आज हम आपको डिहाइड्रेशन (Dehydration) और स्ट्रॉक (Stroke) बीच क्या लिंक है? आज इस आर्टिकल के जरिए इसके बीच के कनेक्शन के बारे में बात करेंगे. स्ट्रॉक की वजह से इंसान विकलांग भी हो सकता है. अमेरिका में स्ट्रॉक मौत का 5वां सबसे बड़ा कारण है. इस रिसर्च में यह बात कही गई कि स्ट्रॉक के जितने भी केसेस आते हैं उसमें यह देखा गया है कि 50 प्रतिशत मरीज डिहाइड्रेट रहते हैं. यानि शरीर में पानी की कमी. ‘मॉडर्न माइग्रेन’ की एमडी रीसा रेविट्ज़’जोकि बोर्ड-प्रमाणित न्यूरोलॉजिस्ट हैं वह कहती हैं. डॉ. रैविट्ज़ स्ट्रोक के मरीज को ही देखती हैं. मैनहट्टन, एनवाईसी, टॉम्स रिवर, न्यू जर्सी, एवेंचुरा, फ्लोरिडा जैसे 13 राज्यों में स्ट्रॉक के मरीज को देखती हैं. वह बताती हैं कि स्ट्रॉक और डिहाइड्रेशन के बीच एक खास कनेक्शन है.
सर्दियों में बड़े-बुजुर्ग को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए
डिहाइड्रेशन आपके शरीर के पानी पर निर्भर करता है. यदि आप बहुत बहुत ज्यादा भी पानी पीते हैं तो वह शरीर के लिए खतरनाक है. लेकिन शरीर के हिसाब से पानी पीना ही चाहिए. ताकि आप डिहाइड्रेट होने से बचें. बढ़ती उम्र के लोगों को बच्चों और युवाओं के मुकाबले ज्यादा पानी पीनी चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे उनकी उम्र होती है उनके शरीर में पानी की कमी होने लगती है. खासकर सर्दियों में ठंडी हवा के कारण शरीर का पानी सुखने लगते हैं तो उस वक्त ज्यादा पानी पीना चाहिए. गर्मियों में प्यास लगती है कि तो हम पानी पी लेते हैं लेकिन सर्दियों में होंठ सुखने से पता चलता है कि शरीर में पानी की कमी हो रही है.
शरीर आपका डिहाइड्रेट हो गया है इसके होते हैं ऐसे संकेत
टॉयलेट न होना
मुंह सुखना
मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन
चक्कर आना या बेहोशी महसूस होना
थकावट होना या शरीर को एनर्जी न मिलना
टॉयलेट का कलर चेंज होना
सांस तेज चलना के साथ दिल की धड़कन का बढ़ना
लगातार सिरदर्द होना
हर उम्र के लोग पर डिहाइड्रेश के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं:
अगर छोटे बच्चों को रोते वक्त आंख से आंसू नहीं निकल रहे हैं तो वह डिहाइट्रेशन का शिकार है.
बूढ़े लोगों की त्वचा सूख गई है. उन्हें पसीना नहीं आता और उनका बीपी लो है तो इसका मतलब वह हल्का डिहाइड्रेशन का शिकार हुए है. इन सब से छुटकारा पाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी पी सकते हैं.
अगर ज्यादा डिहाइड्रेशन का शिकार हो गए हैं तो आप हाइपोवोलेमिक शॉक या दौरे जैसी गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए डॉक्टर की सलाह और परामर्श ले सकते हैं.
स्ट्रोक को जिसे सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना (सीवीए) भी कहा जाता है. जब आपके मस्तिष्क में ब्लड ठीक से नहीं पहुंचता है. तब आपको स्ट्रॉक होता है. स्ट्रॉक की स्थिति तब बनती है जब मस्तिष्क तक ठीक से ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं. जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती है. ऐसी स्थिति में किसी को भी स्ट्रोक पड़ सकता है.
इन बीमारी के मरीज को स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है. जिसमें हाई बीपी, मधुमेह, कैरोटिड धमनी रोग, हृदय रोग, पुरानी सूजन, धूम्रपान, अधिक उम्र, पारिवारिक इतिहास, उच्च कोलेस्ट्रॉल और अनियंत्रित दीर्घकालिक तनाव शामिल हैं. स्ट्रोक विभिन्न प्रकार के होते हैं. सबसे आम को इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है. ऐसा तब होता है जब धमनी में प्लाक के निर्माण या रक्त के थक्के के कारण रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है. कम आम रक्तस्रावी स्ट्रोक तब होता है जब रक्त वाहिका फट जाती है और आपके मस्तिष्क में रक्तस्राव होता ह.। दोनों प्रकार के स्ट्रोक समान लक्षण पैदा करते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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