दूध पिलाने वाली मां को प्रतिदिन कितने ग्राम प्रोटीन की जरूरत है


स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा लेना बहुत ही आवश्यक होता है. प्रोटीन शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है और बच्चे के सही विकास के लिए बेहद जरूरी होता है. अगर मां को प्रोटीन की कमी हो जाती है तो इससे बच्चे को कई नुकसान हो सकते हैं. क्योंकि एक नवजात बच्चे को पहली खुराक अपनी मां के दूध से ही मिलती है. मां के दूध की मात्रा और गुणवत्ता उनके आहार पर निर्भर करती है.अगर मां का आहार संतुलित नहीं है तो बच्चे की त्वचा, रक्त, हड्डियां और पूरा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.इसलिए दूध पिलाने वाली माताओं को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन जैसे सभी पौष्टिक तत्वों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए. आज जानते हैं कि स्तनापान करा रही महिला को प्रतिदिन कितने ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. 

स्तनपान करा रही माताओं को पर्याप्त प्रोटीन लेने की आवश्यकता होती है. परंतु कई बार वे अपने बच्चे की देखभाल में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि उनके खुद के डाइट और स्वास्थ्य की अनदेखी हो जाती है. यूएसडीए के अनुसार स्तनपान कराने के लिए औसतन प्रतिदिन 54 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है. परंतु डिलीवरी के बाद 70 ग्राम या इससे अधिक प्रोटीन भी जरूरी होता है. इसलिए स्तनपान करा रही माताओं को अपने शरीर की ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए पर्याप्त प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रह सकें और बच्चे को पौष्टिक दूध पिला सकें. 

जानें हाई प्रोटीन के लिए क्या खाएं 

  • दालें – चना, मूंग, उड़द, लोबिया आदि दालों को आहार में शामिल करें. ये प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं.
  • अंडा – अंडे में भरपूर मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन होता है.
  • दूध और दूध से बने उत्पाद – दही, पनीर, छाछ आदि.
  • मछली – मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स भी होते हैं.
  • मांस – चिकन, टर्की जैसे स्रोत प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं.
  • सोयाबीन और उत्पाद – टोफू, सोया नगेट्स.
  • सूखे मेवे और बीज – अखरोट, बादाम, चिया और फ्लैक्स सीड्स. 

प्रोटीन की कमी से होती है यह बीमारी 
प्रोटीन बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी होता है. प्रोटीन की कमी से बच्चों को विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. उनकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं. इम्यूनिटी भी कम होने से उन्हें संक्रमण होने का खतरा रहता है. बच्चों का वजन कम हो सकता है और वे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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