किडनी स्टोन के लक्षण और जाने कैसे होता है ट्रांसप्लांट? – GoMedii


किडनी स्टोन छोटे क्रिस्टल से बने ठोस पत्थर होते हैं और सबसे महवपूर्ण बात ये की एक ही समय में गुर्दे या मूत्रवाहिनी में एक या एक से अधिक पथरी भी हो सकती है। किडनी स्टोन आमतौर पर पेशाब की नली में बाधा पैदा करता है जिसकी वजह से पेशाब करते वक़्त व्यक्ति को दर्द का अनुभव होता है।

 

कई बार ऐसा भी होता है की एक छोटा पत्थर लक्षणों के बिना भी पेशाब से गुजर सकता है। यदि स्टोन पर्याप्त आकार में बढ़ जाता है तो वे पेशाब में रुकावट का कारण बन सकता है। इससे दर्द शुरू हो जाता है, जो आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में शुरू होता है या कमर के निचले हिस्से में होता है।

 

 

किडनी स्टोन के लक्षण (Symptoms Of Kidney Stone In Hindi)

 

किडनी स्टोन का मुख्य लक्षण गंभीर दर्द है जो अचानक शुरू होता है इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

 

  • पेशाब में रक्त
  • बुखार
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • पेशाब के रंग में बदलाव
  • पेट में दर्द
  • पेशाब करते हुए जलन महसूस होना

 

 

 

किडनी स्टोन के कारण (Causes of Kidney stone)

 

 

इसके साथ ही अगर हम किडनी स्टोन के कारणों की बात करें तो ये इस प्रकार हैं

 

  • पारिवारिक इतिहास

 

 

 

किडनी स्टोन के चार मुख्य प्रकार  (Four types of kidney stone in hindi)

 

 

कैल्शियम ऑक्सालेट (Calcium oxalate): किडनी स्टोन का सबसे आम प्रकार जो कैल्शियम मूत्र में ऑक्सालेट के साथ मिलकर बनता है। अपर्याप्त कैल्शियम और तरल पदार्थ का सेवन, साथ ही अन्य स्थितियां, उनके गठन में योगदान कर सकती हैं।

 

यूरिक एसिड (Uric acid): यह किडनी स्टोन का एक और सामान्य प्रकार है। ऑर्गन मीट और शेलफिश जैसे खाद्य पदार्थों में प्यूरीन नामक एक प्राकृतिक रासायनिक तत्व होता है। उच्च प्यूरीन (purines) के सेवन से मोनोसोडियम यूरेट का अधिक उत्पादन होता है, जो सही परिस्थितियों में किडनी में स्टोन का निर्माण कर सकता है। ये आपके परिवारिक इतिहास पर भी निर्भर करता है।

 

स्ट्रुवाइट (Struvite): ये स्टोन बहुत आम हैं और ऊपरी मूत्र पथ में संक्रमण के कारण ऐसा होते हैं।

 

सिस्टीन (Cystine): ये स्टोन काफी दुर्लभ होता है और ये आपके पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है।

 

 

किडनी स्टोन के ट्रीटमेंट से पहले होने वाले कुछ टेस्ट (Test for kidney treatment)

 

 

डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य का मूल्यांकन और एक शारीरिक परीक्षा का सहारा लेते है। किडनी स्टोन के लिए टेस्ट हैं:

 

 

  • किडनी के कामकाज का आकलन करने के लिए रक्त यूरिया नाइट्रोजन (BUN) और ब्लड टेस्ट

 

  • यूरिनलिसिस क्रिस्टल, बैक्टीरिया, लाल और सफेद कोशिकाओं की जाँच

 

 

किडनी स्टोन के लिए टेस्ट

 

  • पेट का एक्स-रे
  • अंतःशिरा पाइलोग्राम (intravenous pyelogram)
  • प्रतिगामी पाइलोग्राम (Retrograde pyelogram)
  • किडनी अल्ट्रासाउंड
  • पेट और किडनी का एमआरआई स्कैन (MRI scan of the abdomen and kidneys)
  • पेट का सीटी स्कैन (abdominal CT scan)

 

इनमें से जिन टेस्ट को करवाने को डॉक्टर कहते हैं और उसके बाद जब वह टेस्ट रिपोर्ट्स देखते हैं उसके बाद ही वह किडनी ट्रीटमेंट का सही सुझाव मरीज को देते हैं, ताकि मरीज के लिए सबसे अच्छा ट्रीटमेंट कौन सा रहेगा।

