अगर आपको भी पेट में है ये दिक्कत तो हो जाएं सावधान! कहीं ये कैंसर की शुरुआत तो नहीं है?


Gastrointestinal Cancer : गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पेट के पाचन तंत्र के कैंसर को कहा जाता है. यह आमतौर पर पेट या आंतों में होने वाला कैंसर है. इसमें अमाशय, आंत, लिवर, पैंक्रियास आदि के कैंसर शामिल होते हैं.  जब हमारे पाचन तंतु के किसी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो वहाँ ट्यूमर बनता है, जो कैंसर हो सकता है. इस कैंसर की वजह से पेट में दर्द, पेट में सूजन, खाना पचाने में दिक्कत आदि समस्याएं हो सकती हैं. अगर ऐसी कोई समस्या हो, तो डॉक्टर से जल्दी मिलना चाहिए.

 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर होने के कई कारण हो सकता हैं. 

  • जीवनशैली के परिवर्तन: आधुनिक जीवनशैली, प्रदूषित पर्यावरण, और अस्वस्थ खानपान के पदार्थों का सेवन जैसे कि खाद्य पदार्थ और अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थ, इन सभी चीजों से कैंसर के मामूले बढ़ सकते हैं.
  • धूम्रपान और शराब: धूम्रपान और अधिक मात्रा में शराब का सेवन भी GI कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है.
  • जनसंख्या वृद्धि: कई देशों में जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती उम्र भी कैंसर की मामूलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
  • जागरूकता: अधिक जागरूकता और उन्नत डायग्नोस्टिक तकनीकों की वजह से अधिक मामले पहचाने जा रहे हैं.
  • जनतान्त्रिक और जैविक कारण: कुछ जनतान्त्रिक और जैविक कारण, जैसे कि अनुवांशिकता, भी कैंसर के जोखिम में वृद्धि का कारण बन सकते हैं.

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का उपचार 

  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) कैंसर का उपचार उसके प्रकार, स्थिति और अन्य कई कारकों पर निर्भर करता है. यहां कुछ प्रमुख उपचार विधियां हैं जिन्हें इस कैंसर के उपचार के लिए प्रयुक्त किया जाता है:
  • सर्जरी (शल्य चिकित्सा): कैंसर के प्रारंभिक चरण में, डॉक्टर ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी कर सकते हैं. यह उपाय अकेले में या अन्य उपचार विधियों के साथ मिलकर किया जा सकता है.
  • चेमोथेरेपी (रसायन चिकित्सा): इसमें कैंसर को रोकने वाली दवाएँ दी जाती हैं. यह दवाएँ कैंसर कोशिकाओं को मार सकती हैं या उन्हें बढ़ने से रोक सकती हैं.
  • रेडियेशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा): इसमें उच्च ऊर्जा वाली रेडियेशन का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है.
  • टार्गेटेड थेरेपी: इसमें विशेष दवाएं उपयोग की जाती हैं जो कैंसर कोशिकाओं पर सीधा प्रभाव डालती हैं, जिससे वे बढ़ने से रूकते हैं या मर जाते हैं.
  • इम्यूनोथेरेपी: इस उपचार में शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोध प्रणाली को मजबूत किया जाता है ताकि वह कैंसर के खिलाफ लड़ सके.
  • पैलिएटिव केयर: इस उपचार का मुख्य उद्देश्य रोगी के लक्षणों को सुधारना और उसकी सुविधा बढ़ाना है, खासकर जब रोग अधिक विकसित हो.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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  From paracetamol to Pandi, everyone uses it, knows the name of every medicine that has failed.

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