भारत में ऑर्गन डोनेट करने के क्या हैं कानून? कैसे कर सकते हैं अंग दान, जानें…


Organ Donate: “हमारे बीच ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो जीवन के अंत के बाद भी समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाते हैं और इसके लिए उनका माध्यम अंगदान होता है. हाल के वर्षों में देश में एक हजार से अधिक लोग ऐसे रहे हैं, जिन्होंने मृत्यु के बाद अपने अंगों का दान कर दिया. आज देश में बहुत से संगठन भी इस दिशा में बढ़िया प्रयास कर रहे हैं’.’ ये शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं, जो उन्होंने हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए कहा. 

अंग दान एक तरह का जीवनदान है, जहां व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपने अंग को किसी और शरीर के लिए दान देकर किसी की जान बचा सकता है. भारत में अंगदान का चलन बहुत कम है. ऑर्गन डोनेशन इंडिया के डेटा के अनुसार, हर साल 500,000 लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत है, जबकि सिर्फ 52,000 ऑर्गन उपलब्ध हैं. हर साल 200,000 कॉर्निया डोनेशन की जरूरत है, ताकि नेत्रहीनों के जीवन में उजाला हो सके. लेकिन उपलब्ध सिर्फ 50,000 हैं. माने प्रत्येक 4 में से 3 व्यक्ति आंखों की रौशनी के लिए डोनेशन का इंतजार कर रहा है. आइए इससे जुड़े कुछ जरूरी पहलू पर बात करते हैं. 

अंगदान क्या है – 

अंगदान यानि एक जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर के किसी अंग विशेष को निकालकर उसे जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट करना है. इस लिहाज से शाब्दिक तौर पर अंगदान कर रहा व्यक्ति डोनर कहलाता है और उसे प्राप्त कर रहा व्यक्ति रिसीवर. विज्ञान के इस विकसित दौर में हमारे शरीर के कुछ अंग ऐसे होते हैं जिनके खराब होने पर उन्हें रिप्लेस करके उसकी जगह दूसरा अंग लगाया जा सकता है. जैसे कि हार्ट, लिवर, किडनी, पैंक्रियाज, आंखों की कॉर्निया. किडनी वगैरह जीवित रहते हुए भी दान किए जा सकते हैं, जबकि कुछ अंग मृत्यु के तुरंत बाद कुछ घंटों तक काम करते रहते हैं, यदि उस दौरान उन अंगों को निकालकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है

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शरीर का कौन सा अंग कब तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है – 

1. हार्ट – मृत्यु के 4 से 6 घंटे के भीतर 
2. किडनी – मृत्यु के 30 घंटे के भीतर 
3. आंत – 6 घंटे के भीतर 
4. पैंक्रियाज – 6 घंटे के भीतर 

भारत में अंगदान को लेकर कैसे कानून हैं

भारत में मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांट और उसके रखरखाव के लिए ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू एक्ट (Transplantation of Human Organs & Tissues Act) वर्ष 1994 में पास हुआ था. इसके साथ-साथ यह कानून मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान लागू करना निश्चित करता है. 

इस कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना उसकी मौत का प्रमाण है, इसके बाद उसके परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंगों और टिशू को डोनेट और ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं. कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवाइजरी बॉडी इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है.  इस कानून के मुताबिक, लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है, पैसे लेकर खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए इस कमेटी का गठन किया गया है. 

कैसे करें अंगदान

इसके दो तरीके हैं. मृत्यु से पहले और मृत्यु के बाद. जीवित रहते हुए लिवर, किडनी जैसे अंग डोनेट किए जाते हैं. लेकिन इसके लिए रिसीवर आपके परिवार का नजदीकी व्यक्ति जैसे माता-पिता, भाई-बहन, पति- पत्नी वगैरह होने चाहिए. मृत्यु के बाद अंगदान के लिए, बॉडी किसी आधिकारिक मेडिकल संस्थान को दान कर सकते हैं. 

इसके अलावा इसके कुछ कागजी प्रोसेस हैं

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अगर आप अंगदान करना चाहते हैं तो सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर डोनर का फॉर्म भरें. ये फार्म बिल्कुल मुफ्त है. फार्म भरने के बाद इसपर दो विटनेस के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं, जिसमें एक आपका करीबी होना चाहिए. फार्म भरने के बाद आपको एक डोनर कार्ड इशू किया जाता है, आपके डोनर होने की सूचना आपके परिवार और करीबी लोगों को होनी चाहिए तभी वे आपको किसी इमरजेंसी में कंसीडर कर पायेंगे. अगर पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं किया है और इसके बावजूद डोनेट करना चाहते हैं तो परिवार की स्वेच्छा से बॉडी को किसी ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने वाली संस्थान को डोनेट किया जा सकता है. जिसके लिए एक पैकेट फॉर्म भरना होता है. 

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