लिवर कैंसर के लक्षण क्या होते हैं। – GoMedii


लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता हैं यह पेट के दाहिने तरफ के रिब्स के पीछे होता है। शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और एंजाइम के प्रोडक्शन में लिवर की अहम भूमिका होती है। असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली की वजह से लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लिवर से सम्बंधित सबसे घातक बीमारी लिवर कैंसर होती हैं जिसे हेपेटिक कैंसर भी कहा जाता है।

 

 

 

 

 

लिवर कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो लिवर की कोशिकाओं को प्रभावित करती है और तब होती हैं जब कैंसर कोशिकाएं असामान्य तरह से बढ़ने लगती हैं और सामान्य कोशिकाओं के लिए जगह नहीं छोड़ती हैं। लिवर कैंसर के लक्षण सामान्य ही लगते हैं इसलिए लिवर से सम्बंधित कोई भी समस्या हो तो उसे बिलकुल भी नज़रअंदाज़ न करे और डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

 

 

 

लिवर कैंसर के लक्षण क्या होते हैं ?

 

 

लिवर कैंसर की शुरुआत मे मरीजों को विशेष लक्षण महसूस नहीं होते हैं परन्तु अगर लिवर कैंसर की स्थिति समय के साथ बढ़ने लगती हैं तो कुछ कारण इस प्रकार होते है-

 

  • रिब केज के ठीक नीचे दाईं ओर एक सख्त गांठ का होना
  • पेट में सूजन और पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी होना
  • दाहिने कंधे के पास या पीठ में दर्द होना
  • पीलिया होना
  • आसानी से खून का बहना
  • थकावट का ज्यादा होना
  • नौसिआ (Nausea ) या उलटी होना
  • भूख कम लगना
  • बिना किसी कारण वजन घटना

 

 

लिवर कैंसर होने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं ?

 

 

लिवर कैंसर होने के निम्नलिखित कारण होते हैं जैसे कि –

 

  • यदि परिवार में किसी व्यक्ति को लिवर से सम्बंधित बीमारी या इतिहास में किसी को लिवर कैंसर रहा हो तो इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती हैं।
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  • मधुमेह (diabetes) वाले रोगियों को भी लिवर कैंसर होने का खतरा रहता हैं।

 

  • फैटी लिवर भी लिवर कैंसर की तरफ इशारा करता है इससे भी लिवर कैंसर जैसी बीमारी हो सकती हैं।

 

  • शरीर का बहुत मोटापा भी लिवर कैंसर का कारण बन सकता हैं।

 

  • हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी होने से भी व्यक्ति को लिवर कैंसर होने की पूरी संभावना होती हैं।

 

  • अधिक से अधिक शराब तथा धूम्रपान का सेवन करने भी लिवर कैंसर होता है।

 

  • सिरोसिस होने से भी लिवर कैंसर हो सकता हैं।

 

 

लिवर कैंसर की जाँच किस प्रकार होती हैं ?

 

 

लिवर कैंसर का पता लगाना कठिन होता हैं क्योकि लिवर कैंसर के लक्षण शुरू में नज़र नहीं आते हैं। लिवर कैंसर का पता कुछ परीक्षण से पता चल सकता हैं जैसे की –

 

 

लिवर फंक्शन परीक्षण: इस टेस्ट से डॉक्टर को मरीज के खून में प्रोटीन, लिवर एंजाइम और बिलीरुबिन के स्तर का पता लगता है, जिससे कैंसर का पता चल सकता है।

 

लिवर बायोप्सी: लिवर बायोप्सी में लिवर का एक ऊतक (टिश्यू) निकाला जाता हैं तथा उसे लैब में टेस्ट करके लिवर की स्थिति का पता लगाया जाता हैं यदि मनुष्य को लिवर से सम्बंधित कोई गंभीर समस्या हो तो वह लिवर बायोप्सी की मदद से पता लग सकती हैं।

 

इमेजिंग टेस्ट: लिवर कैंसर का पता लगने के बाद इमेजिंग टेस्ट किया जाता हैं ताकि यह पता चले कि ट्यूमर कहा तक फ़ैल गया हैं।

 

 

 

लिवर कैंसर का इलाज कैसे होता हैं ?

 

लिवर कैंसर के इलाज निम्नलिखित तरीकों से हो सकते हैं जैसे कि-

 

 

हेपेटेक्टमी (Hepatectomy): हेपेटेक्टमी एक प्रमुख लिवर सर्जरी होती है। जो की लिवर कैंसर में करी जाती हैं। हेपेटेक्टमी में लिवर के रोगग्रस्त हिस्से को निकाल लिया जाता हैं। रोगी के लिवर का कुछ हिस्सा निकालने के बाद भी वह जीवित रह सकता है , यह इसलिए होता है क्योकि लिवर में फिर से विकशित होने की क्षमता पूर्ण रूप से होती है।

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कीमोथेरेपी (chemotherapy): कीमोथेरेपी से भी लिवर कैंसर का इलाज किया जा सकता है। कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है, यह रोगी को दवाई के माध्यम से दी जाती हैं। इस इलाज में रोगी को कई समस्या का सामना करना पड़ता हैं। कीमोथेरेपी में जो दवाइओं का सेवन मरीज करते है उनसे उन्हें उल्टी ,शरीर में दर्द, ठण्ड लगना , भूख उल्टी कम कगना आदि कष्टों का सामना करना होता है।

 

 

एबलेशन (Ablation): एबलेशन भी कुछ कीमोथेरेपी जैसा इलाज हैं यह इलाज भी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता हैं। परन्तु इस इलाज में रोगी को बेहोस करके इंजेक्शन द्वारा इलाज किया जाता है।

 

 

रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): रेडिएशन थेरेपी में हार्ट एनर्जी वाले रेडिएशन का इस्तेमाल करके कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस इलाज में भी रोगी को उलटी तथा त्वचा की समस्या हो सकती है।

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant): लिवर शरीर का एकमात्र ऐसा अंग होता है जो की फिर से बन सकता है तथा विकसित हो सकता है। जिससे की रोगी फिर से स्वस्थ रह सकता है। लिवर ट्रांसप्लांट में रोगी के ख़राब लिवर को स्वस्थ लिवर से बदला जाता है। यह सर्जरी तब की जाती है जब लिवर कैंसर बाकि अंगो तक न फैला हो। लिवर ट्रांसप्लांट में अगर रोगी के लिवर को आधा स्वस्थ लिवर में भी बदला जाये तो वह फिर से विकशित हो सकता हैं। लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सबसे आवश्यक एक डोनर होता हैं जिसके लिवर का थोड़ा सा भाग रोगी को दिया जाता हैं।

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लिवर कैंसर के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल।

 

 

लिवर कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली के अच्छे अस्पताल –

 

 

 

लिवर कैंसर के इलाज के लिए हैदराबाद के अच्छे अस्पताल –

 

 

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लिवर कैंसर के लिए बैंगलोर के अच्छे अस्पताल –

 

 

 

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