विटामिन डी हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है । यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
जब हमारे शरीर पर धूप की किरणें पड़ती हैं, तब शरीर का कोलेस्ट्रॉल विटामिन डी उत्पन्न करता है। विटामिन डी हमें सूर्य की रोशनी से मिलता है। इसलिये इसे अक्सर सनशाइन विटामिन कहते हैं। इसके अलावा मछली, मशरूम और डेरी प्रोडक्ट्स में विटामिन डी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसकी कमी भोजन से पूरी नहीं होती और आजकल की लाइफस्टाइल के चलते ज्यादातर महिलाओं में विटामिन डी की कमी एक आम समस्या बन गया है।
इसके लक्षण एकदम से सामने नहीं आते, इसी वजह से लोगों को समय पर विटामिन डी की कमी से होने वाले रोगों का पता ही नहीं चल पाता। इसलिए विटामिन डी की नियमित जांच और विटामिन डी युक्त भोजन लेना जरूरी है।
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क्या कहती है रिसर्च
एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) शोध के मुताबिक 88% लोगों के शरीर में विटामीन डी की कमी है। अगर शोध की मानें तो 10 में से 8 व्यक्तिओं में विटामिन डी की कमी है, जिसकी वजह से लोगों में कम एनर्जी, डिप्रेशन और मसल्स में दर्द की शिकायत रहती है।शोध के अनुसार विटामिन डी के कम होने की अहम वजह धूप में कम रहना है।
विटामिन डी की कमी होने के लक्षण
- मांशपेशियों में कमजोरी महसूस होना।
- थकान और कमजोरी महसूस होना।
- जरुरत से ज्यादा नींद आना।
- हमेशा डिप्रेशन में होने जैसा महसूस होना।
- शरीर की तुलना में सर से अधिक पसीना आना।
- सांस लेने में दिक्कत होना, आदि।
इन आहारों का करे सेवन, दूर होगी विटामिन डी की कमी
सालमोन और ट्यूना ‘विटामिन डी’ की उच्च स्रोत
विभिन्न प्रकार की मछली जैसे सालमोन और ट्यूना ‘विटामिन डी’ की उच्च स्रोत होती हैं। सालमोन विटामिन डी की हमारी रोजाना जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के लिए काफी होती है। इसका सेवन करने से विटामिन डी की कमी नहीं होगी।
दूध विटामिन डी का महान स्रोत
दूध विटामिन डी का एक और महान स्रोत है। हमें दिन भर में जितना विटामिन डी चाहिए होता है, उसका 20 फीसदी हिस्सा दूध पूरा कर देता है। जबकि अनफॉर्टफाइड डेयरी उत्पादों में आमतौर पर विटामिन डी कम मात्रा में पाया जाता है।
अंडे की जर्दी में भरपूर विटामिन डी
अंडों को स्वस्थ भोजन माना जाता है, जो विटामिन डी से भरपूर होते हैं। हालांकि विटामिन डी ज्यादा अंडे की जर्दी में पाया जाता है। लेकिन फिर भी हमें इसको पूरा खाना चाहिए। अंडे का सफेद हिस्सा खाने से विटामिन डी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती।
संतरे का रस
संतरे का रस भी विटामिन डी से भरपूर होता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि विटामिन डी से स्वास्थ्य में जल्दी सुधार कर सकते हैं। इसके लिए आपको संतरे के जूस को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
गाजर का जूस पिएं
विटामिन डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर खाने से बेहतर होगा कि आप गाजर का जूस पिएं।
नाश्ते में अनाज शामिल करे
विटामिन डी की पूर्ति के लिए नाश्ते में अनाज शामिल करे । इससे आप अपने दिन की शुरुआत अच्छे से कर सकते है।
विटामिन डी की कमी के कारण
धूप न लेना
सूर्य का पर्याप्त प्रकाश न मिलने के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है।
अधिक सनस्क्रीन लगाना
स्कीन कैंसर या धूप में स्किन झुलसने के डर से ज्यादातर लोग घर से बाहर निकलते समय हर वक्त सन स्क्रीन लगाकर निकलते हैं। इसलिए जो लोग सन लोशन क्रीम का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, उनमें विटामिन D की कमी पायी जाती है।
बढ़ती उम्र
उम्र का बढ़ना विटामिन डी की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हमारे शरीर में विटामिन डी की मात्रा कम होने लगती है। बूढ़े लोगों में किडनी का अपना काम अच्छे से नहीं करने के कारण उनके शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है, इसलिए बूढ़े लोगों को ज्यादा विटामिन डी की जरूरत पड़ती है।
मोटापा
ज्यादातर मोटे लोगों में भी विटामिन डी की कमी पायी जाती है, क्योंकि विटामिन डी वसा कोशिकाओं द्वारा ब्लड से निकलता है, जो कि सर्कुलेशन में मदद करता है। लेकिन 30 या इससे अधिक बॉडी मॉस इंडेक्स वाले लोगों में विटामिन डी के ब्लड का लेवल नीचे होता है।
विटामिन डी की कमी के कारण से हो सकता है इन रोगो का खतरा
त्वचा का रंग गहरा होना
त्वचा का गहरा रंग मिलेनिन पिगमेंट के कारण होता है। मिलेनन बहुत अधिक होने के कारण धूप लगने पर त्वचा में विटामिन-डी का निर्माण ठीक से नहीं हो पाता। कुछ शोधो का मानना है कि बढती उम्र मे गहरे रंग की त्वचा वालों के विटामिन डी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
डायबिटीज
मधुमेह की बड़ी वजह मोटापा है, यह तो आप जानते हैं, लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि मोटापे के साथ-साथ विटामिन डी की कमी भी इस रोग के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है। मोटापे और विटामिन डी की समस्या किसी व्यक्ति को एकसाथ हो तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को असंतुलित करने वाली इस बीमारी के होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
बच्चों में एनीमिया का खतरा
यदि रक्त में विटामिन डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम है तो ऐसे में बच्चे के एनीमिया ग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। विटामिन डी की कमी रेड ब्लड सेल के उत्पादन पर भी असर डालता है।
अगर विटामिन डी की कमी होने पर हमारा शरीर देने लगता है ये संकेत, तो उसे इग्नोर न करे । तुंरत ही डॉक्टर की सलाह ले और अपनी डाइट में विटामिन डी युक्त फूड्स को शमिल करें और रोजाना कुछ देर धूप में बैठने की कोशिश करें। जिससे आपके शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होगी।
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