पाइल्स के लक्षण और इसके इलाज के बेस्ट लिए हॉस्पिटल। – GoMedii


पाइल्स यानि बवासीर एक ऐसी बीमारी हैं जो की दर्दनाक होती हैं इस बीमारी में मरीज को उठने-बैठने में भी तकलीफ होती हैं। इस बीमारी में गुदा- ऐनस (मल त्याग का भाग) के अंदरूनी और बाहरी हिस्से और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन पैदा हो जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर किसी एक जगह पर मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो अंदर बाहर दोनों तरह होती है। पाइल्स की बीमारी के लिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

 

 

 

 

पाइल्स के चार प्रकार होते हैं –

 

  • आंतरिक पाइल्स: यह आमतौर पर मलाशय के अंदर पाया जाता है। यह गुदा की काफी गहराई में होता है इस वजह से कुछ मामलों में यह दिखाई नहीं देते। हालांकि आंतरिक बवासीर कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं करते और समय के साथ ठीक हो जाते हैं।

 

  • बाहरी पाइल्स: यह मलाशय के ऊपर ठीक उसी जगह पर होता है जहां से मल बाहर निकलता है। अधिकांश मामलों में यह दिखाई नहीं देता जबकि कुछ मामलों में यह मलाशय की सतह पर गांठ की तरह दिखता है।

 

  • प्रोलेप्सड पाइल्स: यह आंतरिक बवासीर में सूजन आने की स्थिति के कारण होता है। आंतरिक बवासीर में सूजन के कारण यह मलाशय से बाहर आ जाता है। इसमें बवासीर एक सूजन ग्रस्त गांठ की तरह या गुदा से बाहर की तरफ निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देता है।

 

  • खूनी पाइल्स: यह बवासीर की सबसे आखिरी स्टेज होती है। इसमें खून के थक्के बनने लगते हैं। ये खून के थक्के आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के बवासीर में बन सकते हैं। इससे पीड़ित को काफी दर्द होता है।

 

 

पाइल्स के लक्षण क्या नज़र आते हैं ? (Piles symptoms in Hindi)

 

 

आमतौर पर बवासीर होने के लक्षण कई प्रकार के हो सकते है, लेकिन मुख्य रूप में इसके लक्षण मस्से और उन में से खून निकलना ही माना जाता है। डॉक्टर के अनुसार पाइल्स के लक्षण नज़र आते हैं जैसे की –

 

  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।शौच के बाद भी पेट साफ ना होने का आभास होना।

 

  • शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।

 

  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।

 

  • गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।

 

  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
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  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।

 

 

पाइल्स होने के कारण क्या हैं ? (piles causes in Hindi)

 

 

पाइल्स होने के निम्लिखित कारण होते हैं –

 

 

  • जेनेटिक: यदि परिवार के इतिहास में पाइल्स की बीमारी किसी को रही हो तो यह समस्या आगे भी हो सकती हैं।

 

  • मोटापा: पेट बढ़ने के कारण गुदा की मांसपेशियों में दबाव बढ़ता है। इससे बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

  • बुढ़ापा: बढ़ती हुई उम्र के कारण बवासीर हो सकता है। यह 45 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में अधिक देखा जाता है। दरअसल बुढ़ापे में बवासीर से रक्षा करने वाले टिश्यू खत्म हो जाते हैं। इसके कारण बवासीर उभरने लगता है।

 

  • गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में बवासीर होने का अधिक खतरा रहता है। दरअसल प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय फैलता है। इसके कारण कोलन में वेइन पर दबाव पड़ने से यह सूज जाता है, जो बवासीर का कारण बनता है।

 

  • कब्ज: कब्ज बवासीर का एक प्रमुख कारण है. कब्ज में मल सूखा और कठोर हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को मल त्यागने में दिक्कत होती है. काफी देर तक बैठे रहने के कारण वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है। जिसके कारण वह फूलकर लटक जाती हैं और उन्हें ही बवासीर का मस्सा कहा जाता है।

 

  • नशीले पदार्थो का सेवन: धूम्रपान और शराब के सेवन के चलते भी बवासीर हो सकता है।

 

  • अस्वस्थ खान-पान: ज्यादा तला-भुना और मिर्च मसाले युक्त भोजन भी बवासीर का कारण बनता हैं तथा बवासीर का कारण कम फाइबर वाला आहार बन सकता है क्योंकि इससे कब्ज होता है। और कब्ज के कारण मल त्याग के दौरान तनाव मलाशय की नसों पर दबाव डालता है, जिससे बवासीर का विकास और बिगड़ जाता हैं।

 

 

पाइल्स का इलाज किस प्रकार होता हैं ? (piles treatment in Hindi)

 

 

