जवान से अलग बच्चों में होते हैं मिर्गी के लक्षण


फरीदाबाद (Faridabaad) के अमृता हॉस्पिटल (Amrita Hospital) के स्पेशलिस्ट का कहना है कि आज भी मिर्गी एक गंभीर समस्या है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी जवान, अविवाहित लड़कियों को मिर्गी के इलाज के लिए हॉस्पिटल नहीं लाया जा रहा है. जब डॉक्टर से इसके पीछे का कारण पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि लड़कियों के घरवालों को लगता है कि अगर इनके मिर्गी का इलाज करवाया गया. जिसके बाद अगर आसपास के लोगों को पता चल जाएगा तो ऐसे इनकी शादी में दिक्कत होगी. कोई भी लड़का इनसे शादी नहीं करेगा.

भारतीय समाज में मिर्गी एक टैबू है

आज भी भारतीय समाज में इन बीमारियों को लेकर एक टैबू बनी हुई है. जिसमें अगर जवान लड़कियों में मिर्गी के लक्षण दिखें तो उनसे कोई शादी नहीं करता है. या उनकी शादी में कई तरह की दिक्कतें होती है. सिर्फ इतना ही नहीं लोग खुलकर इस बीमारी पर बात तक करना पसंद नहीं करते हैं. वहीं डॉक्टर का कहना है कि बच्चों में मिर्गी के लक्षण अक्सर पहचाने नहीं जाते हैं क्योंकि यह लक्षण इतने आम होते हैं कि आप आसानी से पता नहीं लगा सकते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि वक्त रहते इलाज नहीं किया गया तो यह आपके बच्चे को पूरी जिंदगी के लिए विकलांग कर सकता है. अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के विशेषज्ञों का कहना है कि अविवाहित युवतियों को इलाज के लिए नहीं ले जाया जा रहा है क्योंकि इससे उनकी शादी की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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मिर्गी को लेकर डॉक्टर्स फैलाएंगे जागरूकता

‘इंटरनेशनल मिर्गी दिवस’ (International Mirgi Diwas) से पहले फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट ने लोगों और यहां तक कि डॉक्टरों के बीच बच्चों में मिर्गी के दौरों को जल्दी पहचानने और बिना देरी किए इलाज शुरू करने की बात कही है. उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि मिर्गी से पीड़ित किशोरियों को इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जा रहा है, क्योंकि माता-पिता को डर है कि इससे उनकी बेटी से कोई शादी नहीं करेगा. 

अमृता हॉस्पिटल की खास पेशकश

अमृता हॉस्पिटल की बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. प्रतिभा सिंघी के मुताबिक बच्चों में होने वाली मिर्गी के के लक्षण बहुत आम होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कई बार इस बीमारी का पता नहीं चलता है. बच्चों के हाथ- पैर में दर्द, पेट मरोड़ना मिर्गी के लक्षण हो सकते हैं. बच्चों में मिर्गी के ऐसे लक्षण हो सकते हैं जिसे शायद आप आम समस्या जानकर इग्नोर करते होंगे. जैसे- रोना और तेजी से आंख झपकने से लेकर सांस लेने में कठिनाई, अचानक झटके (जो कि बच्चे को डर लगने के रूप में माना जाता है), खुजली होना, फड़कना,, बिना किसी कारण बार-बार टॉयलेट करना, सिर हिलाना और धुंधला दिखाई देना, इस तरह के लक्षण को लेकर कई बार लोगों को पता भी नहीं चलता है. 

जवानों के मुकाबले बच्चों में मिर्गी के लक्षण अलग है

अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टर के मुताबिक,’वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों में मिर्गी के लक्षण काफी ज्यादा अलग होते हैं. बच्चों का दिमाग हर रोज बढता है इस कारण बच्चों की मिर्गी बहुत महत्वपूर्ण है. यदि बच्चों को दौरे पड़ने वक्त ध्यान नहीं दिया गया तो यह मिरगी ‘एन्सेफैलोपैथी’ का कारण बन सकता हैं.जो बच्चों के दिमाग के ग्रोथ को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं ये गंभीर विकलांगता का कारण भी बन सकता है. बच्चों में दौरे को जल्दी पहचानना और बिना समय गंवाए इलाज शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि, एक बार इलाज शुरू होने के बाद भी खास ध्यान देना बेहद जरूरी है. वैसे बच्चें जिनके दौरे नियंत्रित हो जाते हैं, माता-पिता यह सोचकर अपनी दवा बंद कर देते हैं कि बच्चा ठीक हो गया है. लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि बिना डॉक्टर की सलाह के एंटी-सीजर दवा (एएसएम) को कभी भी बंद या कम नहीं करना चाहिए, नहीं तो बच्चे को फिर से दौरा पड़ने के चांसेस बढ़ जाते हैं. 

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मिर्गी को कलंक की तरह देखा जाता है

अमृता हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के  डॉ. संजय पांडे के मुताबिक भारत में मिर्गी से जुड़े कई कलंक है.खासतौर पर जिनके परिवार में मिर्गी के मरीज होते हैं बच्चे के अलावा खासतौर पर नवयुवक इन्हें परिवार वाले डॉक्टर के पास ले जाने से काफी डरते हैं.क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शादी के रिश्ते पर खराब असर पड़ता है. माता-पिता अपनी अविवाहित बेटी की मिर्गी के बारे में किसी को नहीं बताते हैं. यहां तक कि जब लड़की को मिर्गी होती है और इसे ठीक करने से इसकी दवा दी जाती है. तब भी परिवार के सदस्य दूल्हे के परिवार को इस स्थिति के बारे में सूचित करने में संकोच करते हैं. जिससे लड़की और उसके माता-पिता के लिए सामाजिक और मानसिक तनाव बढ़ जाता है. शादी के बाद कई लड़कियां इसे लेना बंद कर देती हैं.

लड़कियों को मिर्गी होना एक कलंक समझा जाता है

शादी के बाद लड़की को यह डर सताता है कि अगर ससुरालवाले को उनकी बीमारी के बारे में पता चलेगा तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. इस डर से वह शादी के बाद दवाई लेना बंद कर देती है. जिसके गंभीर परिणाम होते हैं कि लड़की को लगातार दौरे पड़ने लगते हैं. डॉक्टर का यह भी कहना है कि समाज में मिर्गी से जुड़े कई तरह के कलंक हैं. लोग इसे कलंक समझते हैं. लेकिन हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि यह कोई कलंक नहीं है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मिर्गी की बीमारी से पीड़ित लोग भी जिंदगी में सफल होते हैं.इसमें शर्मिंदगी करने की जरूरत नहीं है बल्कि इस बीमारी में इलाज की जरूरत है.

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