जिन लोगों को आंख से जुड़ी बीमारियां होती हैं, उनमें सबसे बड़ा डर ‘अंधेपन’ का होता है. कुछ लोगों को आंखों की वक्ती बीमारी होती है, जो एक वक्त बाद अपने आप ठीक हो जाती है, जैसे- आई फ्लू या कंजक्टिविटीज. जबकि कुछ लोगों की आंखों में लंबे समय तक चलने वाली बीमारी होती है. इसके लिए डॉक्टर से इलाज कराना जरूरी होता है. आंख शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा माना जाता है. एक छोटी सी चोट भी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है. यही वजह है कि आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों को लेकर आपको सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ये बीमारियां अंधेपन का कारण भी बन सकती है.
अंधेपन का खतरा पैदा करती हैं ये बीमारियां
1. डायबिटिक रेटिनोपैथी: डायबिटिक रेटिनोपैथी एक रेटिनल कंडीशन है, जो ब्लड शुगर लेवल के ज्यादा होने पर आंखों को प्रभावित करती है. ज्यादा ब्लड शुगर होने पर रेटिना को नुकसान पहुंचने लगता है. डायबिटीज के मरीज इस स्थिति में रेटिना डिटेचमेंट, एडिमा या ब्लीडिंग जैसी दिक्कतें महसूस करते हैं. अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो अंधेपन की समस्या पैदा हो सकती है.
2. मोतियाबिंद: आंखों की एक बीमारी मोतियाबिंद भी है. मोतियाबिंद में आंख का लेंस धुंधला या धूमिल हो जाता है. अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये गंभीर रूप भी ले सकती है. वैसे तो मोतियाबिंद किसी भी उम्र में लोगों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि इसके ज्यादातर मामले बुढ़ापे में देखे जाते हैं.
3. मैक्यूलर डिजनरेशन: मैक्यूलर डीजनरेशन बढ़ती उम्र से जुड़ी एक बीमारी है, जो केंद्रीय दृष्टि में दिक्कत का कारण बनती है. यह बीमारी आमतौर पर ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है. इसमें दृष्टि काफी धुंधली हो जाती है और रेटिना कमजोर पड़ने लगता है, जिससे देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है.
4. ग्लूकोमा: ग्लूकोमा एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आंख से ब्रेन तक मैसेज पहुंचाने वाले रेटिनल न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचने लगता है. यह स्थिति इतनी गंभीर है कि अंधेपन का कारण भी बन सकती है. ग्लूकोमा अगर एक बार हो गया तो इसका ठीक होना मुश्किल है. हालांकि अगर इस बीमारी का जल्दी पता चल जाए तो समय पर इलाज लेकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
5. रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा: रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा आंखों की एक आनुवांशिक बीमारी है. यह बीमारी आंखों को कमजोर बनाने का काम करती है और समय के साथ इसे खराब करती चली जाती है. वैसे तो यह लोग कम देखा जाता है. हालांकि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने की इसकी संभावना अधिक होती है. इस बीमारी को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. इसके इलाज को लेकर फिलहाल रिसर्च चल रही है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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