रेबीज होने के बाद क्या कुत्ते की तरह हरकतें करने लगता है इंसान? जानें क्या है सच


कुत्ते के काटने के बाद रेबीज जैसी बीमारी से 15 साल के उम्र के बच्चों की मौत से सनसनी मची हुई है. सबसे हैरान कर देने वाले आंकड़े यह है कि 6 महीने के अंदर दो हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक 46 हजार से ज्यादा केसेस आए हैं. जिसके कारण रेबीज जैसी बीमारी का डर बढ़ गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रेबीज इतनी खतरनाक बीमारी है कि इससे मरीज की मौत होनी तय है. अक्सर कहा जाता है रेबीज में मरीज जानवरों की तरह हरकत करने लगता है. इस बात में कितनी सच्चाई है आइए जानें.

क्या कहता है रिसर्च

एक रिसर्च के मुताबिक इन 6 सालों में देश में कुत्ते के काटने के केसेस बढ़े हैं. अगर इसका इलाज शुरुआत में ही नहीं किया जाएगा. या एंटी रेबीज इंजेक्शन टाइम पर न दिया जाएगा तो बहुत ही जल्दी में रेबीज मरीज के खून तक पहुंच जाता है. जिन कुत्तों को टाइम पर वैक्सीनेशन नहीं पड़ता है वह काफी खतरनाक हो जाते हैं. और उनसे रेबीज फैलने के चांसेस बढ़ जाते हैं.

रेबीज के बाद होता है हाइड्रोफोबिया

देश के कई फेमस डॉक्टर के मुताबित अगर किसी रेबीज संक्रमित कुत्ते ने किसी इंसान को काट लिया है तो कुछ दिनों पर मरीज में जानवरों की तरह लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सबसे बड़ा लक्षण होता है कि मरीज को पानी से डर लगने लगता है. इसे हाइड्रोफोबिया कहते हैं. इसमें मरीज पानी से दूर भागने लगता है. कुछ लोग पानी कम या बिल्कुल भी नहीं पीते हैं. पानी देखते ही गुस्सा होने लगता है. पानी को छूने से डरता है. इन सब के अलावा बेवजह गुस्सा, चिड़चिड़ाहट , बुखार और उल्टियां होने लगता है. 

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क्‍या कुत्‍ते की तरह हरकत करने लगता है मरीज

डॉक्टर से अक्सर ऐसा पूछा जाता है कि क्या सच में किसी इंसान को रेबीज हुआ है तो वह कुत्ते या किसी जानवर की तरह हरकत करने लगता है. इसमें कितना सच है? क्या जानवर के काटने के बाद मरीज में रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि जब रेबीज का वायरस इंसान के खून में जाता है तो उसे इरिटेशन या यूं कहें कि परेशानी होने लगता है. सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन होने लगती है. कभी-कभी जो मरीज की देखभाल करने आता है वह ऐसी हरकत करता है कि उससे डरकर भागने लगता है. पानी से बहुत डरने लगता है. यह तो सच है कि रेबीज होने के बाद मरीज की हरकत काफी ज्यादा बदल जाती है. यह बीमारी मरीज के ब्रेन तक पहुंचने में वक्त नहीं लगाता है. वह अलग तरीके से चिल्लाता या रोता है. इस बीमारी का खतरनाक असर ब्रेन पर होता है जिसके कारण मरीजा का बिहेवियर को कुत्ता से जोड़कर देखा जाता है. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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