बेरी-बेरी रोग के लक्षण – Best Hindi Health Tips (हेल्थ टिप्स), Healthcare Blog – News


बेरी-बेरी एक बीमारी है जो विटामिन बी 1 की कमी के कारण होती है, जिसे आम भाषा में विटामिन बी 1 और थायमिन (Thiamine) की कमी के नाम से भी जाना जाता है। बेरी-बेरी का अर्थ है – “चल नहीं सकता”। बेरी-बेरी रोग की कमी के कारण दिल और दिमाग में बहुत सारी समस्याएँ पैदा हो सकती है। संसार के जिन क्षेत्रों में चावल मुख्य आहार है, उनमें यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है।

 

थायमिन (Thiamine) एक आवश्यक पोषक तत्व है। जिसका उपयोग कोशिकाओं द्वारा भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करने के लिए किया जाता है। जो व्यक्ति थायमिन (Thiamine) से संपन्न खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जैसे की यीस्ट, ​कई अनाज, अखरोट और मांस आदि। उनमें बेरी-बेरी रोग उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम होती है।

 

 

 

बेरी-बेरी (Beri-Beri) दो प्रकार का होता है। 

 

  • सूखी बेरी-बेरी

 

  • गीली बेरी-बेरी

 

 

 

बेरी-बेरी रोग के लक्षण – (Symptoms of Beri-Beri Disease)

 

 

सूखी बेरी-बेरी (Beri-Beri) के लक्षण गीली बेरी-बेरी से अलग होते हैं। शुष्क बेरी-बेरी के लक्षण इस प्रकार हैं:

 

  • चलने में परेशानी

 

  • उल्टी करना

 

 

 

  • बोलने में परेशानी

 

 

 

 

 

गीली बेरी-बेरी (Beri-Beri) के लक्षणों में शामिल हैं:

 

 

  • रात को सोते समय अचानक सांस लेने में तकलीफ होना।

 

  • पैरों में सूजन आना।

 

  • दिल की धड़कन अचानक से तेज हो जाना।

 

 

  • सांस फूलना।

 

थायमिन (Thiamine) की कमी के कारण होने वाली दो अलग-अलग प्रकार की बीमारियां हैं, जो मस्तिष्क क्षति के रूप में जानी जाती हैं।

 

 

 

बेरी-बेरी रोग के प्रकार।

 

 

बेरी-बेरी (Beri-Beri) रोग लक्षणों के आधार पर मुख़्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

 

1 आर्द्र बेरी-बेरी (Wet Beri-Beri) – यह बेरी-बेरी का अधिक गंभीर रूप है और यह हृदय प्रणाली (Cardiovascular System) को प्रभावित करता है। यह तेजी से दिल की धड़कन, सांस की तकलीफ जैसे लक्षणों का कारण बनता है।

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2 ड्राई बेरी-बेरी (Dry Beri-Beri) – सूखी बेरीबेरी एक ऐसी स्थिति है जो तंत्रिकाओं (Nerve) के कार्य को प्रभावित करती है। यह मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और अंगों में झुनझुनी और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण पैदा करता है। सूखी बेरी-बेरी का इलाज न होने पर यह जानलेवा भी हो सकता हैं। गीली बेरी-बेरी के मुकाबले में सूखी बेरी-बेरी का इलाज करना आसान होता हैं।

 

 

बेरी-बेरी रोग के कारण – (Cause of Beri-Beri Disease)

 

बेरी-बेरी (Beri-Beri) ज्यादातर विकाशील देशो में पाया जाता हैं। जहा लोगो को भरपूर आहार नहीं मिल पाता हैं, बेरी-बेरी का मुख्य कारण विटामिन बी 1 या थायमिन के भरपूर आहार का कम मात्रा में सेवन करने से हैं। बेरी-बेरी का रोग अधिकतर उन देशो के लोगो को ज्यादा प्रभावित करता हैं, जहाँ थायमिन (Thiamine) में आहार की कमी और खाने में सफ़ेद चावल कम मात्रा में पाये जाती हैं। जो थायमिन को नष्ट कर देता हैं।

