डायबिटीज मरीजों के सिंपल ब्लड टेस्ट के जरिए भी दिल और किडनी की बीमारी का पता लगाना आसान है



<p>एक स्टडी के मुताबिक सिंपल ब्लड टेस्ट के जरिए डायबिटीज टाइप -2 के मरीजों की दिल की बीमारी और किडनी की बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ‘अमेरिकन हार्ट’ में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज और किडनी की बीमारी वाले 2,500 से अधिक लोगों के ऊपर ये टेस्ट किया और उसमें पाया गया कि ब्लड टेस्ट में चार बायोमार्कर होते हैं जो दिल की बीमारी और किडनी की बीमारी का पता लगाने में सहायक होते हैं. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रमुख लेखक और मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ जेम्स जानुज़ी ने कहा,’कुछ बायोमार्कर के उच्च स्तर हृदय और गुर्दे की जटिलताओं के संकेतक हैं और भविष्य में रोग के बढ़ने के जोखिम की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकते हैं.</p>
<p>जिन लोगों ने कैनाग्लिफ्लोज़िन, एक सोडियम ग्लूकोज सह-ट्रांसपोर्टर 2 अवरोधक (एसजीएलटी2 अवरोधक) लिया, उनमें तीन साल की अध्ययन अवधि के दौरान प्लेसबो लेने वालों की तुलना में चार बायोमार्कर का स्तर कम था.कैनाग्लिफ्लोज़िन एक तीसरी पंक्ति की दवा है जिसे मेटफॉर्मिन के बाद आज़माया जाना चाहिए, जो टाइप 2 मधुमेह के लिए पहली पंक्ति की दवा है. कैनाग्लिफ़्लोज़िन के साथ उपचार से सबसे अधिक जोखिम वाले माने जाने वाले रोगियों में हार्ट फेल और दिल से जुड़ी दूसरी बीमारी हो सकती है जिसमें &nbsp;अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को काफी हद तक कम करने में मदद मिली.</p>
<p><strong>किडनी और दिल की बीमारी का जोखिम देखा गया</strong></p>
<p>रिसर्चर ने चार बायोमार्कर की सांद्रता पर कैनाग्लिफ्लोज़िन के प्रभाव का आकलन करने के लिए 2,627 लोगों के रक्त के नमूनों से बायोमार्कर डेटा का विश्लेषण किया. मरीजों को निम्न, मध्यम और उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में विभाजित किया गया.उच्चतम जोखिम वाले लोगों में तीन साल की अध्ययन अवधि के दौरान प्रगतिशील किडनी और हृदय दिल की बीमारी की जटिलताओं की नाटकीय रूप से उच्च दर देखी गई.</p>
<p><strong>ब्लड टेस्ट के बायोमार्कर</strong></p>
<p>विश्लेषण में पाया गया कि अध्ययन की शुरुआत में प्रत्येक बायोमार्कर की उच्च सांद्रता प्रतिभागी के हृदय और गुर्दे की समस्याओं की गंभीरता का दृढ़ता से पूर्वानुमान लगाती थी. कैनाग्लिफ़्लोज़िन लेने वाले लोगों में चार बायोमार्कर में से प्रत्येक की सांद्रता प्लेसबो लेने वाले लोगों की तुलना में एक वर्ष और तीन वर्ष के बाद कम थी.</p>
<p>एक वर्ष के बाद, कैनाग्लिफ्लोज़िन लेने वाले प्रतिभागियों में सभी बायोमार्कर का स्तर 3 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया, जबकि प्लेसबो लेने वालों में 6 प्रतिशत से 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई.यह जानना आश्वस्त करने वाला था कि कैनाग्लिफ़्लोज़िन ने जटिलताओं की सबसे अधिक संभावना वाले लोगों में जोखिम को कम करने में सबसे अधिक मदद की. यह बेहतर ढंग से समझने के लिए भविष्य के अध्ययनों की आवश्यकता है कि किडनी की बीमारी के साथ टाइप 2 मधुमेह कैसे विकसित होता है और बढ़ता है ताकि हम हृदय और किडनी की बीमारी के लक्षण आने से पहले ही जीवन रक्षक उपचार शुरू कर सकें.</p>
<p><strong><em>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.</em></strong></p>
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