जानें क्या है Cerebral Palsy बीमारी, बच्चों के लिए ये क्यों खतरनाक?


Cerebral Palsy : सेरेब्रल पाल्सी बच्चों में होने वाली एक ऐसी लाइलाज बीमारी है, जिसमें बच्चे के विकास पर पूरी तरह ब्रेक लग जाता है.  उसे कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं. हाल ही में नोएडा में एक बच्चें में यह बीमारी मिली है. दो साल के बच्चे में इसके कई लक्षण देखे गए, जैसे- विकास में देरी, दौरे आना, स्पाइनल बाईफिडा और देखने की समस्या. हालांकि, 6 महीने की इलाज के बाद बच्चा खुद से चलने लगा लेकिन सबसे बड़ी बात कि आज भी बड़ी आबादी इस बीमारी से अनजान है. आइए जानते हैं आखिर सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) होता क्या है और बच्चों के लिए ये क्यों खतरनाक माना जाता है…

 

सेरेब्रल पाल्सी कौन सी बीमारी है

सेरेब्रल पाल्सी कई तरह के डिसऑर्डर का एक ग्रुप है. जिसमें बच्चे को बैलेंस और पोस्चर बनाने या चलने-फिरने में दिक्कतें होती हैं. यह बचपन की सबसे आम बीमारी है. इसमें सेरेब्रल का मतलब दिमाग से जुड़ा और पाल्सी का अर्थ है मांसपेशियों का इस्तेमाल में परेशानी या कमजोरी महसूस होना है. सेरेब्रल पाल्सी में दिमाग के असामान्य विकास से बच्चा चलने में अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल नहीं कर पाता है.

 

सेरेब्रल पाल्सी कितने तरह की होती है

1. मांसपेशियों में अकड़न (स्पास्टिसिटी)

2. अनकंट्रोल एक्टिविटीज (डिसकिनेसिया)

3. संतुलन और तालमेल में कमी (एटेक्सिया)

 

सेरेब्रल पाल्सी का कारण

1. जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना

2. समय से पहले किसी बच्चे का जन्म

3. प्रेगनेंसी के दौरान इंफेक्शन

4. पीलिया और कर्निकटेरस जैसी समस्याएं

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5. आनुवंशिक दोष

 

सेरेब्रल पाल्सी के क्या लक्षण होते हैं

1. हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण होते हैं.

2. सेरेब्रल पाल्सी से गंभीर तौर पर पीड़ित को चलने में दिक्कत होती है या वह बिल्कुल भी नहीं चल पाता है.

3. हल्के सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित अजीब तरह से चलता है.

4. सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण उम्र बढ़ने के साथ बदल सकते हैं.

5. चलने और पोस्चर में परेशानियां 

6. कुछ लोग इंटेलेक्चुअल दिव्यांगता का शिकार भी हो सकते हैं. जिसमें दौरे पड़ना, देखने, बोलने, सुनने की दिक्कत, स्पाइन में बदलाव जैसे लक्षण शामिल हैं.

 

सेरेब्रल पाल्सी का इलाज

सेरेब्रल पाल्सी एक लाइलाज बीमारी है. हालांकि, सही तरह से देखभाल कर मरीज के जीवन में कई अच्छे बदलाव लाए जा सकते हैं. इसका इलाज अगर जल्दी शुरू हो जाए तो कुछ हद तक परेशानियों से राहत मिल सतती है. डॉक्टर एक प्लान के आधार पर पीड़ित का इलाज करते हैं. उनमें दवाईयों, सर्जरी, ब्रेसेज़, फिज़िकल, ऑक्युपेशन और स्पीच थेरेपी से सुधार लाने की कोशिश की जाती है.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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