हेल्दी हार्ट के लिए फॉलो करें आयुर्वेद के ये नियम, 50 फीसदी खतरा हो जाएगा कम



<p>आजकल की व्यस्त लाइफस्टाइल और खराब खान-पान की आदतों के कारण हार्ट की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. फास्ट फूड, बाहर का खाना, मानसिक तनाव, कम नींद और शारीरिक श्रम की कमी जैसे कारणों से हृदय रोगों के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. जिन बीमारियों को पहले 60-70 की उम्र में देखा जाता था, आज वो 30-40 की उम्र में भी आम हो रही हैं.कम उम्र में लोगों को हार्ट अटैक, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में आयुर्वेद के अनुसार इन नियमों तो अपनाने से दिल के रोगों का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है. आइए जानते हैं यहां…</p>
<p><strong>संतुलित भोजन&nbsp;<br /></strong>संतुलित भोजन दिल को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आयुर्वेद के अनुसार हमें अपने रोजाना के डाइट में हरे पत्तेदार सब्जियों, ताजे फलों, साबुत अनाज, दालों और नट्स जैसे सभी प्रकार के पौष्टिक तत्वों को शामिल करना चाहिए. ये सभी चीजें विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर से भरपूर होती हैं जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं. साथ ही अधिक वसा, नमक और चीनी का सेवन सीमित करना चाहिए क्योंकि ये हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं.&nbsp;</p>
<p><strong>एक्सरसाइज और योग<br /></strong>दिल को स्वस्थ रखने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि और व्यायाम बेहद जरूरी है. आयुर्वेद में भी इस बात पर जोर दिया गया है. रोजाना कुछ समय व्यायाम और योग करने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह धमनियों को साफ रखने में मदद करता है और रक्तसंचार को बेहतर बनाता है. जिससे कम उम्र में ही दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. वॉकिंग, जॉगिंग, साइकिल चलाना, योगासन, प्राणायाम जैसी गतिविधियां दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं. इन्हें रोजाना रूटीन में शामिल करना चाहिए.&nbsp;</p>
<p><strong>तनाव न लें&nbsp;</strong><br />चिंता, डर, अवसाद जैसी भावनाओं से दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए आयुर्वेद में इन नकारात्मक भावनाओं से बचने और मानसिक शांति बनाए रखने का जोर दिया गया है. रोजाना ध्यान एवं योग करने से मन की शांति मिलती है. इसके अलावा परिवार और दोस्तों के साथ सकारात्मक समय बिताने से भी तनाव दूर रहता है.&nbsp;&nbsp;</p>
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