नया फिटनेस ट्रेंड बना गया है 12-3-30 ट्रेडमिल रूटीन, जानें कितना फायदेमंद है


फिटनेस की दुनिया में हर रोज कुछ नया ट्रेंड सामने आता है, और आजकल 12-3-30 ट्रेडमिल रूटीन नामक वर्कआउट ट्रेंड में है. कुछ लोग इसे बेहद प्रभावी कार्डियो वर्कआउट बता रहे हैं. यह रूटीन साधारण लग सकता है, लेकिन इसके पीछे का सिद्धांत काफी दिलचस्प है. इस तरह का वर्कआउट शरीर को एकदम फिट और एनर्जेटिक बनाने में मदद करता है. यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और वजन घटाने में भी कारगर है. एक्सपर्ट के अनुसार यह रूटीन कार्डियोवैस्कुलर कंडीशन बेहतर बना सकता है. आइए जानते हैं यहां 

क्या है 12-3-30
12-3-30 का मतलब है – ट्रेडमिल पर 12% की इंक्लाइन (ढलान) पर, 3 मील प्रति घंटा की गति से, लगातार 30 मिनट तक चलना. इस वर्कआउट की खासियत यह है कि यह न केवल कैलोरी बर्न करता है, बल्कि यह आपकी लोअर बॉडी को मजबूत करने में भी मदद करता है. इंक्लाइन वॉकिंग, जो कि इस रूटीन का मुख्य भाग है, आपके पैरों, कूल्हों और ग्लूट्स को टोन करती है. इसके अलावा, यह आपके कार्डियो एंड्यूरेंस को भी बेहतर बनाता है.

किसके लिए सही नहीं है 
हर नए फिटनेस ट्रेंड की तरह, 12-3-30 रूटीन के भी कुछ सीमाएं हैं. यह रूटीन हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता, खासकर उनके लिए जिन्हें घुटनों में दर्द या अन्य जोड़ों की समस्याएं हों. इसके अलावा, इसे अपने फिटनेस लेवल के अनुसार धीरे-धीरे शुरू करना और नियमित रूप से अभ्यास करना महत्वपूर्ण है. 

क्या यह नॉर्मल ट्रेडमिल से ज्यादा फायदेमंद हैं
12-3-30 ट्रेडमिल रूटीन आम ट्रेडमिल वॉक की अपेक्षा ज़्यादा लाभदायक होता है. क्योंकि इसमें हाई-इंटेंसिटी इंटरवल्स शामिल होते हैं जो आम वॉल्किंग से अलग होते हैं. इस तरह का एक्सरसाइज लो इंटेंसिटी की अपेक्षा ज़्यादा कैलोरीज बर्न करता है. यह हार्ट रेट को तेज करता है और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है. लेकिन वजन कम करने के लिए सिर्फ यही काफी नहीं है. खान पान और डाइट में भी बदलाव लाना जरूरी है. यानी जितना खाओ, उससे ज़्यादा कैलोरीज बर्न करो. तभी तेज़ी से वजन कम होगा. 

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12-3-30 ट्रेडमिल वर्कआउट से नुकसान 
इतनी तेज़ रफ्तार से ट्रेडमिल पर चलने या दौड़ने से कमर और पीठ पर ज्यादा दबाव पड़ता है. अगर हमारी मांसपेशियां इतनी मजबूत नहीं हैं तो इनमें खिंचाव या मोच आ सकती है.  इसके अलावा हमारा दिल भी बहुत तेजी से धड़कने लगता है. कई बार लोगों को छाती में दर्द या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. इसलिए ऐसा वर्कआउट शुरू करने से पहले अपने शरीर को तैयार कर लेना बहुत जरूरी है. कसरत की शुरुआत हल्के वर्कआउट से करें और धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ाएं. अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत ना करें. 

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