एमआरआई पेसमेकर और नॉन- एमआरआई पेसमेकर में क्या है फर्क, जानें कब पड़ती है इसकी जरूरत?


डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है लेकिन आज हम एक ऐसे डॉक्टर के हैवानियत की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिससे जानने के बाद आपको रोंगटे खड़े हो जाएंगे. दरअसल, यूपी के इटावा स्थित ‘सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी’ के डॉक्टर ने मरीज को पेसमेकर लगाने के नाम पर 250 लोगों को घटिया पेसमेकर लगा दिया. खराब पेशमेकर लगने के कारण दर्जन भर लोगों की मौत हो गई है. फिलहाल खराब पेशमेकर लगाने वाले डॉक्टर समीर सर्राफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. और पीड़ित के परिवारवालों की मांग है कि इस हैवान डॉक्टर के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए. यह घटना सामने आते ही लोगों के अंदर एक डर सा बैठ गया है कि जब डॉक्टर ही पैसों के लिए ऐसा करेंगे तो फिर आम आदमी कहां जाएगा? आज हम इसी बात को ध्यान में रखते हुए आपको बताएंगे पेसमेकर क्या होता है? साथ ही बताएंगे यह कैसे काम करता है?

पेसमेकर क्या है?

मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो पेसमेकर एक छोटी सी मशीन होती है. जो दिल के मरीज में लगाया जाता है ताकि दिल की धड़कने ठीक से काम करे. सीने में पेसमेकर लगने के बाद वह दिल को इलेक्ट्रिक प्लस यानि करेंट भेजती है. ताकि दिल ठीक से काम कर सके.

एमआरआई और नॉन-एमआरआई पेसमेकर

इस मामले की जांच कर रही कमेटी ने पाया कि डॉक्टर ने मरीजों से पैसे एमआरआई पेसमेकर के लिए लेकिन मरीजों को नॉन-एमआरआई पेसमेकर लगा दिए. जिसके बाद उन्हें दिक्कत शुरू हुई है. जांच में पता चला कि मरीजों को घटिया क्वालिटी के पेसमेकर लगाए गए थे. अब आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि एमआरआई पेसमेकर और नॉन-एमआरआई पेसमेकर क्या है?

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जिन मरीजों को एमआरआई पेसमेकर लगाए जाते हैं वह आराम से एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ एमआरआई भी करवा सकते हैं. लेकिन नॉन-एमआरआई पेसमेकर लगाने पर मरीज एमआरआई नहीं करवा सकते हैं. क्योंकि इसमें पेसमेकर के सर्किट टूटने का डर होता है. लेकिन अब एमआरआई वाले पेसमेकर भी आ गए हैं इसमें सर्किट मजबूत होते हैं उन्हें टूटने का डर नहीं होता है. Magnetic Resonance Imaging (MRI) में मैगनेट होता है जिसमें पेसमेकर के सर्किट टूटने का डर होता है. 

कब और कहां लगाई जाती है पेसमेकर

मरीज की स्थिति देखते हुए पेसमेकर लगाई जाती है. पेसमेकर सर्जरी के दौरान दिल की धड़कन को कंट्रोल करने के लिए दिल के लेफ्ट या राइट कॉलर बोन के नीचे लगाया जाता है. यह नसों को जोड़ने काम भी करता है? जिन मरीजों की धड़कन ठीक से काम नहीं करता है यह उनके दिल की धड़कन को ठीक करता है. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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