  • दवाइयां: पाइल्स का इलाज दवाइयों द्वारा भी किया जा सकता हैं परन्तु यह तब तक की संभव हैं जब तक पाइल्स की समस्या पहले चरण पर हो यदि समस्या बढ़ती हैं तो इसके लिए डॉक्टर ऑपरेशन का विकल्प चुनते हैं।

 

  • ओपन हेमरॉयडेक्टमी: यह बवासीर ऑपरेशन करने की सबसे पुरानी प्रक्रिया है। इसमें रोगी को जनरल एनेस्थीसिया का डोज दिया जाता है और बवासीर के मस्सों को काटकर अलग किया जाता है। कट करने के लिए डॉक्टर सर्जिकल कैंची का प्रयोग करते हैं। उपचार के बाद डॉक्टर बवासीर के स्थिति के अनुसार जख्म को बंद कर देते हैं या खुला छोड़ देते हैं।
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  • लेजर सर्जरी: इसे लेजर हेमरॉयडेक्टमी भी कहते हैं। मस्सों को नष्ट करने के लिए लेजर किरण का उपयोग होता है। रोगी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में रहना पड़ता है, इसी दौरान डॉक्टर एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की लेजर बीम को बवासीर के मस्सों पर छोड़ते हैं और आधे घंटा के भीतर बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। यह कम समय में होने वाली एक दर्द रहित और एडवांस प्रक्रिया है, जिसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और गुदा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निशान नहीं बनते हैं।

 

  • स्क्लेरोथेरेपी: बवासीर के उपचार के इस प्रक्रिया में डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से एक केमिकल को आंतरिक बवासीर के मस्सों पर लगाते हैं। इंजेक्शन लगाने के बाद मस्से सूखने लगते हैं और पूरी तरह से सूख जाते हैं। हालांकि, यह सिर्फ आंतरिक बवासीर के लिए अधिक प्रभावी होता है।

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल। (Best hospitals for piles treatment in Hindi)

 

पाइल्स के लक्षण।

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए मेरठ के बेस्ट अस्पताल। 

 

  • सुभारती अस्पताल, मेरठ
  • आनंद अस्पताल, मेरठ

 

पाइल्स के इलाज के लिए हापुड़ के बेस्ट अस्पताल। 

 

  • शारदा अस्पताल, हापुड़
  • जीएस अस्पताल, हापुड़
  • बकसन अस्पताल, हापुड़
  • जेआर अस्पताल, हापुड़
  • प्रकाश अस्पताल, हापुड़

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल। 

 

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए ग्रेटर नोएडा के बेस्ट अस्पताल। 

 

  • शारदा अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • बकसन अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • जेआर अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • प्रकाश अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • दिव्य अस्पताल, ग्रेटर नोएडा
  • शांति अस्पताल, ग्रेटर नोएडा

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल। 

 

 

यदि आप इनमें से कोई अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

 

पाइल्स की समस्या में क्या खाना चाहिए ? (What should be eaten in case of piles in Hindi)

 

पाइल्स में पौष्टिक आहार का सेवन करना अधिक आवश्यक होता हैं जैसे की –

 

  • फल खाएं:ताज़े और शुद्ध फलों को छिलके (जो खाये जा सकते हो) के साथ खाएं, क्योंकि छिलके में सबसे अधिक फाइबर मौजूद होता है। फलों में कई तरह के विटामिन और मिनरल भी होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। फल जैसे केला, संतरा, अंगूर आदि से बवासीर में लाभ मिलता है।
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  • खूब पानी पिएं:पानी पीने के बहुत फ़ायदे हैं। खूब पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बड़ी आसानी से आँतों से होकर निकल जाते हैं। बवासीर है तो दिन में 4-5 लीटर पानी पिएं। आप कुछ अलग तरल पेय पदार्थ जैसे खीरे का जूस, पालक का जूस आदि भी पी सकते हैं। अच्छा है कि कोई स्वस्थ तरल पदार्थ पियें।

 

  • छाछ पिएं: छाछ नसों को शांत करता है जिससे ठंडक महसूस होती है और इसके सेवन से सूजन भी दूर होती है। साथ ही। छाछ पीने से बवासीर की समस्या के प्रमुख कारणों जैसे एसिडिटी और अपच से तुरंत राहत मिलती है जो बवासीर को ठीक करने में सहायक है।

 

  • शिमला मिर्च: शिमला मिर्च का सेवन पाइल्स के लिए फायदेमंद होता हैं इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता हैं जो की शरीर के लिए बहुत अच्छा रहता हैं।

 

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ खाएं: हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ पाचन तंत्र को सुधारने का काम करती हैं और आंतों को भी साफ़ करती हैं। इसलिए भरपूर मात्रा में पालक, गाजर, पत्ता गोभी, खीरा, ब्रोकली आदि का सेवन करें। इसके अलावा, पत्तेदार सब्ज़ियों में कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन भी होते हैं जो मांसपेशियों के लिए फायदेमंद होते हैं।

 

 

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