अन्य मानव कोशिकाओं की ही तरह रक्त कोशिकाएं भी बढ़ती हैं। उनका विकास बोन मेरो (अस्थि मज्जा )मे एक मात्र कोशिका मे होता हैं, जिसे स्टेम सेल कहा जाता हैं। स्टेम कोशिका एक ऐसी कोशिकाएं होती हैं जिनमे शरीर के किसी भी अंग को विकशित करने की क्षमता होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिकाओं को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जा सकता हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट क्या होता हैं ? (What is stem cell transplant in hindi)
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन (बीएमटी) यह एक जटिल मेडिकल प्रक्रिया हैं जिसमें रोगग्रस्त या क्षतिग्रस्त बोन मेरो के स्थान पर एक स्वस्थ रक्त उत्पादक बोन मेरो को प्रतिस्थापित किया जाता हैं। बोन मेरो हड्डीओं के बीच पाया जाने वाला एक पदार्थ हैं, जिसमें स्टेम सेल होते हैं। स्टेम सेल की आवश्यकता तब पड़ती है जब स्टेम सेल ठीक तरह से काम करना बंद कर दे या फिर पर्याप्त मात्रा मे स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन न कर पाए।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के प्रकार। (Types of Stem Cell Transplant)
ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट (autologous transplant): ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट मे व्यक्ति के शरीर में बची हुई स्वस्थ कोशिकाओं का उपयोग किया जाता हैं। यह भी जाना जाता हैं की इस तरह का ट्रांसप्लांट ब्लड कैंसर जैसी बीमारी मे किया जाता हैं।
एलोजेनिक ट्रांसप्लांट (allogeneic transplant): एलोजेनिक ट्रांसप्लांट मे किसी दूसरे व्यक्ति की स्वस्थ कोशिकाओं को लेकर ट्रांसप्लांट किया जाता हैं। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट थेलेसिमिया, एनीमिया जैसी बीमारी मे किया जाता हैं। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के लिए सबसे जरुरी एक डोनर की भूमिका होती है जो स्वस्थ कोशिकाओं का दान मरीज को करते हैं, कोशिकाओं को दान करने के लिए व्यक्ति मे क्या होना जरुरी हैं।
- डोनर की उम्र 18 से 50 साल के बीच में होनी चाहिए।
- डोनर का ब्लड ग्रुप मरीज के ब्लड ग्रुप से मैच होना चाहिए।
- डोनर को किसी भी प्रकार की बीमारी न हो।
- डोनर के शरीर में खून की कमी नहीं होनी चाहिए
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किन -किन बीमारियों मे किया जाता हैं ?
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया। (Stem Cell Procedure)
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में डोनर तथा मरीज को मानसिक रूप से परामर्श किया जाता हैं। सबसे पहले इस प्रक्रिया के दौरान डोनर और मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता हैं ताकि दोनों को सर्जरी के वक़्त कम से कम दर्द महसूस हो। इसमें मरीज या स्टेम सेल दान करने वाले डोनर से एक या दो यूनिट रक्त लिया जाता है, स्टेम सेल बनने के बाद वापस लौटा दिया जाता हैं। मरीज को एक साफ़ सुथरे कमरे मे अलग रखा जाता हैं क्योकि मरीज को संक्रमण होने का खतरा रहता हैं, संक्रमण दूर करने के लिए मरीज को एंटीबायोटिक भी दिया जाता हैं।
शरीर में कही भी कैंसर है तो उसे नष्ट करने के लिए या रोगग्रस्त स्टेम सेल्स को नष्ट करने के लिए मरीज को कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी दी जाती हैं। कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की अत्यधिक मात्रा के कारण ब्लड स्टेम सेल नष्ट हो जाती है तथा सामन्य ब्लड सेल का उत्पादन शुरू कर देती हैं। इस पूरी प्रक्रिया में 2 से 3 घंटे लगते हैं और यह दर्द रहित होती हैं मरीज में फ्लू जैसे लक्षण नज़र आते हैं जो की बाद मे खुद ठीक हो जाते हैं।
मरीज को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता और वह सर्जरी के कुछ समय बाद अपनी सामान्य अवस्था मे आ जाता हैं परन्तु डॉक्टर मरीज को कुछ दिन अस्पताल में रखते हैं ताकि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर अपने घर जा पाए।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए बेस्ट अस्पताल – (best hospital for stem cell transplant in Hindi)
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल।
- शारदा अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- यथार्थ अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- बकसन अस्पताल ग्रेटर नोएडा
- जेआर अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- प्रकाश अस्पताल ,ग्रेटर नोएडा
- शांति अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
- दिव्य अस्पताल , ग्रेटर नोएडा
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए चेन्नई के बेस्ट अस्पताल।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए कोलकत्ता के बेस्ट अस्पताल।
- फोर्टिस अस्पताल , कोलकत्ता
- अपोलो अस्पताल , कोलकत्ता
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए मेरठ के बेस्ट अस्पताल।
- आनंद अस्पताल , मेरठ
- सुभारती अस्पताल ,मेरठ
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स्टेम सेल प्रक्रिया के बाद क्या होता हैं ?
जब शरीर मे एक नयी कोशिका का प्रवेश होता हैं तभी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं इस प्रक्रिया में नयी कोशिका आपके रक्त के साथ बोन मेरो तक की यात्रा करती हैं और उसमे वृद्धि होने लगती हैं। कोशिकाओं की संख्या को सामान्य रूप से वापस आने में लगभग 6 सप्ताह का समय लग जाता है। मरीज को स्वस्थ की निगरानी रखने के लिए समय- समय पर खून की जाँच की जाती हैं। कई बार डॉक्टर यह सलाह देते हैं की सर्जरी के बाद मरीज को 1 महीने तक अपने आप को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाईओं का सेवन समय पर होता हैं तथा अपने आप को अन्य संक्रमण से नहीं बचाये रखना होता हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के बाद जिन दवाईओं का सेवन मरीज कर रहा हैं उनसे उन्हें कई अन्य परेशानी हो सकती हैं जैसे की उलटी, सर दर्द ,चक्कर आना।
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