हमारे शरीर में मस्तिष्क और नाड़ियो को प्राणवायु (Oxygen) और पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति रक्त वाहिकाओं से रक्त के द्वारा की जाती है। जिस तरह ह्रदय को रक्त की आपूर्ति न होने पर हृदयघात / Heart attack आ जाता है, उसी प्रकार मस्तिष्क के कुछ हिस्से को 3 से 4 मिनिट से ज्यादा रक्त न मिलने पर प्राणवायु (Oxygen) और पोषक तत्वों के आभाव में नष्ट होने लगता है, इसे ही मस्तिष्क का दौरा/ Stroke या ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) भी कहते है।
ये अलग-अलग कारणों से होते हैं। स्ट्रोक की समस्या होने का सबसे अधिक खतरा तब होता है जबः
- व्यक्ति की उम्र 55 साल या इससे अधिक होने पर।
- परिवार में किसी व्यक्ति को स्ट्रोक की समस्या होने पर।
- खराब जीवनशैली अपनाने पर।
- अत्यधिक धूम्रपान, शराब व नशीली दवाओं का सेवन करने पर।
ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) के प्रकार
इस्कीमिया स्ट्रोक
इस प्रकार का स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक खून पहुंचाने वाली धमनियां (arteries) अवरूद्ध या संकरी हो जाती है। इस्कीमिया होने पर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। धमनियों के अवरूद्ध होने का मुख्य कारण मस्तिष्क की धमनियों में रक्त का थक्का बनना होता है। धमनियों की दीवारों में प्लेक (plaque) जमा हो जाता है जिससे व्यक्ति को इस्कीमिया स्ट्रोक होने का खतरा रहता है।
हेमरेजिक स्ट्रोक
यह स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की धमनियों से खून का रिसाव होने लगता है या यह फट जाती हैं। खून रिसने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है जिसके कारण ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। हेमरेज के बाद मस्तिष्क के ऊतकों में खून की सप्लाई नहीं हो पाती है। इंट्रासेरेब्रल (Intracerebral) हेमरेज, हेमरेजिक स्ट्रोक का एक सामान्य प्रकार है। इस स्ट्रोक में मस्तिष्क की धमनियों के फटने के बाद मस्तिष्क के ऊतक खून से भर जाते हैं। सबाराकनॉइड (Subarachnoid) हेमरेज, हेमोरेजिक स्ट्रोक का दूसरा प्रकार है और यह आमतौर पर कम होता है। इस प्रका के स्ट्रोक में मस्तिष्क और उसके पतले ऊतकों के बीच के क्षेत्र में ब्लीडिंग होने लगती है और पूरे क्षेत्र को घेर लेती है।
ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक
टीआईए स्ट्रोक ऊपर बताए गए दोनों प्रकार के स्ट्रोक से अलग है क्योंकि इस प्रकार के स्ट्रोक में मस्तिष्क में खून का प्रवाह जरा सा ही गड़बड़ होता है। ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक, इस्कीमिक स्ट्रोक की तरह होता है क्योंकि यह आमतौर पर रक्त का थक्का बनने के कारण होता है।
ब्रेन हेमरेज के लक्षण
- भ्रम (confusion) की स्थिति उत्पन्न होना एवं बोलने और समझने में कठिनाई होना।
- एक या दोनों आंखों से सही तरीके से और स्पष्ट दिखायी न देना।
- टहलने में परेशानी एवं शरीर का संतुलन खो देना और चक्कर (dizziness) आना।
- हाथों व पैरों को हिलाने-डुलाने (movement) में दर्द होना एवं शरीर के तापमान में परिवर्तन होना।
- शरीर कमजोर होना और लकवाग्रस्त हो जाना।
- भावनाओं पर नियंत्रण न होना।
स्ट्रोक के कारण व्यक्ति को लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इस बीमारी का समय पर निदान कराकर इलाज न कराने से व्यक्ति जीवनभर इस समस्या से ग्रसित हो सकता है।
ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) से बचाव
ब्रेन हेमरेज से बचने का सबसे आसान तरीका यह है कि स्ट्रोक के कारणों को ही न उत्पन्न होने दिया जाये। जीवन शैली में बदलाव सहित अन्य एहतियात बरतकर स्ट्रोक से बचा जा सकता है। आइये जानते हैं स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें।
- अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखें।
- धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें।
- शराब का सेवन कम मात्रा में करें।
- अनिद्रा की बीमारी हो तो इलाज कराएं।
संतुलित और स्वस्थ भोजन का अर्थ यह है कि फल, सब्जियां, होल ग्रेन, बादाम, अनाज, बीज भोजन में शामिल करें। रेड मीट न खाएं और कोलेस्ट्रॉल एवं सैचुरेटेड फैट युक्त भोजन कम मात्रा में लें। रक्तचाप नियंत्रित रखने के लिए खाने में कम मात्रा में नमक का उपयोग करें।
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