 

 

किडनी स्टोन के ट्रीटमेंट से पहले की तैयारी (How to prepare for kidney treatment)

 

 

उपचार के दौरान, मरीज को एक कुर्सी पर बैठा दिया जाता है इसमें मरीज का रक्त डायलाइज़र के माध्यम से बहता है और एक फ़िल्टर इस प्रक्रिया में मरीज के रक्त को साफ करने का कार्य करता है।

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ट्रीटमेंट की तैयार

 

डॉक्टर किसी भी तरह के इलाज से पहले मरीज की मनोवैज्ञानिक स्थिरता की जाँच करते हैं क्योंकि कई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दे इस ट्रीटमेंट की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।

 

डॉक्टर किडनी स्टोन के ट्रीटमेंट से पहले मरीज का वजन, रक्तचाप, नाड़ी और तापमान (pulse and temperature) की जाँच भी करता है। ताकि यह पता चल सके की मरीज को किसी तरह की कोई अन्य परेशानी तो नहीं है।

 

हेमोडायलिसिस के दौरान, दो सुई को आपकी बांह में डाला जाता है। प्रत्येक सुई एक लचीली प्लास्टिक ट्यूब से जुड़ी होती है, जो एक डायलाइज़र से जुड़ती है। एक ट्यूब के माध्यम से, डायलाइज़र आपके रक्त को एक समय में कुछ औंस फिल्टर करता है, जिससे अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ आपके रक्त से डायलिसैट नामक एक सफाई तरल पदार्थ में पारित हो जाते हैं। फ़िल्टर किया हुआ रक्त आपके शरीर में दूसरी ट्यूब के माध्यम से भेजा जाता है।

 

किडनी स्टोन का ट्रीटमेंट वास्तव में पत्थर के प्रकार और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। गुर्दे की पथरी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका मूत्र की बड़ी मात्रा में उत्पादन करने के लिए 6-8 गिलास रोजाना पानी पीना चाहिए। स्टोन के प्रकार के आधार पर, आपका डॉक्टर स्टोन को कम करने या तोड़ने के लिए किसी दवा का सुझाव भी दे सकता है।

 

  • एंटीबायोटिक्स Antibiotics)

 

  • एलोप्यूरिनॉल (Allopurinol)

 

  • डियूरेटिक्स (Diuretics)

 

  • पानी की गोलियां (थियाजाइड मूत्रवर्धक)

 

  • फॉस्फेट का घोल (Phosphate solutions)

 

  • सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम साइट्रेट (Sodium bicarbonate or sodium citrate)

 

 

किडनी स्टोन ट्रीटमेंट (Kidney stone treatment in Hindi)

 

 

  • जब स्टोन काफी बड़ा हो और पेशाब के रस्ते नहीं निकल सकता तब डॉक्टर सर्जरी की सलाह देता हैं।

 

  • किडनी स्टोन का आकर बढ़ रहा हो तब भी डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।

 

  • किडनी स्टोन पेशाब के प्रवाह को रोकता है तो इससे संक्रमण भी हो सकता है और आपकी किडनी खराब भी हो सकती है। किडनी स्टोन ट्रीटमेंट से दर्द को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

 

  • जब किसी व्यक्ति की किडनी ठीक से काम नहीं करती है और डायलिसिस भी सफल नहीं होता है तब आखिर रस्ते के तौर पर डॉक्टर किडनी  ट्रांसप्लांट की सलाह देता है। दिनों दिन किडनी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी इसलिए हो रही है क्योंकि लोगों को किडनी से जुड़ी बीमारियों की पूरी जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से वे समय रहते किडनी ट्रांसप्लांट को नहीं करा पाते हैं।

 

 

क्या है किडनी ट्रांसप्लांट? (Kidney transplant meaning in Hindi)

 

जब किसी व्यक्ति की खराब किडनी को किसी दूसरे व्यक्ति की स्वस्थ किडनी से बदला जाता है, तो उस प्रक्रिया को किडनी ट्रांसप्लांट कहा जाता है। किडनी ट्रांसप्लांट को उस स्थिति में किया जाता है, जब किडनी पूरी तरह से खराब हो जाती है, इस तब किया जाता है जब किडनी डायलिसिस सफल साबित नहीं होता, एंड स्टेज किडनी की बीमारी का होना या लिवर की बीमारी का होना है इन्हीं  स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है।

 

 

किडनी ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है ? (How is a kidney transplant performed)

