आजकल के इस दौर में मनुष्य को हड्डियों से सम्बंधित बीमारी होना सामान्य हैं परन्तु इसका समाधान करना भी बहुत आवश्यक हैं। स्वस्थ जीवनशैली के लिए मनुष्य की हड्डियों का मजबूत होना चाहिए। इन हड्डियों से सम्बंधित जुडी हुई एक बीमारी जिससे स्लिप डिस्क कहा जाता हैं यह बीमारी अधिकतर बुजुर्गो में पायी जाती हैं परन्तु दुनिया की भाग-दौड़ के बीच यह बीमारी कई छोटी उम्र वाले लोगो में भी नज़र आने लगी हैं।
पिछले कुछ दशकों में जीवनशैली के परिवर्तन होने के कारण यह बीमारी अधिकतर लोगो में नज़र आने लगी हैं इसका कारण यह कह की व्यक्तियों के शारीरिक सक्रियता बहुत कम हुई हैं। स्लिप डिस्क जैसी बीमारी महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में देखने को मिलती हैं।
व्यक्ति के रीढ़ की हड्डियों में मौजूद हड्डियों को सहारा देने के लिए छोटे -छोटे गद्देदार डिस्क होती हैं यह रीढ़ की हड्डियों को लचीला रखती हैं परन्तु अगर यह डिस्क क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो यह सूज या फिर टूट कर खुल सकती हैं जिसे स्लिप डिस्क कहते हैं। डिस्क के क्षतिग्रस्त होने का यह मतलब होता हैं की वह अपनी जगह से आगे बढ़ गयी हैं ये फिर फूल गयी हैं। स्लिप डिस्क को स्पाइनल डिस्क हर्नियेशन के नाम से भी जाना जाता हैं।
स्लिप डिस्क के प्रकार।
मुख्य रूप से स्लिप डिस्क के तीन प्रकार के होते हैं।
सर्वाइकल स्लिप डिस्क(cervical slip disc): सर्वाइकल का दर्द सामान्य होता हैं परन्तु यह दर्द अगर अधिक बढ़ता हैं तो सर्वाइकल स्लिप डिस्क जैसी समस्या हो सकती हैं इसका दर्द अधिकतर गर्दन में तथा दोनों कंधो में , सिर के पिछले भाग में होता हैं।
लम्बर स्लिप डिस्क (lumbar slip disc): लम्बर स्लिप डिस्क तब होता हैं जब दर्द रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में हो और इसकी वजह से पीठ के निचले हिस्से में तथा जांघ और पैर तथा पैरो की उंगलियों में भी अधिक दर्द होना शुरू हो जाए।
थोरेसिक डिस्क स्लिप(thoracic disc slip): थौरेसिक स्लिप डिस्क तब होता हैं जब रीढ़ की हड्डी के बीच के हिस्से में आस-पास दबाव पड़ता हैं जिसकी वजह से गर्दन तथा रीढ़ की हड्डी से लेकर पैरो के पंजो तक अधिक दर्द होने लगे।
स्लिप डिस्क के लक्षण क्या होते हैं ?
स्लिप डिस्क होने के लक्षण हर व्यक्ति को सामान्य नहीं होते ,सभी को इस बीमारी का अनुभव अलग- अलग होता हैं। स्लिप डिस्क तंत्रिकाओं और मांसपेशियों पर और इनके आस -पास आसामन्य रूप से दबाव डालते हैं। अगर किसी मनुष्य को इस प्रकार के लक्षण अपने शरीर में महसूस हो तो तुरंत ही डॉक्टर से जाँच कराये। लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।
- मांसपेशियों के कमजोर होने से भी यह बीमारी हो सकती हैं |
- रात में अधिक दर्द बढ़ जाना तथा कुछ गतिविधियों में ज्यादा दर्द होना।
- प्रभावित क्षेत्र में झुनझुनी ,दर्द या फिर जलन का अधिक होना।
- खड़े होने या फिर बैठने के दौरान दर्द का बढ़ना।
- शरीर के एक तरफ या फिर कभी -कभी दोनों तरफ दर्द होना।
- गर्दन तथा कमर में अधिक दर्द होना।
अधिकतर यह दर्द सभी मनुष्य को सामान्य लग सकता हैं क्योंकि कामकाज की भाग-दौड़ में लोगों का अपनी सेहत पर ध्यान कम जाता हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को बताये गए लक्षणों जैसा महसूस हो तो इसे सामान्य दर्द समझकर नज़रअंदाज़ न करे बल्कि डॉक्टर से जाँच कराये और इसका इलाज सही समय पर कराये।
स्लिप डिस्क होने के क्या कारण हैं ?