 

बेरी-बेरी (Beri-Beri) का कारण बनने वाली अन्य स्थितियां शामिल हैं:

 

 

 

  • विटामिन बी 1 की कमी से बेरी-बेरी रोग उत्पन्न होता हें, वैसे यह बीमारी बहुत कम पाई जाती हैं, क्योंकि भोजन में विटामिन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।

 

  • जो लोग किडनी डायलिसिस से गुजर रहे हैं उन्हें भी यह रोग लगने की संभावना रहती है।

 

  • यह बीमारी उन लोगो के लिए भी अधिक खतरनाक साबित हो सकती हैं जो पानी बहुत कम पीते हैं।

 

  • लंबे समय तक दस्त का रहना जिसकी वजह से पानी की कमी होने लगती हैं, और विटामिन बी 1 की कमी से ये रोग उत्पन्न होने लगता हैं।

 

  • गर्भवती महिलाओं में अक्सर विटामिन बी 1 की कमी पाई जाती हैं, यदि गर्भवती महिला में विटामिन बी 1 की कमी हो तो स्तनपान कराते समय यह बच्चे के शरीर में पहुंच सकता है। इसके कारण छोटे बच्चों को भी यह बीमारी हो जाती है।

 

जो लोग सबसे ज्यादा शराब का सेवन करते हैं, उनके शरीर में कमजोरी भी आ सकती हैं। अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से विटामिन बी 1 की बीमारी अधिक मात्रा में पायी जाती हैं।

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बेरी-बेरी रोग का इलाज – (Treatment of Beri-Beri Disease)

 

 

जब किसी व्यक्ति मे बेरी-बेरी का रोग उत्पन्न होता है, तो इसका इलाज बहुत ही आसान तरीके से किया जा सकता हैं। आहार में विटामिन के दैनिक सेवन को बढ़ाकर रक्त कोशिकाओं में थायमिन (Thiamine) के स्तर को बदलकर इस बीमारी को ठीक किया जा सकता हैं। जब बेरी-बेरी (Beri-Beri) रोग होने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो डॉक्टर रोगी को बचाने के लिए सबसे पहले थायमिन आहार लेने की सलाह देते हैं। आहार में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:

 

  • सरसो के बीज
  • फलियाँ
  • मछली
  • दही
  • मांस
  • अंडे
  • सब्जियाँ

 

यदि बेरी-बेरी (Beri-Beri) रोग बढ़ गया हैं तो डॉक्टर मरीज का इलाज थायमिन की खुराक देकर किया जाता हैं, जो अधिकतर इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। आहार और दवाओं के साथ-साथ, रोगियों को अनुवर्ती रक्त जाँच की भी सलाह दी जाती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि शरीर विटामिन को कितनी अच्छी तरह अवशोषित कर रहा है।

 

 

 

बेरी-बेरी रोग से बचाव के उपाय – (Measures to Prevent Beriberi Disease)

 

 

बेरी-बेरी (Beri-Beri) रोग की बीमारी को रोकने के लिए महतवपूर्ण उपाय पौष्टिक आहार की आवश्यकता हो सकती हैं जिसमे सेम, नट्स , कुछ हरी सब्जियाँ और थायमिन युक्त अनाज जैसे भोजन शामिल हों। शराब को कम मात्रा में पिने से बेरी-बेरी रोग का खतरा भी कम होने लगता हैं। कॉफी और चाय ऐसे पदार्थ जो शरीर द्वारा थायमिन (Thiamine) के अवशोषण को प्रतिबंधित कर सकते हैं। अतः बेरी-बेरी की स्थिति में इन चीज़ो के सेवन से बचना चाहिए।

 

 

 

बेरी-बेरी रोग के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल।

 

 

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