भगंदर, जिसे फिस्टुला के नाम से भी जाना जाता है, हाल ही में एक अध्ययन ने बताया है कि भारत में लगभग 14 लाख से अधिक लोग भगंदर की समस्या से पीड़ित हैं, जिनमें अधिकांश लोगों को इस बीमारी की जानकारी भी नहीं होती है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे विकृत लाइफस्टाइल, घातक खानपान, आदि। बच्चों में यह समस्या जन्म से हो सकती है जबकि वयस्कों में यह अधिक बार गंभीर चोट के कारण होती है। भगंदर का इलाज समय पर होना चाहिए, इसलिए लोगों को इस बारे में सचेत रहना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इस समस्या के इलाज के लिए कई उपाय प्रस्तुत किए हैं, जो लोगों को इस संकट से निपटने में मदद कर सकते हैं। इस विषय पर लोगों को जागरूक करने और समस्या का समाधान ढूंढने में मदद करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग को भी नेतृत्व करना चाहिए।
भगंदर एक प्रकार की गंभीर बीमारी है जो गुदा के आस-पासी नसों में सूजन और दर्द के रूप में प्रकट होती है। यह आमतौर पर गुदा के आस-पास के ऊतकों में मस्तिष्क या रक्त संचार की कमी के कारण होती है। इसके कारण मल त्याग करते समय या बैठने, चलने या खड़े होने पर दर्द होता है, जो कभी-कभी बहुत तकलीफदेह हो सकता है। इसके अलावा, यह रक्तस्राव और अनुभव की जा सकती है, जो कभी-कभी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। भगंदर के उपचार के लिए अनेक घरेलू नुस्खे, आयुर्वेदिक दवाएँ, और चिकित्सा उपाय मौजूद हैं। यह बीमारी आधुनिक जीवनशैली और अनियमित भोजन की वजह से भी हो सकती है। इसलिए, स्वस्थ जीवनशैली और सही आहार का पालन करना भी इस बीमारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
भगंदर (फिस्टुला) के लक्षण क्या हो सकते हैं ?
भगंदर एक ऐसी बीमारी हैं जिसके लक्षण आसानी से सामने आ जाते हैं जिससे की बीमारी का पता लगाया जा सकता हैं। भगंदर (फिस्टुला) के लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं जैसे की-
- एनस के आस-पास जलन होना
- बुखार आना
- कब्ज की समस्या होना
- शरीर में कमजोरी महसूस करना
- बार बार एनस में फोड़े की शिकायत होना
- एनस से खून निकलना
- एनस के आस पास दर्द और सूजन होना
भगंदर (फिस्टुला) के कारण क्या हो सकते हैं ?
भगन्दर की बीमारी कई कारणों से होती है। अगर आपको इन कारणों की जानकारी पहले ही हो जाए तो आप कुछ सावधानियां बरतने के बाद खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं। नीचे हम आपको भगन्दर के कुछ खास कारणों के बारे में बता रहे हैं-
- बैक्टीरियल इन्फेक्शन
- कब्ज की समस्या
- अधिक शराब और धूम्रपान का सेवन करना
- टीबी या एड्स से पीड़ित होना
- लंबे समय तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना
- मलाशय के पास फोड़े होना
- एनस के आस पास चोट लगना
- गैस की समस्या अधिक होना
भगंदर (फिस्टुला) से छुटकारा पाने के लिए प्राकृतिक उपचार क्या होते हैं ?
भगंदर (फिस्टुला) से छुटकारा पाने के लिए कई प्राकृतिक और घरेलू उपचार मौजूद हैं। ये उपाय सामान्यत: प्रकृति में पाए जाने वाले सामग्रियों का उपयोग करते हैं और भगंदर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्राकृतिक उपचार हैं:
- अलसी का बीज: अलसी के बीज भगंदर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। अलसी के बीज को पानी में भिगोकर रखें और फिर उसे अदरक के साथ पीसकर सेवन करें।
- घी और तिल का तेल: घी और तिल का तेल को प्राथमिकत: आंतर्द्रव्य रूप से लगाएं और यह सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
- नारियल तेल: नारियल तेल को भी भगंदर के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसे प्राथमिकत: आंतर्द्रव्य रूप से लगाएं और सुबह-शाम इसका सेवन करें।
- नींबू का रस: नींबू का रस में शक्कर मिलाकर पीने से भगंदर के लक्षणों में आराम मिल सकता है।
- गर्म पानी में बैठना: भगंदर रोगी को एक टब में गर्म पानी डालकर उसमें बैठना होता है। पानी में कई जड़ी-बूटियां भी डाली जाती हैं। इससे गुदा के आसपास के हिस्से की सिकाई और सफाई होती है। जिससे मांसपेशियों में तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
- फलों और सब्जियों का सेवन: फाइबर युक्त आहार खाना भगंदर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। सेब, अंगूर, गाजर, लौकी, और अन्य हरे-सब्जियाँ और फल प्राकृतिक रूप से युक्त फाइबर का स्रोत हैं।
भगंदर (फिस्टुला) से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या होते हैं ?
