँ (Medicine): एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करने के लिए शुरूआती में डॉक्टर कुछ एंटी- इंफ्लेमेटरी दवाइयों को सेवन करने की सलाह देते हैं। इन दवाइयों का सेवन करने से रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) और दर्द को कम किया जा सकता हैं।

 

हॉर्मोनल थेरेपी: हार्मोनल थेरेपी दवाइयों द्वारा की जाती हैं। हार्मोनल थेरेपी में गर्भनिरोधक दवाइयां भी शामिल होती हैं जो की मासिक धर्म को रोकती हैं जो की घावों से खून बहने को कम करने में मदद करती है परन्तु यह थेरेपी तभी दी जाती हैं जब रोगी गर्भवती न होना चाहे अन्यथा गर्भवती होने में अधिक परेशानी हो सकती हैं।

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हिस्टेरेक्टॉमी: जब एंडोमेट्रियोसिस की समस्या अधिक बढ़ जाती हैं तो डॉक्टर हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी की सलाह देते हैं। इस सर्जरी में गर्भाशय को हटा दिया जाता हैं जिससे कि एंडोमेट्रियोसिस ठीक हो जाता हैं परन्तु प्रेग्नेंट होने में अधिक परेशानी होती हैं।

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल-

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए दिल्ली के अच्छे अस्पताल-

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए गुरुग्राम के अच्छे अस्पताल-

 

 

 

 

एंडोमेट्रियोसिस होने पर ध्यान किस प्रकार रखना चाहिए ?

 

 

एंडोमेट्रियोसिस होने पर मरीज को अपना ध्यान अवश्य रखना चाहिए-

 

 

  • इस समस्या के होने पर अपने खान-पान का ध्यान रखे। अपनी डाइट में ताजे फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें।
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  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं साथ ही नारियल पानी और जूस का सेवन करे। अपने शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखने की कोशिश करें।

 

  • नियमित रूप से व्यायाम करने से एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।

 

  • फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे की- अखरोट आदि का सेवन करें।

 

  • शराब और कैफीन का सेवन न करें। शराब का सेवन करने से महिला में एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ता है।

 

  • एंडोमेट्रियोसिस होने पर आपको विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए।

 

 

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