बेहद ‘खतरनाक’ और ‘जानलेवा’ है Sepsis, समय रहते कराएं इलाज, वर्ना हो सकती है मौत


Sepsis : कई बार छोटी सी चोट भी जरा सी लापरवाही की वजह से नासूर बन जाती है. अगर चोट लगने के बाद कोई घाव एक हफ्ते से ज्यादा समय तक ठीक नहीं हो रहा है तो यह सेप्सिस (Sepsis) जैसी समस्या का कारण बन सकता है. एक आंकड़े के मुताबिक, सेप्सिस की वजह से हर साल दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट इससे सावधान रहने की सलाह देते हैं. आइए जानते हैं सेप्सिस का कारण, लक्षण, बचाव और इलाज…

 

सेप्सिस क्या है

सेप्सिस एक इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन है. जब इम्यून सिस्टम किसी इंफेक्शन के खिलाफ खतरनाक प्रतिक्रिया करती है तो सेप्सिस या सेप्टीसीमिया हो जाता है. इसकी वजह से पूरे शरीर में सूजन हो जाता है. इससे टिशू डैमेज हो सकते हैं, कोई अंग फेल हो सकता है, जान भी जा सकती है. अलग-अलग तरह के संक्रमण सेप्सिस को ट्रिगर करने का काम कर सकते हैं. इसलिए इसका इलाज तुरंत शुरू करवा देना चाहिए.

 

सेप्सिस का सबसे ज्यादा खतरा किसे

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सेप्सिस किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. ऐसे लोग जो किसी इंफेक्शन या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की चपेट में हैं, उनमें यह जोखिम ज्यादा होता है. 65 साल से ज्यादा उम्र वाले, नवजात शिशु, प्रेगनेंट महिलाएं, डायबिटीज, मोटापा, कैंसर, किडनी डिजीज वाले लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. वहीं, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, गंभीर चोट या जले गंभीर घाव वालों में भी इसका खतरा ज्यादा रहता है.

 

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सेप्सिस को कैसे पहचानें

त्वचा पर छोटे लाल धब्बे

जब हार्ट बीट बढ़ जाए यानी 90 धड़कन प्रति मिनट से ज्यादा होने पर.

सांस की गति बढ़ना, 20 श्वास प्रति मिनट से ज्यादा हो जाए 

भ्रम या कोमा कि स्थिति, 

डायबिटीज के बिना ब्लड शूगर लेवल का बढ़ जाना

 

सेप्सिस का निदान

1. फिजिकल टेस्ट, प्रयोगशाला परीक्षण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और दूसरे टेस्ट से.

2. ब्लड टेस्ट के लिए सीबीसी, असामान्य लिवर और किडनी की कार्यप्रणाली, थक्के क समस्याओं और इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताओं की जांच की जा सकती है.

3. ब्लड ऑक्सीजन लेवल, यूरीन टेस्ट, एक्स-रे या सीटी स्कैन भी डॉक्टर कर सकते हैं.

 

सेप्सिस से बचाव 

1. हाथ धोने की आदत और साफ-सफाई से रहना

2. चोट लगने पर घाव को सही तरह साफ करना और ठीक होने तक ढककर रखना

3. घाव होने पर समय पर वैक्सीन लगवाना

4. क्रोनिक कंडीशन में नियमित तौर पर चिकित्सा देखभाल

5. इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए साफ-सफाई को कड़ाई से फॉलो करें.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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