आजकल के समय में बच्चे अपने खान-पान पर बिलकुल ध्यान नहीं देते जिसकी वजह से उन्हें कई बीमारियाँ भी हो जाती हैं। अधिकतर जो थइराइड होता हैं वह बड़ो और बुजुर्गो में देखा जाता हैं परन्तु यह बीमारी बच्चों में भी देखी जा सकती हैं। माना जाता हैं की थायराइड जेनेटिक हो तो यह भी बच्चों पर असर करता हैं। बच्चों के खानपान पर ध्यान देना अधिक आवश्यक होता हैं यदि ऐसा न हो तो उन्हें कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
थायराइड गले में मौजूद तितली के आकर की एक ग्रंथि होती हैं। यह ग्रंथि हॉर्मोन (टी3 और टी 4) का निर्माण करती हैं। थायराइड हॉर्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रण मैं रखता हैं। शरीर की सभी कोशिकाओं को ठीक से काम करने में थायराइड हॉर्मोन की आवश्यकता होती हैं।
1. ह्यपरथायरॉइडिज़्म: ह्यपरथायरॉइडिज़्म के कारण T4 और T3 हॉर्मोन (hormone) आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता हैं। जब इन हॉर्मोन का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगे तो शरीर ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता हैं।इसे ही ह्यपरथायरॉइडिज़्म कहते हैं।
ह्यपरथायरॉइडिज़्म के लक्षण बच्चों में कुछ इस प्रकार के होते हैं –
- चिड़चिड़ा हो जाना।
- धड़कनो का बढ़ना।
- वजन अधिक कम होना।
- साँस लेने में तकलीफ।
- थकान महसूस होना।
- आँखों के आसपास सूजन।
- पेट खराब हो जाना।
- गर्मी अधिक लगना।
2. हाइपोथायरायडिज्म: इस स्थति में थायरॉइड ग्रंथि जरुरत से कम मात्रा में थायरॉइड हार्मोन को डिस्चार्ज करती हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण बच्चों में कुछ इस प्रकार दिखते हैं –
- विकास धीमी गति से होना।
- कब्ज की शिकायत होना।
- देर से दांतो का आना।
- काम करने में अधिक सुस्ती।
- बालों का अधिक झड़ना।
- वजन का बढ़ना।
- लड़कियों को अनियमित पीरियड्स होना।
- आवाज़ में कर्कश होना।
- याददाश्त कमजोर हो जाना।
- स्किन का रुखा होना।
बच्चों में थायराइड होने के क्या कारण होते हैं ?
बच्चों में थायराइड होने के कारण कुछ इस प्रकार होते हैं जैसे की –
- प्रीमैच्योर बेबी जो डाउन सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित होते हैं, उन्हें जन्मजात थायराइड की समस्या हो सकती हैं।
- ऑटोइम्यून थायराइड से माँ के द्वारा बच्चों को भी थायराइड हो सकता हैं।
- यदि बच्चे IVf की मदद से हुए हो तो उन बच्चों को भी थायराइड होने का खतरा बना रहता हैं।
- आयोडीन युक्त आहार की कमी के कारण बच्चों को थायराइड की समस्या हो सकती हैं।
- हाशिमोटो थायरोडिटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी हैं, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉयड ग्रंथि को क्षति पहुंचाने का काम करता है, जिससे थायरायड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाती है।
- यदि बच्चे सही मात्रा में खानपान न ले तो वो भी एक कारण बन सकता हैं।
बच्चों में थायराइड के इलाज किस प्रकार होते हैं ?
बच्चों में थायराइड की बीमारी को अधिक गंभीर माना जाता हैं इस बीमारी के लिए डॉक्टर के पास जाना बहुत आवश्यक होता हैं तथा बच्चों के थायराइड का इलाज दवाइयों द्वारा किया जाता हैं तथा हॉर्मोन की कमी के कारण डॉक्टर हॉर्मोन रिप्लेसमेंट का सुझाव भी देते हैं। यदि बच्चों में थायराइड की परिस्थिति अधिक गंभीर हो जाती हैं तो वह दवाइयों के साथ-साथ रेडियोआयोडिन थेरेपी तथा सर्जरी का विकल्प भी चुनते हैं। अधिकतर डॉक्टर बच्चों में थायराइड की बीमारी को दवा से ही खत्म करने की कोशिश करते हैं यदि किसी प्रकार की सर्जरी या फिर थेरेपी की जाये तो वह आगे उनकी जीवनशैली पर प्रभाव डाल सकती हैं।
बच्चों में थायराइड के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल –
बच्चों में थायराइड के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल –
बच्चों में थायराइड के इलाज के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल –
बच्चों में थायराइड के इलाज के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल।
- शारदा अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- यथार्थ अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- बकसन अस्पताल ग्रेटर नोएडा
- जेआर अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- प्रकाश अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- शांति अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- दिव्य अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप नम्बर (+919599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।
बच्चों को थायराइड मैं क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ?
थायरॉइड की बीमारी में अगर सुधार करना हो तो इलाज के साथ साथ रोगी को अपने खान – पान पर भी ध्यान देना चाहिए। किन – किन चीज़ो का सेवन करे तथा किन- किन चीज़ो का सेवन न करे थायरॉइड को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता परन्तु इससे नियंत्रण में रखा जा सकता हैं जिसके लिए क्या करे किस तरह की चीज़ो का सेवन करें –
- खाना बनाने के लिए ऑलिव आयल यानि जैतून का तेल या नारियल के तेल का इस्तेमाल करें।
- जंक फ़ूड जैसे की – बर्गर , पिज़्ज़ा , अन्य चाट सॉफ्ट ड्रिंक आदि का सेवन कुछ समय तक बंद कर दे।
- पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्ज़ी , फल , जूस आदि का सेवन थायरॉइड वाले रोगी के लिए जरूरतमंद हो सकते हैं।
- थायरॉइड की समस्या में दूध का सेवन कम से कम करना चाहिए।
- मछली तथा मीट का सेवन अधिक करें।
- थायरॉइड मैं बच्चों को सुबह के समय चाय का सेवन नहीं करना चाहिए यह उनके लिए अधिक हानिकारक हो सकता हैं।
थायरॉइड जैसी बीमारी मुख्य रूप से अस्वस्थ खान – पान के कारण होती हैं यदि किसी बच्चे को थायरॉइड की बीमारी हो तो उसे खान – पान पर ध्यान देने के साथ – साथ डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए ताकि वह बच्चे के शरीर में हुए थायरॉइड की जाँच करे और उस बीमारी से लड़ने के लिए दवाइओं की सलाह दें। थायरॉइड एक ऐसी बीमारी हैं जिसकी जाँच रोगी को हर 6 महीने में करानी चाहिए तथा डॉक्टर से परामर्श होने चाहिए।
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