पीसीओडी, या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Disease) महिलाओं में होने वाली एक हार्मोनल समस्या है। यह अंडाशय में छोटे-छोटे तरल पदार्थों से भरे थैली बनने का कारण बनता है, जिससे अनियमित मासिक धर्म, मुँहासे, वजन बढ़ना और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में लगभग 10-20% महिलाएं पीसीओडी से पीड़ित हैं। यह महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है, यह जानना महत्वपूर्ण है कि पीसीओडी एक आम समस्या है, और यह पूरी तरह से इलाज योग्य नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपको पीसीओडी हो सकता है, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
पीसीओडी की समस्या होने के निम्नलिखित कारण होते हैं जैसे की-
- जेनेटिक: यदि परिवार में किसी भी महिला को पीसीओडी की समस्या रही हो तो वह आगे भी हो सकती हैं।
- हार्मोनल असंतुलन: पीसीओडी का एक मुख्य कारण है। पीसीओडी में हार्मोन्स के असंतुलन के कारण अंडाशय में सिस्ट बन सकते हैं और मासिक धर्म अनियमित हो सकता है।
- अधिक मोटापा: मोटापा पीसीओडी के विकास के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।
- एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस के कारण भी महिलाओ में पीसीओडी की समस्या उतपन्न हो सकती हैं।
- अधिक तनाव: महिलाओं के अंदर अधिक तनाव होने से भी वह पीसीओडी का शिकार हो सकती हैं।
महिलाओं में पीसीओडी के लक्षण किस प्रकार नज़र आते हैं ? (mahilao main PCOD Ke Lakshan Kya hote Hain in Hindi)
महिलाओं में कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिनसे कि पीसीओडी की समस्या का पता लग जाता हैं। महिलाओं में पीसीओडी की समस्या आम होती हैं इसके चलते उसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। महिलाओं में पीसीओडी के लक्षण कुछ इस प्रकार दिखते है जैसे की-
- अनियमित पीरियड्स आना
- पीरियड्स का बिलकुल बंद हो जाना
- वजाइना से ज्यादा ब्लीडिंग होना
- मूड़ का बदलते रहना
- कंसीव करने में समस्या आना
- हार्मोन में असंतुलन
- वजन बढ़ना शुरू होना
- चेहरे पर मुहांसो का आना
- चेहरे पर तेजी से बाल आना
- पेट, जांघ और छाती पर बाल बढ़ने लगना
- बालों का झड़ना
- पेल्विक दर्द होना
- हाई ब्लड प्रेशर
- चेहरे की स्किन का ऑयली होना
- थकान होना
- बाल पतले होना
- बांझपन
- सर दर्द होना
- नींद ना आना
- डायबिटीज टाइप-1 का होना
- ओवरी में गांठ बन जाना
पीसीओडी की समस्या कितने दिनों में ठीक होती हैं ? (PCOD Ki samsya kitne dino main thik Hoti Hain in Hindi)
पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक जटिल विकार है, और इसकी समस्याएं पूरी तरह से ठीक नहीं होती हैं। लेकिन, पीसीओडी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और उपचार से महिलाओं को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है। कई महिलाओं को कुछ हफ्तों या महीनों में लक्षणों में सुधार दिखाई दे सकता है, जबकि अन्य को अधिक समय लग सकता है, परन्तु यह समस्या 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती हैं।
पीसीओडी की प्रॉब्लम को प्राकृतिक उपचार से कैसे ठीक करे | (PCOD ki problem ko gharelu upay se kaise thik kare in Hindi)
पीसीओडी की समस्या को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए महिलाओं को डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय भी करने चाहिए जैसे की-
पुदीने की चाय: पुदीने की चाय पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में एण्ड्रोजन के स्तर को कम करती है। पीसीओडी से परेशान महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन जैसे एण्ड्रोजन की मात्रा अक्सर बढ़ जाती है। पुदीने की चाय आपके हार्मोन को बैलेंस करने और पीरियड्स को नियमित करने के लिए बहुत फायदेमंद चायों में से एक है। इसका एंटी-एंड्रोजेनिक प्रभाव होता है।
अंजीर: अंजीर आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, जिंक और मिनरल्स का बहुत अच्छा स्रोत है। इसके सेवन से न केवल पीसीओडी की समस्या में राहत मिलती है बल्कि यह आपके पीरियड्स को भी रेगुलर करता है।
तिल के बीजों: तिल के बीजों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन ई होता है जो महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन उत्पादन बढ़ाता है और पीसीओडी लक्षणों से निपटने में मदद करता है।
दालचीनी: दालचीनी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसको लेने से शरीर की कई समस्याएं आसानी से दूर होती हैं। पीसीओडी की समस्या होने पर दालचीनी का सेवन करने से इस बीमारी से निजात पाया जा सकता हैं।
मुलेठी: मुलेठी के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आती है और पीरियड्स भी समय पर होते हैं। यह शरीर के लिए अधिक फायदेमंद भी रहती हैं।
तुलसी: औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। तुलसी का सेवन करने से अनियमित पीरियड्स और पीसीओडी की समस्या आसानी से ठीक होगी।
सेब का सिरका: सेब का सिरका सेहत की कई परेशानियों को आसानी से दूर करता हैं। पीसीओडी की समस्या होने पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
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