प्रजनन (Reproduction) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें सभी जीवित प्राणी अपनी प्रजातियों के युवाओं को प्रजनन की एक या दूसरी विधि के माध्यम से उत्पन्न करते हैं। मानव में प्रजनन निषेचन के द्वारा होता है जोकि महिलाओं (women) और पुरुषों (men) के स्पर्म (sperm) और अंडे (eggs) की कोशिकाओं (cells) के मिलने पर होता है। ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। कुछ मामलों में दूसरों की तरह ये प्रक्रिया उतनी प्राकृतिक और आनंदमय नहीं रहती है। महिला या पुरुष अगर अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने में असक्षम हो तो इसे बांझपन (Infertility) कहते हैं। इसके कारण और इलाज महिला और पुरुष दोनों में अलग-अलग होते हैं क्योंकि इनकी प्रजनन प्रक्रिया भी अलग होती है।
पुरुषों में नपुंसकता (Infertility in males)
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि जब शुक्राणु (Sperm) अंडे की कोशिका को उर्वरक करने में असमर्थ होते हैं तो इसे नपुंसकता (Infertility) कहा जाता है। पुरुष प्रजनन स्खलन (Ejaculation) के बाद उत्पादित वीर्य (Semen) की मात्रा और गुणवत्ता पर निर्भर करता है। पुरुषों में नपुंसकता की दो स्थिति हो सकती है या तो उनके वीर्य में पर्याप्त शुक्राणु नहीं बन पाते हैं या फिर एक भी शुक्राणु अंडे तक पहुंच पाने में असमर्थ होता है। इन दोनों ही परिस्थितियों में प्रजनन नहीं हो पाता है। इसके अलावा पुरुषों में नपुंसकता का कोई लक्षण नज़र नहीं आता है। अगर कोई पुरुष नपुंसक है तब भी वो सामान्य रूप से संभोग (sexual intercourse) कर सकता है। इसमें बस पुरुषों के वीर्य के शुक्राणु महिलाओं के अंडे तक नहीं पहुंच पाते हैं और इसे ही पुरुषों में नपुंसकता का कारण माना जाता है।
पुरुषों में नपुंसकता के कारण
टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) की कमी की वजह से स्पर्म की संख्या में कमी आने लगती है। इसी तरह किसी सर्जरी (surgery), कैंसर (cancer) या टेस्टिकुलर इंफेक्शन (Testicular infections) की वजह से भी पुरुषों में स्पर्म का उत्पादन कम होने लगता है। कभी-कभी गर्म तापमान में एक्सरसाइज़ (excercise) करने, टाइट कपड़े पहनने, सॉना का ज़्यादा इस्तेमाल करने से भी टेस्टिकल्स (Tectoles) का विकास ज़्यादा हो जाता है। कभी-कभी गर्म तापमान में एक्सरसाइज़ करने, टाइट कपड़े पहनने, सॉना का ज़्यादा इस्तेमाल करने से भी टेस्टिकल्स का विकास ज़्यादा हो जाता है।कुछ मामलों में स्पर्म काउंट (Sperm count) की कम संख्या होना एक आनुवांशिक बीमारी (Genetic illness) होती है। शराब (alcohol) या ड्रग्स (drugs) के सेवन से भी पुरुषों में नपुंसकता होती है। हाल ही में एक स्टडी में इसके एक नए कारण के बारे में भी पता चला है। एक नया हिस्सा ‘एटिपिकल सेंट्रिओल’ पाया गया है। जाइगोट और गर्भपात का कारण इसे बताया जा रहा है।
महिलाओं में बांझपन (Infertility in women)
महिलाओं में बांझपन का प्राकृतिक कारण उनकी उम्र होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होती जाती है। उम्र के अलावा अन्य कारण हैं फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) का डैमेज (damage) हो जाना, अंडाशय (Ovary) की समस्या या गर्भाशय (Uterus) को नुकसान। इन सभी कारणों की वजह से अंडे तक स्वस्थ शुक्राणु पहुंचने के बाद भी प्रजनन नहीं हो पाता है।
महिलाओं में बांझपन का कारण
थायराइड ग्रंथि के कारण हार्मोंस (Hormone) का असंतुलित होना और बहुत ज़्यादा तनाव की वजह से ऑव्यूलेशन (Ovulation) में दिक्कत आना। अनियमित माहवारी (Irregular menstruation) भी एक कारण है। वज़न बहुत ज़्यादा या बहुत कम होना। गर्भाश्य में किसी ट्यूमर (Tumor) या सिस्ट (Cyst) का बनना या ओवरी के डैमेज होने की वजह से भी प्रजनन नहीं हो पाता है। गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला के शिशु को डीईएस (D.E.S) दवा दी जाती है तो इससे भी उसकी प्रजनन क्षमता कमज़ोर हो सकती है। शराब, निकोटिन या अन्य किसी ड्रग की वजह से भी महिलाओं में बांझपन हो सकता है।
इलाज
पुरुषों और महिलाओं में इंफर्टिलिटी (Infertility) का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। यूरिन और ब्लड टेस्ट इसमें सबसे ज़्यादा सामान्य है जिनसे पता चल जाता है कि किसकी प्रजनन क्षमता कमज़ोर है। कई मामलों में इंफर्टिलिटी का इलाज सफलतापूर्वक हो जाता है और कप्लस को माता-पिता बनने का सुख मिलता है।
पुरुषों में इलाज
जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता है उनमें आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (Artificial insemination) द्वारा महिलाओं के गर्भाश्य में स्पर्म इंजेक्ट (Sperm inject) किए जाते हैं। इसके अलावा विट्रो फर्टिलाइजेशन (vitro fertilization) भी एक तरीका है जिसमें लैबोरेट्री (Laboratory) में आर्टिफिशियल (Artificial) तरीके से शुक्राणु और अंडाणु को निषेचित किया जाता है और फिर उसे महिला के गर्भाश्य में डाल दिया जाता है। दवाओं और हार्मोन इंजेक्शन (Hormonal injection) से भी लो स्पर्म काउंट (Low sperm count) या किसी संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।
महिलाओं में इलाज
किसी संक्रमण के कारण हुए बांझपन को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) का इस्तेमाल किया जाता है। हार्मोनल असंतुलन की स्थिति में बाहर से हार्मोन शरीर में डाले जाते हैं। इसके अलावा ऐसे कई सप्लीमेंट्स (Supplements) भी मौजूद हैं जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
यदि आप नपुंसकता की समस्या से परेशान हैं, तो आप डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. नपुंसकता का सबसे बड़ा कारण क्या है?
नपुंसकता एक गंभीर समस्या होती हैं इसके होने के कई कारण होते हैं जैसे की हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और धूम्रपान जैसी शारीरिक समस्याएं।
2. अधिकतर पुरुष किस उम्र में नपुंसक हो जाते हैं?
अधिकतर 40 से 70 की उम्र के बीच पुरुष नपुंसक हो जाते हैं। देखा गया हैं की पुरुष इस समस्या को लेकर बात करना पसंद नहीं करते हैं परन्तु ऐसा नहीं करना चाहिए। यह एक समस्या होती हैं जिसका इलाज किया जा सकता हैं।
3. नपुंसक आदमी क्या महसूस करता है?
यह एक सामान्य स्थिति है, खासकर पुरुषों की उम्र बढ़ने के साथ, लेकिन यह उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा नहीं है और इसका इलाज किसी भी उम्र में किया जाना चाहिए। इससे निराशा, अपर्याप्तता की भावनाएं, निर्बलता और शर्मिंदगी हो सकती है।
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