मिर्गी लड़कियों और महिलाओं के लिए एक बड़ा सामाजिक अभिशाप, दुनिया भर में इसके लाखों मरीज


एपिलेप्सी जिसे आम बोलचाल की भाषा में मिर्गी भी कहते हैं, में लोगों को दौरा पड़ता है, हाथ-पांव में कड़कपन आ जाता है और उसके होश चले जाते हैं. इस स्थिति में मुंह से झाग तक आने लग जाता है. हालांकि, मिर्गी एक तरह का सिर्फ दौरा भर नहीं है बल्कि मरीजों में अलग-अलग तरह के कई दौरे होते हैं. वे भी एपिलेप्सी यानी मिर्गी के तहत ही आते हैं.  मिर्गी कोई संक्रमण की बीमारी नहीं है. मिर्गी होने की कोई तय उम्र नहीं होती है लेकिन ज्यादातर ये समस्या युवा जनरेशन में ज्यादा देखी जा रही है. एपिलेप्सी आज के समय में बहुत ही गंभीर समस्या बनती जा रही है. मिर्गी एक ऐसी समस्या है जो कई कारणों से हो सकती है जिसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहा जाता है जो जेनेटिक भी हो सकती है या और भी कई कारणों से ट्रिगर होता है. 

ये बीमारी दुनियाभर के देशों में है और इसके मरीजों की संख्या की अच्छी-खासी तादाद में है. ऐसा नहीं है कि मिर्गी वाले मरीज सिर्फ डेवलपिंग कंट्री में और डेवलप्ड कंट्री में हैं या नहीं है, बल्कि ये सभी देशों में है. बहुत से लोग मिर्गी को नहीं पहचान पाते हैं. कुछ लोग गांव-देहात में इसे ऊपरी हवाओं का चक्कर भी मानने लग जाते हैं और फिर उसी हिसाब से उसका इलाज करने में लग जाते हैं.

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एपिलेप्सी का आज की तारीख में बहुत ही अच्छे तरीके से इलाज कर सकते हैं. लेकिन, लोगों को ये समझना जरूरी है कि एपिलेप्सी में आम और बाकी बीमारियों की तरह ही है, जिसमें नॉर्मल ब्रेन जो काम करता है, वो कुछ समय के लिए ब्रेन नॉर्मल तरीके से काम करना बंद कर देता है.

बाकी बीमारियों की तरह ही है मिर्गी

ब्रेन के अंदर बहुत सारी सूचनाओं का संचार होता है, बहुत सारी इलैक्ट्रिकल एक्टिविटी होती है, ऐसे में जब कुछ सेकेंड्स के लिए जब मिर्गी आती है, उस वक्त दिमाग से होने वाली एक्टिविटी बंद हो जाती है. ठीक जिस तरह हार्ट से संबंधित बीमारी होती है, ठीक उसी तरह से मिर्गी ब्रेन से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें लोगों का कंट्रोल दिमाग पर पूरी तरह से नहीं रह पाता है. जब मिर्गी का दौरा खत्म हो जाता है तो मरीज फिर से अपनी सामान्य अवस्था में आ जाता है.

एपिलेप्सी ब्रेन के अंदर होने वाली खराबी या ब्रेन में होने वाली तकलीफों की वजह से होती है. ब्रेन ट्यूमर वाले मरीजों में मिर्गी का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा, कुछ लोगों को लकवा होने के बाद ब्लड क्लॉट हो जाने से मिर्गी के दौरे आ सकते हैं. कुछ लोगों में दिमाग के अंदर सूजन का आ जाना, चोट लगने के बाद ब्लड का आ जाना, इन सभी कारणों की वजह से भी मिर्गी के दौरे आते हैं.

मिर्गी होने के कारण:

–  सिर में चोट लगना
– मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होना
– ब्रेन में ट्यूमर का विकसित होना
– मस्तिष्क में रक्तस्त्राव होना 

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एक बात ये भी है कि जिनके जेनेटिक यानी अनुवांशिक बीमारी रहती है, उसे सबकुछ सामान्य रहने के बावजूद भी बीच-बीच में मिर्गी के दौरे आते रहते हैं. अलग-अलग उम्र के हिसाब से भी मिर्गी आती है. इसके अलावा, मिर्गी के और भी कई प्रकार है, जिसकी खराबी की वजह से ब्रेन के अंदर एपिलेप्सी के अफैक्ट्स आते हैं. सिटी स्कैन या एमआरआई जांच के दौरान इसके मामले निकलकर सामने आ सकते हैं.  

लड़कियों को मिर्गी के दौरे आने पर होने वाली समस्याएं:

लड़कियों को मिर्गी के दौरे आने पर कई तरह की समस्याएं हो सकती है जैसे प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की समस्याएं होना या बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग के समय समस्याएं आना. यहां तक कि कई बार बच्चे पर भी इसका असर हो सकता है.  मिर्गी की समस्या जेनेटिक हो सकती है लेकिन जरुरी नहीं कि वे गर्भवती महिलाएं जिन्हें मिर्गी का दौरा आता हो उन सभी के बच्चों में यह बीमारी हस्तांतरित हो, कुछ बच्चों में यह समस्या हो सकती हैं. 

लड़कियों में मिर्गी की समस्या होने पर आमतौर पर शादी के समय में दिक्कते आती हैं, जिनमें देखा जाता है कि कभी-कभी लड़की की मिर्गी की समस्या के बारे में पता लगने पर उसकी शादी नहीं हो पाती है या समस्या को बिना बताए ही परिवार वाले लड़की की शादी कर देते हैं. इसके कारण उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ता है.  यदि लड़की और लड़के के परिवार में आपसी सहमति हो और दोनों ही पक्ष एक-दूसरे सारी बातें साझा करते हो, तो निश्चित ही उनकी शादी में कोई समस्या नहीं आएगी. 

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मिर्गी का उपचार

मिर्गी की समस्या वैसे ही है जैसे थायराइड हो जाने पर उसकी दवा हमेशा ही लेनी पड़ती है वैसे ही मिर्गी की दवा भी समय पर लेने से मिर्गी का दौरा पड़ने से बचा जा सकता है. मिर्गी को पूरी तरह से ठीक करने का कोई खास उपचार अभी भी उपलब्ध नहीं है, हालांकि इसे समय पर दवा लेने व अच्छी नींद से कन्ट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए डॉक्टर से भी समय-समय पर संपर्क करते रहना चाहिए ताकि सही इलाज मिलता रहे.

एक सवाल ये भी उठता है कि क्या इसकी पूरी तरह से इलाज संभव है? दरअसल, दिमाग के अंदर इन्फैक्शन की वजह से मिर्गी की बीमारी होती है. लेकिन, अगर सही तरीके से इस इन्फैक्शन का इलाज किया जाता है तो इसके मरीज ठीक हो जाते हैं. कई बार ऐसे भी देखने को मिलते हैं, जो अनुवांशिक मामले होते हैं, उसमें ब्रेन के अंदर कोई खराबी नहीं होती है और बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो ये उम्र बढ़ने के साथ अपने आप एपिलेप्सी खत्म हो जाती है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]



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