Medicine Bitter Taste: बीमार होने पर लोग दवा (medicine)तो खाते हैं लेकिन उस दवा का कड़वापन उनकी जुबान पर काफी समय तक बना रहता है. कई लोग कड़वेपन के चलते दवा से ही परहेज करने लगते हैं. सर्दी हो या खांसी, किसी बीमारी के होने पर दवा खाना एक मजबूरी है लेकिन कई बार लोग सोचते हैं कि आखिर दवा कड़वी ही क्यों बनाई जाती है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी दवा कड़वी होती हैं, कुछ दवाओं का स्वाद मीठा भी होता है लेकिन ज्यादातर दवाएं कड़वी होती हैं. अगर आप भी कभी कभी ये सोचते हैं तो चलिए आपको इसकी वजह बताए देते हैं.
क्यों कड़वा होता है दवा का स्वाद
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी दवा का स्वाद कड़वा इसलिए होता है क्योंकि उसमें कई तरह के कंपाउंड मिलाए जाते हैं. प्लांट्स कंपाउंड के साथ साथ कुछ दवाएं फैक्टरी में भी बनती है और इसमें तरह तरह के कैमिकल मिलाए जाते हैं. फैक्टरी में बने ये कैमिकल अपने नेचुरल रूप में कड़वे ही होते हैं. इसलिए दवा भी कड़वे ही स्वाद देती है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हर दवा कड़वी लगती है. देखा जाए तो हर दवा स्वाभाविक रूप से कड़वी होती है लेकिन कई बार दवाओं में शुगर मिलाई जाती है. कुछ दवाओं पर शुगर कोटिंग की जाती है जिससे दवा के मु्ंह में जाने पर कड़वापन नहीं महसूस होता है.
कैप्सूल क्यों बनते हैं
आप सोच रहे होंगे कि जब दवा खाई जा सकती है तो दवा के कैप्सूल क्यों बनते हैं. इसके पीछे भी एक वजह है. कुछ दवाएं बेहद कड़वी होती हैं. इतनी कड़वी कि अगर उनको मुंह में रखा जाए तो निगला नहीं जा सकता. इनको कैप्सूल के फॉर्म में बनाया जाता है. चूंकि कैप्सूल की ऊपरी परत मुलायम जिलेटिन से बनती है और पेट के अंदर जाने पर ये घुल जाता है औऱ दवा पेट में चली जाती है. कैप्सूल के जरिए कड़वी दवा जीभ के संपर्क में नहीं आती और इस तरह कड़वी से कड़वी दवा खाई जा सकती है.
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