 

किडनी ट्रांसप्लांट कुछ चरणों में किया जाता है, जो इस प्रकार हैं-

 

  • ब्लड टेस्ट: किडनी ट्रांसप्लांट से पहले डॉक्टर ब्लड टेस्ट करता है। ब्लड टेस्ट यह निर्धारित करता है कि मरीज का शरीर किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया से गुजरने के लिए तैयार है या नहीं।

 

  • एनस्थीसिया: मरीज के ब्लड टेस्ट के बाद, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले व्यक्ति को एनेस्थीसिया दिया जाता है ताकि उसे पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी तरह के दर्द का एहसास न हो।
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  • पेट पर कट लगाना: एनेस्थीसिया देने के बाद, डॉक्टर मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत करता है।

 

  • डोनर किडनी: डॉक्टर द्वारा पेट पर कट लगाने के बाद डोनर की किडनी को खराब किडनी बदल दिया जाता है।

 

  • पेशाब की नली को मूत्राशय से जोड़ना:  किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान आखिरी पड़ाव में डॉक्टर पेशाब नली को मूत्रवाहिनी से जुड़ता है।

 

 

कौन से मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सही नहीं माने जाते हैं?

 

 

  • बढ़ती उम्र

 

  • गंभीर हृदय रोग

 

  • कैंसर या हाल ही में कैंसर का इलाज करवाने वाला व्यक्ति

 

  • डेमेंटिया या किसी प्रकार की मानसिक बीमारी

 

  • शराब या नशीली दवाओं का सेवन

 

 

किडनी ट्रांसप्लांट की कोस्ट कितनी है? (Kidney transplant cost in Hindi)

 

वैसे तो किडनी ट्रांसप्लांट की कॉस्ट डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखने के बाद बताते हैं, लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट कराने से पहले इसकी कोस्ट को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि यह उसकी आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। ज्यादातर लोग किडनी ट्रांसप्लांट की कीमत सुनकर घबरा जाते हैं लेकिन भारत में इसकी कीमत 15 से 20 लाख रुपय के बीच में होती है।

 

 

किडनी ट्रांसप्लांट के जोखिम कारख क्या हो सकते हैं ?

 

बेशक, किडनी ट्रांसप्लांट एक बहुत ही लाभदायक प्रक्रिया है, जिसने किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज का जीवन बेहतर बनाया है। लेकिन, इसके बावजूद किडनी ट्रांसप्लांट के कुछ साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं, जिनके बारे में हम आपको बताएंग।

 

  • किडनी इंफेक्शन का होना: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद इंफेक्शन होने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है।

 

  • ब्लडिंग का होना: किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान पेट पर कट लगाने के कारण अधिक मात्रा में ब्लडिंग होना आम बात है। लेकिन, कुछ लोगों में ब्लडिंग काफी ज्यादा हो जाती है, जिसकी वजह से शरीर में खून की कमी भी हो सकती है।

 

  • दिल का दौरा पड़ना: ऐसा बहुत कम ही देखा जाता है की किडनी ट्रांसप्लांट के बाद उस व्यक्ति को दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
    हालांकि, दिल के दौरा का इलाज संभव है, लेकिन फिर भी अगर उन्हें बेचैनी महसूस हो तो लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

 

  • डोनेट की गई किडनी का ठीक से काम न करना: ऐसा भी हो सकता है कि डोनर किडनी सही तरीके से काम न करे। ऐसी स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट को फिर से करना डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए ही काफी मुश्किल भरा होता है क्योंकि इससे व्यक्ति की जान जाने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

 

  • ब्लड क्लॉटिंग होना: अभी तक किडनी ट्रांसप्लांट के ऐसे कुछ मामले भी देखने को मिले हैं, जिनमें लोगों के शरीर में ब्लड क्लोट्स बन जाते हैं। अगर ब्लड क्लोट्स को समय रहते ठीक न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकते हैं।

 

किडनी ट्रांसप्लांट से रिकवर होने के लिए क्या कर सकते हैं ? (What can be do to recover from a kidney transplant)

 

 

  • इंजेक्शन लगाना: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण (infection) होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसी कारण, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले व्यक्ति को डॉक्टर समय-समय पर इंजेक्शन लगवाने की सलाह देते हैं ताकि उनकी इम्यूनिटी पावर को सुधारा जा सके।

 

