अप्लास्टिक एनीमिया एक तरह का रक्त विकार हैं, यह बीमारी महिला और पुरुष दोनों में देखने को मिलती हैं। इस बीमारी में शरीर में नई रक्त कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं तथा यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती हैं। अप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति में यदि लाल रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स बनना कम हो जाए तो यह स्थिति अधिक गंभीर हो सकती हैं जिसकी वजह से यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज मनुष्य को सही समय पर करवा लेना चाहिए।
- एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया: एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया के सबसे ज्यादा मामले अधिक उम्र वाले लोगों में पाए जाते हैं। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने की वजह से यह स्थिति पैदा होती है।
- इन्हेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया: इन्हेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया अधिकतर जीन संबंधी दिक्कतों की वजह से होता है। यह बीमारी सबसे ज्यादा 20 से 30 साल के लोगों में पाई जाती है, इस बीमारी की वजह से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण क्या होते हैं ?
अप्लास्टिक एनीमिया के सटीक लक्षण नज़र नहीं आते हैं लेकिन कुछ समस्या के आधार पर लक्षण की पहचान की जा सकती हैं-
- बुखार आना
- सिरदर्द होना
- नाक से खून आना
- संक्रमण का खतरा बार – बार होना
- त्वचा में पीलापन
- चक्कर आना
- चोट लगने पर रक्त स्त्राव होना
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान महसूस होना
अप्लास्टिक एनीमिया के कारण क्या होते हैं ?
अप्लास्टिक एनीमिया का सबसे आम कारण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अस्थि मज्जा में स्टेम कोशिकाओं पर हमला करना हैं अन्य कारण जो अस्थि मज्जा को घायल कर सकते हैं और रक्त कोशिका उत्पादन को प्रभावित कर सकता हैं उनमें निम्नलिखित कुछ कारण शामिल हैं –
- दवाएं जैसे कीमोथेरिपी दवाएं या क्लोरैमफेनिकॉल
- कीटनाशक के संपर्क में आना
- रुमेटॉयट आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) और ल्यूपस
- अन्य संक्रमण
अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज कैसे होता हैं ?
अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज आपकी स्थिति और आपकी उम्र की गंभीरता पर निर्भर करता हैं, में अवलोकन रक्त या दवाएं या बोन मेरो ट्रांसप्लांट शामिल हो सकते हैं। यदि अप्लस्टिक एनीमिया अधिक गंभीर होता हैं तो इसके लिए तुरंत अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक होता है तथा इसका इलाज भी सही समय पर होना चाहिए, अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज के लिए डॉक्टर की विकल्प चुनते हैं।
ब्लड ट्रांसफ़्यूजन: यदि अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज नहीं होता, रक्त आधान, रक्तस्त्राव को नियंत्रित कर सकता हैं और रक्त कोशिकाओं को प्रदान करके लक्षणों को दूर रखता हैं जो आपकी अस्थि मज्जा का उत्पादन नहीं कर रहा हैं। इस दौरान निम्न उपचार दिए जा सकते हैं –
लाल रक्त कोशिकाएं: ये लाल रक्त कोशिकाओं की सख्या बढ़ाते हैं और एनीमिया और थकान को दूर कर सकते हैं।
प्लेटलेट्स: यह अधिक रक्तस्त्राव को रोकने में मदद करती हैं।
बोन मेरो ट्रांसप्लांट: बोन मेरो ट्रांसप्लांट करने के लिए स्वस्थ स्टेम कोशिकाएं व्यक्ति के अपने शरीर या फिर किसी डोनर के शरीर से ली जाती हैं और ट्रांसप्लांट करने से पहले फ़िल्टर की जाती हैं।
एंटीबायोटिक्स: अप्लास्टिक एनीमिया होने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती हैं जिससे की संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता हैं। अप्लास्टिक एनीमिया होने से पहले व्यक्ति को काफी बार बुखार आता हैं यदि अप्लास्टिक एनीमिया गंभीर हो जाए तो डॉक्टर संक्रमण कम करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स का सेवन करने के लिए कहते हैं।
अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल।
अप्लास्टिक एनीमिया के लिए मुंबई के अच्छे अस्पताल।
अप्लास्टिक एनीमिया के लिए हैदराबाद के अच्छे अस्पताल।
अप्लास्टिक एनीमिया के लिए बैंगलोर के अच्छे अस्पताल।
अप्लास्टिक एनीमिया के लिए गुरुग्राम के अच्छे अस्पताल।
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अप्लास्टिक एनीमिया में क्या खाना चाहिए ?
अप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारी में मरीज को उन पदार्थो का अधिक सेवन करना चाहिए जिससे की शरीर में रक्त का संचार हो जैसे की –
- टमाटर: टमाटर खाने से शरीर में रक्त बढ़ता हैं और पाचन तंत्र भी सही रहता हैं तथा यह त्वचा के लिए भी अधिक फायदेमंद होता हैं।
- अनार: अनार में पोटेशियम और फाइबर के साथ-साथ आयरन, विटामिन ए, सी और ई भी पाए जाते हैं। अनार शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाता है।
- पीनट बटर: पीनट बटर यानि कि मूंगफली का मक्खन भी शरीर से खून की कमी को दूर करने में मदद करता है। पीनट बटर में भारी मात्रा में आयरन होता है।
- चुकंदर: चुकंदर आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मरम्मत करने में मदद करता है। चुकंदर का सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
- सेब: एनीमिया जैसी बीमारियों में सेब बहुत फायदेमंद है। इसमें आयरन के साथ कई अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के लिए आवश्यक होते हैं।
- हरी पत्तेदार सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियां खून बढ़ाने के लिए अधिक फायदेमंद होती हैं तथा इसमें मिनरल्स और आयरन की मात्रा भी अधिक होती हैं।
- कद्दू के बीज: कदूद के बीजों में विटामिन्स, मिनरल्स अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम है, तो आप कद्दू के बीज खा सकते हैं।
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