थैलेसीमिया(Thalassemia) एक प्रकार का आनुवंशिक रोग होता हैं, जो कि माता पिता के द्वारा बच्चे में जीन के माध्यम से उत्पन्न हो सकता हैं। रक्त उत्पन्न विकार की सूचि में आने वाले यह रोग, बच्चों अधिक मात्रा में पाया जाता हैं, जिसमे हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं कर पाता हैं। हीमोग्लोबिन(Hemoglobin), लाल रक्त कोशिकाओं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता हैं, जो कई प्रकार के कार्य पद्धति को पूर्ण रूप से साफ़त बनाने के अतिआवश्यक होता हैं।
हीमोग्लोबिन का लाल रक्त कोशिकाओं में होना अत्यंत आवश्यक हैं, यदि हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन उत्पन्न नहीं करेगा तो लाल रक्त कोशिकाए शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने में असमर्थ हो जाएगी, जिसके कारण शरीर की अन्य कोशिकाओं तक पर्याप्त पोषण(Nutrition) नहीं पहुंचेगा। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति को थका हुआ, कमजोर या सांस लेने में तकलीफ महसूस हो सकती हैं। थैलेसीमिया का विकार गभीर और अप्रबंधित होने पर मृत्यु जैसी परिस्तिथियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
भारत दुनियाभर में अपनी अत्यधिक प्रशंसनीय छवि के माध्यम से पहचाना जाता हैं, यहां पर आपको को हर प्रकार के उपचारो का विकल्प मिलता हैं वो भी काफी कम दामों पर, भारतीय की औपचारिक विधि आज भी परंपरागत तरीकों से लैस हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि थैलेसीमिया का इलाज कहा होता हैं।
भारत में थैलेसीमिया का इलाज (Thalassemia Treatment in India)
भारतीय स्वास्थ्य सुविधा हर प्रकार से सम्पन्न हैं, भारत में आपको अत्यधिक विशिष्ट चिकित्सक और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी जो की २४/७ आपकी सहायता में उपलप्ब्ध रहेगा। आंकड़े की मने तो भारतीय चिकित्सक बल हर प्रकार क़े थैलेसीमिया क़े इलाज में निपुड़ हैं। थैलेसीमिया का उपचार तीन तरीके से किया जाता हैं, इलाज क़े तरीके मरीज कि शारीरिक हालत और थैलेसीमिया क़े स्तर पर निर्भर करता हैं।
थैलेसीमिया के इलाज के तरीके कुछ इस प्रकार हैं (Some of the treatment methods for Thalassemia are as follows)
ब्लड ट्रांसफ्यूजन(Blood transfusion): यदि थैलेसीमिया बहुत गंभीर हो तो इस तरीके की सहायता लेते हैं। यह एक आवधिक प्रक्रिया हैं जिसमे मरीज को ब्लड ट्रांसफूसिओं कुछ हफ्तों क़े अंतराल पर करना पढता हैं। इस प्रक्रिया क़े कई अन्य दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे रक्त में अत्यधिक मात्रा में आयरन का बनना, जो की हृदय, लिवर से लेकर शरीर क़े अन्य अंगो को नुक्सान पंहुचा सकता हैं।
केलेशन थेरेपी(Chelation therapy): जब शरीर में अतिरिक्त आयरन बनने लग जाता हैं तब केलेशन थेरेपी को काम में लिया जाता हैं। इस प्रक्रिया में शरीर क़े अतिरिक्त आयरन को निकाला जाता हैं। यह प्रक्रिया दवाओं क़े माध्यम से भी पूर्ण की जाती हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट(Stem cell transplant): यह विकल्प थैलेसीमिया की गंभीर अवस्था में काम में लिया जाता हैं। इस प्रक्रिया में स्वस्थ स्टेम सेल को रोगी क़े की प्रभावित स्टेम कोशिकाओं से बदल दिया जाता हैं, आम तौर पर स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं की परिवार क़े ही किसी व्यक्ति से लिया जाता हैं।
थैलेसीमिया के लिए नैदानिक परीक्षण (Diagnostic Tests for Thalassemia)
