मानव का शरीर कई कोशिकाओं से मिलकर बना है और ये कोशिकाएं पूरे शरीर में होती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के अंदर बहुत से काम करती हैं। दरअसल शरीर में कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं। ये कोशिकाएं मानव शरीर के सभी अंगो के साथ तालमेल रखती हैं और शरीर के सभी अंग अपना काम करते रहते हैं। हालांकि, कभी कभी ये कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और बाद में ये कैंसर जैसी बीमारी का रूप ले लेती है। ऐसा होने पर कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं और शरीर के विकास तंत्र को बाधित कर देती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार डीएनए में असामान्य बदलाव से कैंसर होता है। यहाँ हम बात कर रहें हैं ब्लैडर कैंसर के बारे में जिसे मूत्राशय कैंसर भी कहा जाता है। आइये आपको बताते हैं की यह क्या है ?
ब्लैडर कैंसर अक्सर तब होता है जब मूत्राशय की कोशिकाओं में असामान्य विकास होता है। इसका सबसे सामान्य लक्षण है जब किसी व्यक्ति के पेट में दर्द होता हो और यह दर्द काफी लम्बे समय से हो रहा है तो ये ब्लैडर कैंसर की शुरुआत हो सकती है। लेकिन कई लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इस वजह से समस्याकुछ समय बाद गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। मूत्राशय के कैंसर वाले लोगों को अधिक दर्द का अनुभव होता है।
आपको बता दें इस वजह से कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। सटीक जानकारी के अभाव में कई लोग मूत्राशय के कैंसर से पीड़ित होते हैं। ब्लैडर कैंसर के लक्षणों और लक्षणों का निदान और उपचार समय पर किया जाना चाहिए। आज हम आपको मूत्राशय के कैंसर के बारे में विस्तार से बताएंगे।
ब्लैडर कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं?
ब्लैडर कैंसर की शुरुआत बहुत धीमी गति से होती है, जो कुछ समय बाद शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच जाती है। इसके आधार पर ब्लैडर कैंसर का स्तर निर्धारित किया जाता है, जो मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं:
मूत्राशय की दीवार में ट्यूमर– मूत्राशय के कैंसर का पहला चरण मूत्राशय की दीवार में ट्यूमर का बनना है। इस स्थिति में व्यक्ति को ब्लैडर कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते, जिससे उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे ब्लैडर कैंसर से पीड़ित हैं।
कैंसर लिम्फ नोड: ब्लैडर कैंसर दूसरे चरण में लिम्फ नोड तक पहुंचता है। ऐसे में इससे पीड़ित लोगों में शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं, जिससे उन्हें दर्द का सामना करना पड़ता है।
कैंसर जो शरीर के अन्य भागों में फैल जाए : मूत्राशय के कैंसर के तीसरे और अंतिम चरण में, यह शरीर के अन्य भागों जैसे फेफड़े, गुर्दे आदि में फैल जाता है। इस स्थिति में, व्यक्ति का मूत्राशय पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिसके बाद इलाज ही एक मात्र विकल्प होता है।
ब्लैडर कैंसर की पहचान कैसे करें?
हालांकि, मूत्राशय कैंसर से हर साल काफी सारे लोगों की मौत होती है, यदि इसकी पहचान समय रहते कर ली जाए तो इस आंकड़ों को कम किया जा सकता है। इस प्रकार होती है मूत्राशय कैंसर की पहचान जो इस प्रकार है:
एक्स-रे: मूत्राशय कैंसर की जांच कई बार एक्स-रे के द्वारा भी कि जाती है। एक्स-रे में मूत्राशय की तस्वीर ली जाती है और यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि मूत्राशय मार्ग में क्या दिक्कत है।
सी.टी. स्कैन: मूत्राशय कैंसर का पता लगाने का आसान तरीका सी.टी.स्कैन कराना है। इस टेस्ट के द्वारा शरीर की अंदरूनी तस्वीर ली जाती है और इसका पता लगाया जाता है कि यह कैंसर शरीर में किस हद तक फैल चुका है।
यूरिन साइटोलॉजी: अक्सर, डॉक्टर यूरिन साइटोलॉजी (urine cytology) से भी मूत्राशय कैंसर की जांच करते हैं। इसमें यूरिन के नमूने की जांच माइक्रोस्कोप में रखकर की जाती है और इस बात का पता लगाया जाता है कि क्या किसी व्यक्ति के यूरिन में कैंसर की कीटाणु मौजूद हैं अथवा नहीं।
सिस्टोस्कोपी, बायोप्सी: वर्तमान समय में, मूत्राशय कैंसर की पहचान सिस्टोस्कोपी (cystoscope) + बायोप्सी के द्वारा भी की जाती है।
ब्लैडर कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
आमतौर पर ब्लैडर कैंसर समेत सभी तरह के कैंसर को लाइलाज बीमारी माना जाता है, जिससे लोग इससे निजात नहीं पा पाते हैं। ब्लैडर कैंसर, एक बीमारी की तरह है, जिसका इलाज किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति ब्लैडर कैंसर से पीड़ित है तो वह इन 4 तरीकों से इसका इलाज करवा सकता है:
टीकाकरण: मूत्राशय के कैंसर का इलाज करने का सबसे आसान तरीका टीका लगवाना है। यह टीकाकरण मूत्राशय के कैंसर को ठीक करने के साथ-साथ इसे शरीर के अन्य भागों में फैलने से रोकने में मदद करता है।
कीमोथेरेपी: ब्लैडर कैंसर का कीमोथेरेपी से इलाज किया जाता है। कीमोथेरेपी में कैंसर से पीड़ित लोगों को विशेष दवाएं दी जाती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती हैं।
रेडिएशन थेरेपी : अक्सर रेडिएशन थेरेपी भी ब्लैडर कैंसर के इलाज में कारगर साबित हो सकती है। विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और इस कैंसर से पीड़ित लोगों को राहत देने के लिए उपयोग की जाती हैं।
सिस्टेक्टॉमी सर्जरी: जब ब्लैडर कैंसर से पीड़ित लोगों को किसी अन्य तरीके से राहत नहीं मिलती है, तो डॉक्टर उन्हें सिस्टेक्टोमी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। सिस्टेक्टोमी सर्जरी में मुख्य रूप से ब्लैडर को निकालना और पिछले ब्लैडर के पूरी तरह से फट जाने के बाद इसे एक नए से बदलना शामिल है।
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