भगंदर (फिस्टुला) से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार काफी प्रभावशाली होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय दिए जा रहे हैं जो भगंदर की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं:
- त्रिफला: त्रिफला एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है जो भगंदर के इलाज में उपयोगी होती है। इसे दिन में दो बार गर्म पानी के साथ सेवन करें।
- अर्शकल्प वटी: यह आयुर्वेदिक दवा भगंदर के इलाज में प्रयोग की जाती है। इसके सेवन से खून की रवानी बढ़ती है और भगंदर के लक्षण कम होते हैं।
- अर्शकल्प लिपी: यह आयुर्वेदिक लेप भगंदर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसे बाहरी रूप से लगाएं।
- कुमारी सार एलोवेरा जूस: यह एलोवेरा का रस है जो भगंदर के लक्षणों को कम करने और आराम प्रदान करने में मदद कर सकता है।
- योग और प्राणायाम: कुछ योगासन और प्राणायाम पाइल्स के इलाज में उपयोगी हो सकते हैं, जैसे कि वज्रासन, शिशुपालन,आलोम-विलोम, और कपालभाति।
- आहार संशोधन: अपने आहार में फाइबर युक्त आहार, प्लेंटी ऑफ़ वॉटर, और ताजे फलों और सब्जियों का सेवन करें।
- आयुर्वेदिक सर्जरी: भगंदर के उपचार के लिए आयुर्वेद में कई सर्जरी प्रक्रियाएं मौजूद हैं। लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ गंभीर स्थिति होने पर ही किया जाता है। इसके बजाए आयुर्वेदिक दवाओं और जड़ी बूटियों से समस्या का हल करने की कोशिश की जाती है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1.भगंदर को जड़ से खत्म कैसे करें?
ऐसे में भगंदर के इलाज के लिए लेजर सर्जरी सबसे सुरक्षित और सफल प्रक्रिया है। इस सर्जरी से स्फिंकटर मांसपेशियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और भगंदर के दुबारा आने की संभावना भी बहुत कम रहती है।
2.भगंदर के ऑपरेशन में कितना खर्चा आता है?
भगंदर को ठीक करने की दिशा में ऑपरेशन कराना एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन भारत में ज्यादातर लोग सर्जिकल प्रक्रिया को चुनने से पहले लागत कारक के बारे में चिंता करते हैं। औसतन, भारत में भगंदर की ऑपरेशन की लागत 40,000 से 50,000 रुपये के बीच हो सकती है।
3.भगंदर के ऑपरेशन के लिए कौन-से अस्पताल अच्छे हैं ?
भगंदर के ऑपरेशन के लिए भारत के टॉप 10 अस्पताल-
- अपोलो अस्पताल, मुंबई
- बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पंजाब
- मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम
- आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम
- ग्लोबल अस्पताल, चेन्नई
- कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल, मुंबई
- इन्द्रप्रस्ठा अपोलो अस्पताल, दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल, बैंगलोर
- लीलावती अस्पताल, मुंबई
4.भगंदर की शुरुआत कैसे होती है?
भगन्दर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति के मलद्वार के पास कोई फोड़ा बन जाता है और उसमें जब कई मुंह बन जाते हैं और रोगी व्यक्ति इस फोड़े से छेड़छाड़ करता है तो उसे यह रोग हो जाता है। अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण मलद्वार के पास फोड़ा हो जाता है जो आगे बढ़कर भगन्दर का रूप ले लेता है।
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