थैलेसीमिया के इलाज से पहले बीमारी के स्तर को जानना अतिआवश्यक है, नैदानिक परीक्षण(Diagnostic test) के माध्यम से चिकित्सक आपकी शारीरिक गतिविधियों पर नज़र डालता है और इलाज के लिए आपके शरीर की क्षमता का भी आकलन करता हैं।
थैलेसीमिया के इलाज से पहले कराए जाने वाले नैदानिक परीक्षण (Diagnostic tests done before treatment for Thalassemia)
कम्प्लीट ब्लड सेल परीक्षण(Complete blood cell test): यह पूर्ण रक्त गणना परीक्षण किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ का आकलन करने में उपयोग किया जाता हैं। इस परीक्षण के पश्चात् व्यक्ति के रक्त स्तर अवं रक्त में पायी जनि अन्य विशेषताओं का आकलन किया जाता हैं जो की थैलेसीमिया के इलाज के लिए अत्याधिक आवश्यक हैं।
हीमोग्लोबिन परीक्षण(Hemoglobin test): आम तौर पे यह परीक्षण शरीर में पायी जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर मांपे के लिए किया जाता हैं।
आयरन डेफिशियेंसी परीक्षण(Iron deficiency test): इस परीक्षण में शरीर में शरीर में मौजूद आयरन की पर्याप्त मात्रा का आकलन करा जाता हैं।
DNA परीक्षण: DNA परीक्षण की सहायता से DNA में परिवर्तन (म्यूटेशन), का पता लगाया जाता हैं।
थैलेसीमिया के इलाज के लिए भारत के शीर्ष अस्पताल (Top hospitals in India for treatment of Thalassemia)
थैलेसीमिया एक अत्यधिक गंभीर विकार हैं जिसमे कई परेशनियों का सामना करना पढता हैं, यदि इसे सही समय पर ठीक नहीं कराया जाए तो परिस्तिथियाँ मृत्यु तक पहुंच सकती हैं, इसके गंभीरता को समझते हुए थैलेसीमिया का इलाज सही समय पर करना अत्यधिक आवश्यक है। गोमेडी ने आपकी सुविधा के लिए थैलेसीमिया के लिए शीर्ष अस्पतालों की एक सूची तैयार की है |
थैलेसीमिया के इलाज के लिए दिल्ली के अच्छे अस्पताल
- मणिपाल अस्पताल, द्वारका, नई दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी, अस्पताल, शालीमार बाघ, नई दिल्ली
- इन्द्रप्रस्ठा अपोलो अस्पताल, जसोला नगर, नई दिल्ली
- सीके बिरला अस्पताल, पंजाबी बाघ, नई दिल्ली
- रेनबो अस्पताल, मालवीय नगर, नई दिल्ली
- आकाश हेल्थकेयरसुपर स्पेशलिटी अस्पताल, द्वारका, नई दिल्ली
थैलेसीमिया के इलाज के लिए कोलकाता के अच्छे अस्पताल
थैलेसीमिया के इलाज के लिए मुंबई के अच्छे अस्पताल
थैलेसीमिया के इलाज के लिए चेन्नई के अच्छे अस्पताल
थैलेसीमिया का इलाज के इलाज से संबंधित प्रश्न (FAQs related to Thalassemia)
थैलेसीमिया का मरीज कब तक जीवित रह सकता है ? (How long can a Thalassemia patient live?)
थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा सामान्य ही होती है किन्तु बीटा थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित व्यक्ति औसतन 17 वर्ष जीवित रहते हैं।
थैलेसीमिया पेशेंट को क्या खाना चाहिए ? (What should a Thalassemia patient eat?)
पालक, सेब, किशमिश, चुकंदर, अनार, अंजीर और बादाम शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ने में मदद करते जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाओं स्वस्थ और पर्याप्त मात्रा में बनती रहती हैं।
क्या थैलेसीमिया पूरी तरह ठीक हो सकता है ? (Can Thalassemia be completely cured?)
आम तौर पर थैलेसीमिया के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं का उपयोग होता हैं, जिसके सेवन से व्यक्ति को ज़्यादा से ज़्यादा ७ से १० दिन का समय लगता हैं ठीक होने में यदि किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।
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