कैसे हवा को बता दिया जाता है जहरीला, कितनी प्रदूषित हवा में जी सकता है इंसान?


हमारे देश में हवा के प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसे कई बार हम सुनकर अनसुना कर देते हैं. कई बार हम इसपर ध्यान नहीं देते, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनुष्य के शरीर में प्रदूषित हवा के चलते कौन-कौन से बीमारियां जन्म ले सकती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक प्रदूषित हवा का असर सिर्फ हमारे फेफड़ों में ही नहीं पड़ता बल्कि हृदय, किडनी, लिवर और पाचन तंत्र पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. शरीर की रक्त कोशिकाएं, धमनियां और शिराएं भी इस प्रदूषित हवा से अछूती नहीं रह पातीं.

जिसका कारण है कि जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं तो ये सांस से होते हुए हमारे खून तक पहुंच जाती है और फिर उसके जरिए हमारे शरीर के बाकी अंगों तक. यही कारण है कि जहरीली हवा कई लोगों की मौत का कारण भी बन जाती है.

AQI है क्या?
पहले ये समझ लेते हैं कि एक्यूआई है क्या. दरअसल एक्यूआई प्रदूषण को मापने का एक थर्मामीटर है. जिसके जरिए हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और पोल्यूटेंट्स की मात्रा को चेक किया जाता है. बता दें हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, एक्यूआई का स्तर भी उतना ही ज्यादा होता है. वहीं एक्यूआई का स्तर जितना ज्यादा होगा, हवा भी उतनी ही खतरनाक होगी.

कितनी जहरीली हवा शरीर को पहुंचाती है नुकसान?
200 से ज्यादा एक्यूआई खराब और उससे और ज्यादा बेहद खराब की श्रेणी में आता है. हालांकि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में एक्यूआई का स्तर 400-500 से ऊपर पहुंच गया है. इस स्तर के एक्यूआई में सांस लेने पर लोगों को सांस लेने में परेशानी और खांसी चलने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही एक्यूआई का ये स्तर कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म देता है. साथ ही ये जहरीली हवा आपके शरीर के कई अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.      

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