कहीं ब्रेस्टफीडिंग को लेकर आप भी तो नहीं करते इन मिथकों पर यकीन, जानिए इनका सच


Breastfeeding Myth: बच्चा जब दुनिया में आता है तो उसका पहला आहार मां का दूध (mother milk)ही होता है. मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे के लिए अमृत समान है क्योंकि इसमें बच्चे के शरीर को मजबूत बनाने और बीमारियों से लड़ने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं. मां के दूध को पीकर ही बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है और शायद इसीलिए डॉक्टर पहले छह माह बच्चे को आहार के रूप में मां का दूध प्रेफर करते हैं. आपको बता दें कि स्तनपान (Breastfeeding)को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल एक से सात अगस्त का हफ्ता विश्व स्तनपान दिवस (World Breastfeeding Week)के रूप में मनाया जाता है. इस साल वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक की थीम बहुत ही अनोखी है. ये थीम है – आइए कामकाज के दौरान भी अपने शिशु को स्तनपान करवाएं. आपको बता दें कि आज भी दुनियाभर में ज्यादातर लोग शिशु को स्तनपान करवाने के फायदों से अंजान है और इसी के चलते मांएं अपने बच्चों को स्तनपान करवाने के लिए जागरुक नहीं हो पातीं.  हैल्थ एक्सपर्ट कहते हैं इस संबंध में जानकारी की कमी और कुछ मिथकों के चलते लोग ब्रेस्टफीडिंग की जरूरत और महत्व को नजरंदाज कर बैठते हैं. चलिए जानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग को लेकर क्या मिथ हैं और उनकी क्या सच्चाई है. 

 

 ये हैं ब्रेस्टफीडिंग को लेकर मिथ 

 

क्या बीमारी में स्तनपान करवाना सही है?  

बहुत से लोग ये सोचते हैं कि अगर मां बीमार है तो उसका दूध पीकर बच्चा बीमार हो सकता है. इसलिए जब मां बीमार  होती है तो बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाना बंद कर देती है. ये एक मिथ है. अगर मां बीमार भी है तो उसे बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाना चाहिए. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि मां के बीमार होने पर दूध पीने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. 

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ब्रेस्टफीड से पहले निप्पल धोना है मिथ  

ब्रेस्टफीड से पहले निप्पल को धोने की बात करना भी एक मिथ है. ये कतई जरूरी नहीं है. दरअसल बच्चे मां की गंध से परिचित होते हैं. निप्पल को सूंघकर बच्चे मां को पहचानते हैं और इसके आस पास गुड बैक्टीरिया होते हैं जो बच्चे के शरीर में जाने पर उसे फायदा पहुंचाते हैं. इसलिए हाइजीन के नाम पर निप्पल धोना महज मिथ है. 

 

ब्रेस्ट फीड करवाने वाली मां को सादा भोजन करना जरूरी 

कई बार कहा जाता है कि बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को बहुत सादा भोजन करना चाहिए. ये भी एक मिथ ही है. ब्रेस्टफीड के दौरान खान पान और डाइट में खास बदलाव की जरूरत नहीं होती है. बच्चे को मां के भोजन से ही पोषण मिलता है और इस दौरान डाइट में गलत बदलाव नही होना चाहिए. हां इतना जरूरी है कि मां अपनी सेहत का भी ख्याल रखे क्योंकि उसका सेहतमंद रहना बच्चे के लिए जरूरी है. 

 

एक्सरसाइज से दूध के स्वाद पर फर्क पड़ता है  

एक्सरसाइज से मां के दूध के स्वाद पर फर्क पड़ने की बात भी बिलकुल गलत है. एक्सरसाइज का ब्रेस्टफीड या दूध के स्वाद से कोई संबंध नहीं होता. दूध पीने वाले बच्चे की मां को भी अपनी सेहत को अच्छा रखने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करना चाहिए. वो जितना एक्टिव रहेगी, उतनी ही सेहतमंद रहेगी.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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