  • दवाई लेना: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर मरीज को कुछ दवाईयां भी देते हैं। ये दवाईयां उसे कई सारी गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं।

 

  • वैक्सीन लगाना: डॉक्टर द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले कुछ लोगों को वैक्सीन लगाने की सलाह भी दी जाती है। ऐसे लोगों को उनकी सलाह का पालन करना चाहिए और समय-समय पर वैक्सीनेशन कराना चाहिए।
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  • हेल्थी फूड खाना: किडनी के खराब होने का प्रमुख कारण अनहेल्थी फूड का सेवन करना भी होता है। इसी कारण, किडनी ट्रासप्लांट के बाद लोगों को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए और हेल्थी फूड ही खाना चाहिए।

 

  • डॉक्टर के संपर्क में रहना: यह सबसे जरूरी होता है, जिसका पालन किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले सभी लोगों को करना चाहिए।
    उन्हें तब तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए जब तक वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते।

 

किडनी का इलाज करवाने से पहले पूछे जाने वाले सवाल-

 

1.क्या किडनी डोनेट करने से व्यक्ति की उम्र कम हो जाती है?

 

किडनी को डोनेट करने से डोनर की ज़िदगी पर कोई बुरा प्रभाव और असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा, यह सब जानते हैं कि व्यक्ति एक किडनी के साथ भी जीवन जी सकता है।

 

2.किडनी ट्रांसप्लांट कितना सफल है और इसके क्या लाभ हैं ?

 

किडनी की बीमारी का इलाज करने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट को सबसे सही तरीका माना जाता है क्योंकि इसकी सफलता दर अधिकत्तम 90% तक होती है। बॉडी मैटाबॉलिज़म को रिस्टोर करना, रक्त के प्रवाह को ठीक होना, किडनी डायलिसिस की आवश्यकता न पड़ना, जीवन दान मिलने के बराबर है।

 

3.किडनी ट्रांसप्लांट के बाद किन बातों का ध्यान रखना पड़ता हैं ?

 

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शुरूआती 2 से 3 महीनों के लिए व्यक्ति को डॉक्टर के पास नियमित रूप से जाना चाहिए ताकि उसके विभिन्न रक्त पैमानों को मॉनिटर किया जा सके। जब तक किडनी अच्छी तरह से काम करना शुरू नहीं करती और रक्त इलेक्ट्रॉलाइटिस स्तर सामान्य नहीं होता, तब तक उसके खान-पान पर डॉक्टर द्वारा कई प्रतिबंध लगाए जाते हैं।

4.किडनी ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति कैसा होना चाहिए भोजन?

 

भोजन में चीनी और वसा को कम मात्रा में सेवन करें, प्रत्येक दिन पांच फल और सब्जियों का सेवन करें, कम वसा वाले उत्पादों को शामिल करें, कम नमक और कम वसा वाला आहार, और खुद को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें।

5. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति कितने सालों तक जी पाता है?

 

आमतौर पर, किडनी डायलिसिस के बाद व्यक्ति की उम्र 5 साल बढ़ जाती है तो वहीं जो लोग समय रहते किडनी ट्रांसप्लांट करा लेते हैं, उनकी उम्र औसतन 12 से 20 साल तक बढ़ जाती है।

 

 6. एक व्यक्ति कितनी बार किडनी ट्रांसप्लांट करवा सकता है?

 

किडनी ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए काफी लाभकारी साबित होता है और आप इसे जीवनदान भी कह सकते हैं। इसके बावजूद, यह मरीज पर भी निर्भर करता है। वैसे तो किडनी ट्रांसप्लांट 1-2 बार ही किया जा सकता है।

 

7. अगर रोगी के पास डोनर नहीं है तो उसे क्या करना चाहिए ?

 

यदि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर नहीं है तो मरीज को उसके लिए इंतजार करना पड़ सकता है। हमारे अनुभवी डॉक्टर आपको इसके लिए बिल्कुल सही सलाह देंगे।

 

 

यदि आप  “किडनी में स्टोन है या किडनी ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं तो अभी हमारी वेबसाइट पर इससे जुड़े अपने प्रश्न पूछ सकते हैं। हमारे वेबसाइट पर डॉक्टर के साथ ऑनलाइन सलाह भी ले सकते हैं या फिर आप हमसे  व्हाट्सएप(+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।हमारी सेवाओं के बारे में जानने के लिए आप हमें ईमेल [email protected] से भी संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपके समस्या का समाधान करेगी।

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