कई लोग ऐसे हैं जिन्हें नींद में बोलने की बीमारी होती है. अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं तो आपको थोड़ा सोचने की जरूरत है. नींद में बोलने की बीमारी आपकी सेहत से जुड़ी हुई है. ये न सिर्फ फिजिकली परेशानी करने वाली बात है बल्कि आपकी मानसिक स्थिति का भी राज उजागर करती है. इसके अलावा नींद में बोलने की बीमारी आपकी कई बीमारी का संकेत है जो आपको आगे जाकर हो सकती है. आइए जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ.
नींद में बोलने की बीमारी क्या है
नींद में बोलना भी एक बीमारी है और उसे पैरोसोमनिया कहते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जब सोते तो हैं लेकिन आपका दिमाग और शरीर के बीच बैलेंस नहीं रहता है. ऐसे में व्यक्ति 30 सेकेंड के लिए बोलता है और फिर सो जाता है. फिर बोलता है और फिर सो जाता है. आपके साथ वाले को लग सकता है कि आप सपना देख रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है. साइंस में इस स्थिति को गंभीर स्थिति से जोड़कर देखा गया है.
इसके पीछे की क्या है वजह
साइंस के मुताबिक इसे ‘आरईएम स्लीर बिहेवियर डिसऑर्डर’ और ‘स्लीप टेरर’दो कारण है जिसकी वजह से नींद में बोलने को जोड़कर देखा गया. इसमें नींद में लोग बात करने के साथ-साथ चिल्लाने लगते हैं. आरबीडी वाले लोग हिंसक हो जाते हैं.
यह कई कारणों की वजह से हो सकता है?
कुछ दवाओं के कारण
डिप्रेशन के मरीजों को अक्सर यह होता है
दिनभर की थकान और स्ट्रेस के कारण
इमोशनल स्ट्रेस के कारण
बुखार या बीमार होने पर
कैसे इस स्थिति को कंट्रोल करें
अगर आपको भी नींद में बात करने की लत है तो आपको भी इन चीजों का पालन करना चाहिए. सबसे पहले मेडिटेशन शुरू करें. दूसरा रात का खाना सोने से हमेशा 2 घंटे पहले खाएं. कोशिश करें मोबाइल से दूरी बनाने की. स्लीपिंग मेडिटेशन साउंड्स को सुनें. अगर आपको काफी देर रात तक नींद नहीं आती है और रात में डर लगता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इससे आपके इलाज में सहायता मिलेगी.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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