स्लिप डिस्क होने के कई कारण हो सकते हैं यह एक रीढ़ की हड्डी से जुड़ा रोग हैं तो रीढ़ की हड्डी या उसके आस – पास कोई भी नुकसान होने से यह बीमारी हो सकती हैं।हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में मौजूद डिस्क अलग-अलग गतिविधियों में लगने वाले झटकों से बचाती हैं जिसकी वजह से स्लिप डिस्क कमजोर हो जाती हैं। स्लिप डिस्क होने के कारण कुछ इस प्रकार हैं।
यदि अगर कोई भी व्यक्ति किसी कारणवश पीठ के बल गिरता हैं या फिर किसी हादसे में रीढ़ की हड्डी या फिर उसके आस – पास चोट लगती हैं तो उसके कारण भी यह बीमारी होती हैं।
- किसी भारी वस्तु को गलत ढंग से उठाने से भी यह परेशानी हो सकती हैं।
- शरीर का अधिक भारी होना मनुष्य के निचले के हिस्से पर दबाव डालता हैं जिसकी वजह से स्लिप डिस्क कमजोर हो जाती हैं।
- व्यक्ति की उम्र जितनी बढ़ती जाती हैं उसी प्रकार स्लिप डिस्क कमजोर हो जाती हैं इस स्थिति में डिस्क के आगे बढ़ने की संभावना अधिक होती हैं।
- गलत तरीको से व्ययाम करने के कारण।
- कुछ लोगों को स्लिप डिस्क जैसी बीमारी अनुवांशिक होती हैं।
- अचानक झटका लगने या फिर धक्का लगने से भी स्लिप डिस्क अपनी जगह से आगे हो जाती हैं।
स्लिप डिस्क का इलाज। (Slip disc treatment in Hindi)
स्लिप डिस्क का इलाज कई तरीको से किया जा सकता हैं परन्तु पूरी तरह से ठीक होने के लिए डॉक्टर की सलाह तथा उनके द्वारा दी गयी दवाइयों का सेवन करना ही सबसे उचित होगा। सबसे पहले डॉक्टर द्वारा जाँच कराई जाती हैं ताकि इस बीमारी का इलाज उसके अनुसार हो जाये।
दवाइयाँ(medicine): डॉक्टर के पास इलाज करवाने से वह आपको दर्द निवारक कुछ दवाइयों का सेवन करने के लिए कहते हैं ऐसा तब होता हैं जब स्लिप डिस्क बीमारी सामान्य हो ताकि वह दवाइयों से खत्म हो जाये।
फिजियोथेरेपी(physiotherapy): दूसरी सलाह डॉक्टर आपको फिजियोथेरेपी की देते हैं इसमें यह होता हैं की आपको दवाइयों के साथ -साथ कुछ व्ययाम भी करना होता हैं जो की डॉक्टर खुद बताते हैं।
ओपन सर्जरी(open surgery):अगर मरीज को दवाइयों और फिजियोथेरेपी के कई महीनो बाद भी आराम नहीं होता हैं तो डॉक्टर ओपन सर्जरी की मदद लेते हैं इस सर्जरी में पूरी डिस्क को न निकालकर सिर्फ क्षतिग्रस्त हिस्से को निकाल दिया जाता हैं।
स्लिप डिस्क के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल। (Best Hospitals For Slip Disc Treatment in hindi)
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल द्वारका, दिल्ली
- बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली
- सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, नई दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, नई दिल्ली
- वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग, नई दिल्ली
- फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढाल हॉस्पिटल, वसंत कुंज, नई दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटपड़गंज, नई दिल्ली
- प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- धर्मशीला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
- मेडोर अस्पताल, कुतुब, नई दिल्ली
- संत परमानंद अस्पताल, नई दिल्ली
- ब्लैक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली
- रेनबो हॉस्पिटल, दिल्ली
यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।
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