यह बीमारी अधिकतर पेट में देखने को मिलती हैं परन्तु यह जांघ के ऊपरी हिस्से तथा नाभि के आसपास भी पायी जाती हैं। जब पेट का कोई अंदरूनी अंग छेद के माध्यम से बहार आने लगता हैं तो उस स्थिति को हर्निया कहा जाता हैं। पेट का हर्निया होना आम बात हैं परन्तु इसका इलाज करवाना आवश्यक होता हैं। हर्निया की वजह से मनुष्य को सामान्य दर्द से लेकर गंभीर दर्द भी महसूस हो सकता हैं। अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाये तो यह बहुत गंभीर हो सकती हैं।
हर्निया के उभरने पर उसमे मौजूद रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता हैं जिससे हर्निया में खून की सप्लाई रुक जाती हैं। कुछ परिस्थितिओ में हर्निया अधिक गंभीर भी हो सकता हैं ,हर्निया का दर्द मनुष्य को काम या आराम या कुछ अन्य गतिविधियों को करते समय भी हो सकता हैं तथा चलने या दौड़ने में भी हो सकता हैं।
हर्निया के प्रकार।
हर्निया के कई प्रकार होते हैं , कुछ मुख्य प्रकार यह हैं-
इनगुइनल हर्निया: इनगुइनल हर्निया एक सामान्य प्रकार का हर्निया होता हैं। इनगुइनल हर्निया के मामले लगभग 70 %होते हैं। इस स्थिति में पेट के निचले हिस्से की परत में छेद हो जाता हैं और उस हिस्से की आंत बहार आ जाती हैं।
हाइटल हर्निया: हाइटल हर्निया ज्यादातर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो में देखने को मिलता हैं। यह हर्निया तब होता हैं जब पेट का हिस्सा डायाफ्राम (diaphragm) के माध्यम से छाती गुहा (chest cavity) में फैलता हैं। यह पेट के अंगो को छाती के अंगो से अलग -अलग करता हैं।
अम्बिलिकल हर्निया: अम्बिलिकल हर्निया को नाल हर्निया के नाम से भी जाना जाता हैं , यह हर्निया अधिकतर बच्चों में पाया जाता हैं यह हर्निया तब होता हैं जब आंते नाभि के पास पेट की दीवार से निकल जाती हैं।
स्पोर्ट्स हर्निया: स्पोर्ट्स हर्निया पेट के निचले हिस्से में व् ग्रोइन ( पेट तथा जांघ के बीच का भाग ) में तनाव से या फिर किसी मुलायम ऊतकों के फटने से होता हैं।
एपीगैस्ट्रिक हर्निया: इस प्रकार का हर्निया ब्रेस्ट बोन और नाभि के मध्य एब्डॉमिनल वॉल को प्रभावित करता हैं।
डाईफ्रोमैटिक हर्निया: यह हर्निया थोड़ा अलग होता हैं क्योकि यह बहार की और नज़र नहीं आता हैं। इस हर्निया के दौरान फेफड़ो और हृदय के ठीक नीचे स्थित गुबंद आकार की मांसपेशी का गैप अधिक बढ़ जाता हैं। साथ ही पेट का कुछ हिस्सा छाती की ओर बढ़ने लगता हैं।
हर्निया के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of hernia in Hindi)
हर्निया के लक्षण बहुत सामान्य होते इन लक्षणों से इस बीमारी का पता लगाना मुश्किल होता हैं , अगर मनुष्य को ऐसे लक्षण होते हैं तो वह इससे अधिकतर नज़रअंदाज़ कर देते है परन्तु ऐसा नहीं करना चाहिए हर्निया जैसी बीमारी में लक्षण कुछ इस प्रकार आते हैं।
- प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ दिखना।
- शरीर में अधिक भारीपन महसूस होना।
- मल-मूत्र त्याग करते समय कठिनाई होना।
- शरीर के किसी भी हिस्से से चर्बी का बहार आना।
- देर तक खड़े रहने से परेशानी होना।
- दौड़ – भाग करने में तथा उठने – बैठने में अधिक तक़लीफ़ होना।
- गांठ हो जाना तथा उसके आसपास के क्षेत्र में दर्द महसूस करना।
- सीने में जलन होना।
- खाना निगलने में परेशानी होना।
- अधिक ज्यादा खासी होना भी हर्निया की ओर संकेत करता हैं।
हर्निया होने का क्या कारण हैं ?
हर्निया कम समय में विकसित हो सकता हैं तथा कई बार विकसित होने में अधिक समय भी ले लेता हैं, यह हर्निया होने के कारण पर निर्भर करता हैं। मांसपेशियों में कमजोरी या खिंचाव के कुछ निम्नलिखित सामान्य कारण जो की हर्निया का कारण बन सकते हैं।
- पुरानी खांसी या पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय विकार
- जलोदर
- हर्निया जन्मजात भी हो सकता हैं या समय के साथ पेट की कमजोर दिवार या परत के हिस्से में विकसित हो सकता हैं।
- चोट या सर्जरी के दौरान हुए घाव भी हर्निया का कारण बन सकता हैं।
- उम्र बढ़ने की स्थित। ( 40 वर्ष से अधिक उम्र )
- अधिक वजन होना या मोटापा भी हर्निया का कारण बन सकता हैं।
- हर्निया का एक व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास।
- पुटीय तंतुशोथ
- जलन की अनुभूति।
- गर्भावस्था, विशेष रूप से कई गर्भधारण करना।
हर्निया के इलाज के दिल्ली एनसीआर लिए बेस्ट अस्पताल (Best Hospitals for Hernia Treatment in Delhi NCR in India)
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- मैक्स मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, पंचशील पार्क, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत दिल्ली
- बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल नई दिल्ली
- फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग, दिल्ली
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- आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल, वसंत कुंज, दिल्ली
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क्या हर्निया से बचाव संभव हैं।
हर्निया से बचाव संभव हो सकता हैं यदि मनुष्य अगर अपनी जीवनशैली पर ध्यान दे। हर्निया के जोखिमों को कम करने के लिए कुछ सरल जीवनशैली में बदलाव का सकते हैं। कुछ सामान्य युक्तियों से मनुष्य हर्निया के जोखिमों को बढ़ने से रोक सकते हैं जैसे की:-
- लगातार खासी होने से डॉक्टर से परामर्श ले।
- एक माध्यम शरीर का वजन न बढ़ने दे।
- कब्ज़ से बचने के लिए अच्छी मात्रा में फाइबर युक्त भोजन का सेवन करे।
- मांसपेशियों को मजबूत रखने वाले व्यायाम करे।
- अधिक वजन उठाने से बचे।
- किसी भी तरह का धूम्रपान तथा नशीले पदार्थ का सेवन न करे।
- मल त्याग और पेशाब के दौरान ज्यादा जोर लगाने से बचे।
हर्निया के शुरुआती संकेतों और लक्षणों को पहचानना बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं। बिना इलाज के यह हर्निया अपने आप से ख़तम नहीं हो सकता हैं। शुरुआत में ही अपनी जीवनशैली में बदलाव लेक तथा डॉक्टर से सलाह लेकर इस बीमारी को रोके और इसकी घातक जटिलताओं से बचे।
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