Pregnancy Ultrasound: होने वाली मां के लिए प्रेग्नेंसी का पीरियड (pregnancy period)बहुत ही क्रूशियल होता है. ये वो दौर होता है जब मां के शरीर में परिवर्तन होते हैं और साथ ही साथ गर्भस्थ शिशू की देखभाल भी जरूरी होती है. प्रेग्नेंसी पीरियड में बच्चे की डेवलपमेंट को परखने के लिए समय समय पर अल्ट्रासाउंड (ultrasound in pregnancy period)करवाया जाता है. इस प्रोसेस में अल्ट्रासाउंड किरणों के जरिए पेट के अंदर पल रहे बच्चे की तस्वीरें लेकर उसका विकास और सही पोजिशन पता की जाती है. इतना ही नहीं, अल्ट्रासाउंड प्रोसेस के जरिए डॉक्टर गर्भनाल के साथ साथ बच्चे की धड़कन और उसकी सही स्थिति पर भी नजर रखते हैं. कई लोग प्रेग्नेंसी में कई बार अल्ट्रासाउंड करवाते हैं. आपको बता दें कि हेल्थ एक्सपर्ट प्रेग्नेंसी में ज्यादा अल्ट्रासाउंड की मनाही करते हैं. चलिए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में कितनी बार अल्ट्रासाउंड करवाना सही होता है.
प्रेग्नेंसी में कितनी बार अल्ट्रासाउंड करवाना है सही
डॉक्टर सलाह देते हैं कि पूरी प्रेग्नेंसी में तीन से चार बार अल्ट्रासाउंड प्रोसेस काफी होती है. अगर इससे ज्यादा बार अल्ट्रासाउंड करवाया जाए तो पेट के अंदर पल रहे बच्चे के दिमाग और हड्डियों पर इसकी खतरनाक किरणों का बुरा असर पड़ सकता है.
पहला अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के पहले ट्राईमेस्टर यानी पहली तिमाही में पहला अल्ट्रासाउंड किया जाता है. इस दौरान पेट में पल रहे बच्चे की धड़कन की जानकारी ली जाती है और इसके साथ ही ये भी देखा जाता है कि भ्रूण का विकास सही से हो रहा है या नहीं.
दूसरा अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के 18वें से 20वें हफ्ते के बीच में दूसरा अल्ट्रासाउंड किया जाता है. इस दौरान बच्चे का डेवलपमेंट तेजी से होता है और उसके शरीर के अंग बनने लगते हैं. इस अल्ट्रासाउंड में बच्चे की दिल की धड़कन के साथ साथ उसके दिमाह और किडनी आदि की भी पोजिशन देखी जाती है. इसी अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे के अंदर संभावित जन्म विकार पता चल सकते हैं.
तीसरा अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के 28वें हफ्ते से 32वें हफ्ते के बीच तीसरा अल्ट्रासाउंड करवाया जाना सही होता है. इस अल्ट्रासाउंड में बच्चे की दिल की धड़कन के साथ साथ उसके बढ़ते वजन की जानकारी ली जाती है. इसके साथ साथ उसके डेवलपमेंट और उसकी एक्टिविटीज को भी देखा जाता है.
चौथा अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के 34वें से लेकर 36वें हफ्ते यानी प्रेग्नेंसी के फाइनल पीरियड में चौथा और आखिरी अल्ट्रासाउंड होता है. इस अल्ट्रासाउंड बच्चे की पोजिशन और उसका प्लेसेंटा देखा जाता है. ये अल्ट्रासाउंड काफी क्रूशियल होता है और इसी के जरिए पता चलता है कि डिलीवरी किस तरह की होगी और उसमें कितनी परेशानी आ सकती है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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