मैदा को क्यों कहा जाता है ‘सफेद जहर’? इसे क्यों नहीं खाना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें


Fine Flour Health Risk:आजकल बड़ी संख्या में लोग नूडल्स, पिज्जा, समोसा, नान और मोमोज के रूप में धड़ल्ले से मैदे का सेवन कर रहे हैं. ज्यादातर स्ट्रीट फूड, जंक फूड और फास्ट फूड को बनाने के लिए मैदे का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. मैदा एक रिफाइंड आटा होता है, जिसे ‘सफेद जहर’ कहना गलत नहीं होगा. मैदे से बनी चीजें खाने वाले लोग भी इस बात से वाकिफ हैं कि इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. लेकिन फिर भी वे खाते हैं, क्योंकि इससे बनने वाले फूड आइटम्स मसालेदार और स्वादिष्ट होते हैं. यानी कि लोग स्वाद के चक्कर में स्वास्थ्य को ताख पर रख देते हैं. आइए जानते हैं मैदे को सेहत के लिए इतना खतरनाक क्यों माना जाता है.

प्रोसेसिंग के दौरान मैदे से चोकर और जर्म्स रिमूव कर दिए जाते हैं. जिसकी वजह से इसमें मौजूद विटामिन, मिनरल्स और फाइबर नष्ट हो जाते हैं. मैदे में कार्बोहाइड्रेट होता है. इसमें प्रोटी की मात्रा बहुत कम होती है. सिर्फ इतना ही नहीं, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी हाई होता है, जिसके कारण डायबिटीज के मरीज इसका सेवन नहीं कर सकते. क्योंकि ये ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ा सकता है. गेहूं के आटे में जितना पोषण होता है, उतना पोषण मैदे में नहीं होता. 

मैदे में होते हैं हानिकारक केमिकल्स

आजकल मैदा फैक्टरियों में बनाया जा रहा है. गहरा सफेद रंग देने के लिए बेंजॉयल पेरोक्साइड जैसे हानिकारक केमिकल्स से मैदे को ब्लीच किया जाता है. यही नहीं, मैदे को ज्यादा सॉफ्ट बनाने के लिए ‘एलोक्सन’ नाम का एक केमिकल डाला जा रहा है. जब आप ऐसे मैदे का सेवन करते हैं, तो ये केमिकल आपके शरीर में प्रवेश करके स्वास्थ्य को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. 

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डाइजेस्ट होने में लगता है इतना वक्त

वैसे तो मैदे को डाइजेस्ट होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है. हालांकि अलग-अलग लोगों में इसका डाइजेशन टाइम अलग-अलग देखा जाता है. साबुत अनाज या हाई फाइबर वाले फूड आइटम्स की तुलना में मैदे जल्दी पच जाते हैं. मैदा को डाइजेस्ट होने में लगभग 2-4 घंटे लगते हैं.

क्या हैं नुकसान?

मैदा को मानव स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल फायदेमंद नहीं माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे खाने से शरीर को पोषण नहीं मिलता. इसका सीधा प्रभाव इम्यूनिटी पर पड़ता है और अगर इम्यूनिटी कमजोर हो गई तो शरीर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकता है. 
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, ज्यादा मैदा खाने से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. सोचने और समझने की कैपिसिटी कमजोर पड़ने लगती है. भविष्य में डिमेंशिया की बीमारी हो सकती है. हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. अगर आप ज्यादा मात्रा में मैदे का सेवन करते हैं तो आगे चलकर आपको हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और दिल की बीमारी हो सकती है. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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