दुनियाभर में 9-5 जॉब करने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. कई लोग मॉर्निंग शिफ्ट करना पसंद करते हैं तो कई लोगों को जनरल शिफ्ट पसंद आती है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें नाइट शिफ्ट करना ज्यादा अच्छा लगता है या मजबूरी में यह शिफ्ट करनी पड़ती है. नाइट शिफ्ट करने वालों पर हाल ही में एक रिसर्च की गई है, जिसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. इस रिसर्च में कहा गया है कि नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में मेमोरी लॉस का रिस्क बहुत ज्यादा है यानी ये लोग अपनी याददाश्त जल्दी खो सकते हैं.
कनाडा में यॉर्क यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक, मेमोरी लॉस के अलावा इन लोगों को कॉग्निटिव इंपेयरमेंट की परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है, जिसमें सोचने-समझने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है. ब्रेन हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और बिहेवियर में भी काफी सारे बदलाव देखने को मिल सकते हैं. इस स्टडी के लिए कुल 47,811 लोगों का डेटा इकट्ठा किया गया था. ये रिसर्च इस हफ्ते ओपन-एक्सेस जर्नल PLOS ONE में पब्लिश की गई है.
इन लोगों में मेमोरी लॉस का खतरा
रिसर्चर्स ने कहा कि इस अध्ययन के परिणाम यह बताते हैं कि नाइट शिफ्ट और कॉग्निटिव इंपेयरमेंट के बीच एक गहरा संबंध है. रात के वक्त काम करने से मध्यम आयु वर्ग वाले और बुजुर्ग लोगों में याददाश्त खोने का खतरा रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि देर रात तक ऑफिस वर्क करने वालों में संज्ञानात्मक हानि (Cognitive Impairment) की दर 79 प्रतिशत ज्यादा होती है. अगर आप ऑफिस वर्क या किसी और वजह से रातभर जागते रहते हैं तो आपमें याददाश्त से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा है.
ओवरटाइम करने वाले भी खतरे में!
वहीं दूसरी ओर जो लोग अपने वर्किंग टाइम से ज्यादा काम करते हैं यानी ओवरटाइम करते हैं, ऐसे लोग अपनी भावनाओं, विचारों और काम का प्रबंधन सही तरीके से नहीं कर पाते या उन्हें ऐसा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जानकारी के मुताबिक, 5 में से एक व्यक्ति यानी 21 प्रतिशत लोगों 8-9 घंटे की शिफ्ट के मुताबिक काम करते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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